नई दिल्ली : देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शनिवार को कहा कि कोरोना महामारी ने आज जिस तरह से देश में जकड़ रखा है. उससे निकलने के लिए हमे सरकार द्वारा जारी किए गए स्वास्थ्य निर्देशों का पालन पूरी ईमानदारी से करना होगा और ईद के मौके पर पहले की तरह सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए क्योंकि महामारी किसी धर्मविशेष कि नहीं होती.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि क्योंकि महामारी किसी धर्मविशेष कि नहीं होती, इसलिए इस वर्ष सभी को ईद का त्योहार स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करते हुए अपनों के बीच मनाना चाहिए और देश की तरक्की और खुशहाली की दुआ करनी चाहिए.
मौलाना मदनी ने कहा कि कोरोना महामारी ने जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था और सरकारी व्यवस्थाओं को उजागर किया वो चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से देश की तमाम संस्थाएं धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर सिर्फ इंसानियत की बुनियाद पर अनवरत काम करी है. दरअसल असली हिन्दुस्तान यही है.
मौलाना मदनी ने मजदूरों का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से सड़को पर मजदूर अपनी बेचारगी और लाचारी लेकर निकला, अगर उसको स्वयंसेवी संस्थाएं ना सहारा देती तो स्थिति कोरोना महामारी से ज्यादा भयावह होती. मदनी ने कहा कि जो लोग कपड़ों से इंसान की पहचान का दावा करते थे. आज उनको भी अहसास हो गया होगा की कपड़ों ने इंसान कि पहचान नहीं की बल्कि मानवता और भाईचारे ने इंसान कि पहचान इंसान से कार्रवाई और यही हमारे देश की मूल पहचान है.
जमीयत द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों का जिक्र करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत मानवीय जरूरतों के हर पहलू पर दिन रात अनवरत लगी है. फिर वो चाहे राशन की व्यवस्था हो, चिकित्सा की व्यवस्था हो या फिर आर्थिक मोर्चे की बात हो. जमीयत देश भर में फैले अपने लाखो कार्यकर्ताओं के साथ आज भी सड़को पर इंसानियत की मिसाल पेश कर रही है.
अंत में मौलाना मदनी ने कहा कि कोरोना की लड़ाई सिर्फ लॉकडाउन खत्म होने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमने जो इंसानियत और भाईचारे की जो मिसालें इस दौरान पेश कि उसी को आधार बनाकर ही देश का विकास होगा. ये सिर्फ और सिर्फ आपसी भाईचारे, प्यार और इंसानियत की ही बुनियाद पर हो सकता है और यही हमे कोरोना से हुए नुकसान की भरपाई भी करवाएगा.