ETV Bharat / bharat

अनुच्छेद 370 ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अनुच्छेद 370 पर बड़ा बयान दिया है. जानें उन्होंने क्या कहा...

जयशंकर
author img

By

Published : Sep 25, 2019, 2:48 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 11:33 PM IST

लंदन: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के लिए अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त किये जाने को 'संवैधानिक रूप से उपयुक्त' करार दिया है. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान ने सीमापार से आतंकवाद फैलाने के लिए अनुच्छेद 370 का इस्तेमाल किया.

मंगलवार को ब्रिटेन के 'फाइनेंशियल टाईम्स' में आलेख लिखकर मंत्री ने पिछले महीने इस प्रावधान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र की अगुवाई वाली सरकार की आलोचना का जवाब देने का प्रयास किया और कहा कि इस प्रावधान के चलते जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय कानून लागू नहीं हो पाते थे, फलस्वरूप वहां के लोग सामाजिक-आर्थिक अन्याय का शिकार हो रहे थे.

उन्होंने लिखा है, 'पिछले प्रावधान ने स्थानीय मिल्कियत के लिए एक ऐसी आरामदेह व्यवस्था पैदा की जो राज्य के संभ्रात राजनीतिक वर्ग के पक्ष में था. लेकिन इससे जनसमूह आर्थिक अवसरों एवं सामाजिक लाभों से वंचित हो गये. फलस्वरूप कुछ वर्गों में पनपी अलगाववादी भावनाओं का पड़ोसी देश पाकिस्तान ने सीमापार आतंकवाद फैलाने के लिए शोषण किया.'

उन्होंने आलेख में कहा है, 'जम्मू कश्मीर के दर्जे में संसद द्वारा बदलाव संवैधानिक रूप से उपयुक्त है तथा उसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों के अलावा अन्य दलों एवं सांसदों का समर्थन मिला एवं वह दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ. यह इस आमूलचूल बदलाव की जरूरत पर व्यापक सहमति को दर्शाता है.'

इस आलेख में मोदी सरकार के इस कदम के संदर्भ की व्याख्या की गयी है और दावा किया गया है कि वैसे तो केंद्र सरकार देश के बाकी हिस्सों की तुलना में जम्मू कश्मीर के औसत बाशिंदे पर दस गुणा अधिक खर्च करती थी लेकिन वह निवेश जमीनी स्तर पर नजर नहीं आता था.

पढ़ें-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक बल में 'वराह' को किया शामिल

आलेख के मुताबिक सार्वजनिक व्यय में अनियमितताओं के बारे में चिंता के बीच बुनियादी ढांचा परियोजनाएं धीमी हो गयीं. बैंकिंग और भर्ती में भ्रष्टाचार की हाल की खबरों ने इस स्थिति को रेखांकित किया. फलस्वरूप वहां के लोगों को अन्य राज्यों में शिक्षा, चिकित्सीय पहुंच और रोजगार के लिए जाना पड़ता था.

जयशंकर ने लिखा है, 'राष्ट्रीय कानूनों के (राज्य में) लागू होने की असमर्थता से सामाजिक-आर्थिक न्याय से लोग वंचित हो गये. राज्य के कानूनों ने महिलाओं को संपत्ति में समानता का अधिकार नहीं दिया और बाल संरक्षण कार्यक्रमों को रोका. उन्होंने ठोस कार्रवाई को अस्वीकार कर दिया जो भारत के बाकी हिस्सों में की जाती थी.'

उन्होंने कहा है, 'घरेलू हिंसा कानून, स्थानीय निकायों में महिला प्रतिनिधित्व और शिक्षा के अधिकार सभी का दूर ही रखा गया. शरणार्थियों से भेदभाव खुलेआम है. '

उन्होंने लिखा है, 'राष्ट्र के बाकी हिस्से के साथ मिल जाने की प्रक्रिया को अस्थायी सहूलियत प्रदान करने पर केंद्रित प्रावधान का सालों तक दुरूपयोग किया गया. और इस प्रकार, उससे अलगाववादी नेताओं और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठनों के बीच संबंधों को प्रोत्साहन मिला. राज्य से हजारों अल्पसंख्यकों को भगा दिया गया, और ध्रुवीकृत माहौल का राजनीतिक रूप से दोहन किया गया.'

