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पंचायत सीटों के उपचुनाव के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कमर कसी - जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कमर कसी

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने लगभग 12000 रिक्त पंचायत सीटों और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के उपचुनाव कराने के लिए कमर कस ली है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में 20,093 पंच और सरपंच के सीटों में से 12,565 सीटें खाली रह गईं. आंकड़े बताते हैं कि चुनावों में केवल 6,162 पंच और 1,366 सरपंच चुने गए थे.

जम्मू-कश्मीर में पंचायत सीटों के उपचुनाव की तैयारी
जम्मू-कश्मीर में पंचायत सीटों के उपचुनाव की तैयारी
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Published : Sep 15, 2020, 9:47 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने लगभग 12000 रिक्त पंचायत सीटों और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के उपचुनाव कराने के लिए एक शीर्ष समिति और दो मंडल स्तरीय समितियों का गठन किया है. ये समितियां चुनाव का रोडमैप तैयार करेंगी.

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार शीर्ष समिति में गृह विभाग के प्रमुख सचिव और जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के कमिश्नर सेक्रेटरी इसके सदस्य होंगे.

आदेश में आगे कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में दो डिवीजनल स्तर की समितियां होंगी जिनमें डिवीजनल कमिश्नर, आईजीपी और रूरल डेवलपमेंट के डायरेक्टर्स होंगे. ये लोग जम्मू-कश्मीर में रिक्त पंचायत और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के लिए चुनाव कराने के लिए ग्राउंड लेवल पर मूल्यांकन करेंगे.

संभाग स्तरीय समितियां इस महीने की 21 तारीख को अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च समिति को प्रस्तुत करेंगी जबकि शीर्ष समिति को 28 सितंबर तक अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.

आदेश में कहा गया है कि समितियां डिवीजनल स्तर की समितियों और जमीनी स्तर के आंकलन, सुरक्षा, रसद, कर्मियों, उपकरणों, जनशक्ति के मूल्यांकन, परिवहन, उपकरण और अन्य सभी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इनपुट के आधार पर अपना काम करेंगी.

नए एलजी ने प्रशासन की बागडोर संभालने के एक महीने बाद यह निर्णय लिया है और जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू किया है जो पिछले साल 5 अगस्त को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सुचारू है.

नवंबर, 2018 में जब कश्मीर में चुनाव हुए तो इन सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे गए थे, इसलिए कम से कम 12000 पंचायत सीटें कश्मीर घाटी में खाली रहीं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में 20,093 पंच और सरपंच के सीटों में से 12,565 सीटें खाली रह गईं. आंकड़े बताते हैं कि चुनावों में केवल 6,162 पंच और 1,366 सरपंच चुने गए थे.

जम्मू क्षेत्र में 15,800 पंच और 2,289 सरपंच सीटों के लिए चुनाव हुए जिसमें 166 सीट खाली रह गए.

रिक्त पंचायत वार्डों की सबसे अधिक संख्या में उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में है, जिसकी संख्या 2163 है. इसके बाद अनंतनाग में 1995 वार्ड रिक्त हैं. बडगाम में 1940 खाली वार्ड हैं और पुलवामा जिले में 1437 वार्ड खाली हैं. जबकि कश्मीर में कुल 2182 में से 923 सरपंच की सीटें अभी भी खाली हैं.

यह भी पढ़ें - चुनाव से पहले बिहार को सौगात, पीएम ने सात परियोजनाओं का किया उद्घाटन

दो मुख्य क्षेत्रीय दल एनसी और पीडीपी ने इन चुनावों का बहिष्कार किया क्योंकि उन्होंने केंद्र सरकार से तत्कालीन राज्य की विशेष स्थिति के बारे में सुरक्षा का आश्वासन मांगा था.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस साल फरवरी में इन रिक्त सीटों के लिए मार्च में आठ चरणों में मतदान कराने की तारीखों की घोषणा की थी, लेकिन बाद में सुरक्षा कारणों के कारण उन्हें स्थगित कर दिया गया था.

प्रशासन ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के कई नेताओं को हिरासत में लिया था.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने लगभग 12000 रिक्त पंचायत सीटों और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के उपचुनाव कराने के लिए एक शीर्ष समिति और दो मंडल स्तरीय समितियों का गठन किया है. ये समितियां चुनाव का रोडमैप तैयार करेंगी.

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार शीर्ष समिति में गृह विभाग के प्रमुख सचिव और जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के कमिश्नर सेक्रेटरी इसके सदस्य होंगे.

आदेश में आगे कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में दो डिवीजनल स्तर की समितियां होंगी जिनमें डिवीजनल कमिश्नर, आईजीपी और रूरल डेवलपमेंट के डायरेक्टर्स होंगे. ये लोग जम्मू-कश्मीर में रिक्त पंचायत और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के लिए चुनाव कराने के लिए ग्राउंड लेवल पर मूल्यांकन करेंगे.

संभाग स्तरीय समितियां इस महीने की 21 तारीख को अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च समिति को प्रस्तुत करेंगी जबकि शीर्ष समिति को 28 सितंबर तक अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.

आदेश में कहा गया है कि समितियां डिवीजनल स्तर की समितियों और जमीनी स्तर के आंकलन, सुरक्षा, रसद, कर्मियों, उपकरणों, जनशक्ति के मूल्यांकन, परिवहन, उपकरण और अन्य सभी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इनपुट के आधार पर अपना काम करेंगी.

नए एलजी ने प्रशासन की बागडोर संभालने के एक महीने बाद यह निर्णय लिया है और जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू किया है जो पिछले साल 5 अगस्त को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सुचारू है.

नवंबर, 2018 में जब कश्मीर में चुनाव हुए तो इन सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे गए थे, इसलिए कम से कम 12000 पंचायत सीटें कश्मीर घाटी में खाली रहीं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में 20,093 पंच और सरपंच के सीटों में से 12,565 सीटें खाली रह गईं. आंकड़े बताते हैं कि चुनावों में केवल 6,162 पंच और 1,366 सरपंच चुने गए थे.

जम्मू क्षेत्र में 15,800 पंच और 2,289 सरपंच सीटों के लिए चुनाव हुए जिसमें 166 सीट खाली रह गए.

रिक्त पंचायत वार्डों की सबसे अधिक संख्या में उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में है, जिसकी संख्या 2163 है. इसके बाद अनंतनाग में 1995 वार्ड रिक्त हैं. बडगाम में 1940 खाली वार्ड हैं और पुलवामा जिले में 1437 वार्ड खाली हैं. जबकि कश्मीर में कुल 2182 में से 923 सरपंच की सीटें अभी भी खाली हैं.

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दो मुख्य क्षेत्रीय दल एनसी और पीडीपी ने इन चुनावों का बहिष्कार किया क्योंकि उन्होंने केंद्र सरकार से तत्कालीन राज्य की विशेष स्थिति के बारे में सुरक्षा का आश्वासन मांगा था.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस साल फरवरी में इन रिक्त सीटों के लिए मार्च में आठ चरणों में मतदान कराने की तारीखों की घोषणा की थी, लेकिन बाद में सुरक्षा कारणों के कारण उन्हें स्थगित कर दिया गया था.

प्रशासन ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के कई नेताओं को हिरासत में लिया था.

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