पढ़ें-भारत चाहता है कि वार्ता से पहले पाक 'कुछ ठोस कदम' उठाए : मोदी ने ट्रम्प से कहा

विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र में पिछले दशकों में आतंकवादी हमलों में हजारों जानें जाने का उल्लेख किया और कहा कि सरकार का यह कदम पुरानी नीति को जारी रखने या फिर इस क्षेत्र के कानूनी स्थिति को बदलकर प्रगति एवं आधुनिकता की ओर बढ़ने के बीच चुनाव कठिन था. सरकार ने साहसिक और बेहतर विकल्प का चुनाव किया जिसकी आलोचना नहीं प्रशंसा की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि वैसे भी इस कानूनी परिवर्तनों से भारत की बाहरी सीमाओं या नियंत्रण रेखा में कोई परिवर्तन नहीं आया है. ये बदलाव पूरी तरह घरेलू हैं. नियंत्रण रेखा तय करती है कि यह क्षेत्र भारत का है तो यह क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में है.

लंदन: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के लिए अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त किये जाने को 'संवैधानिक रूप से उपयुक्त' करार दिया है. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान ने सीमापार से आतंकवाद फैलाने के लिए अनुच्छेद 370 का इस्तेमाल किया.

मंगलवार को ब्रिटेन के 'फाइनेंशियल टाईम्स' में आलेख लिखकर मंत्री ने पिछले महीने इस प्रावधान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र की अगुवाई वाली सरकार की आलोचना का जवाब देने का प्रयास किया और कहा कि इस प्रावधान के चलते जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय कानून लागू नहीं हो पाते थे, फलस्वरूप वहां के लोग सामाजिक-आर्थिक अन्याय का शिकार हो रहे थे.

उन्होंने लिखा है, 'पिछले प्रावधान ने स्थानीय मिल्कियत के लिए एक ऐसी आरामदेह व्यवस्था पैदा की जो राज्य के संभ्रात राजनीतिक वर्ग के पक्ष में था. लेकिन इससे जनसमूह आर्थिक अवसरों एवं सामाजिक लाभों से वंचित हो गये. फलस्वरूप कुछ वर्गों में पनपी अलगाववादी भावनाओं का पड़ोसी देश पाकिस्तान ने सीमापार आतंकवाद फैलाने के लिए शोषण किया.'

उन्होंने आलेख में कहा है, 'जम्मू कश्मीर के दर्जे में संसद द्वारा बदलाव संवैधानिक रूप से उपयुक्त है तथा उसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों के अलावा अन्य दलों एवं सांसदों का समर्थन मिला एवं वह दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ. यह इस आमूलचूल बदलाव की जरूरत पर व्यापक सहमति को दर्शाता है.'

इस आलेख में मोदी सरकार के इस कदम के संदर्भ की व्याख्या की गयी है और दावा किया गया है कि वैसे तो केंद्र सरकार देश के बाकी हिस्सों की तुलना में जम्मू कश्मीर के औसत बाशिंदे पर दस गुणा अधिक खर्च करती थी लेकिन वह निवेश जमीनी स्तर पर नजर नहीं आता था.

पढ़ें-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक बल में 'वराह' को किया शामिल

आलेख के मुताबिक सार्वजनिक व्यय में अनियमितताओं के बारे में चिंता के बीच बुनियादी ढांचा परियोजनाएं धीमी हो गयीं. बैंकिंग और भर्ती में भ्रष्टाचार की हाल की खबरों ने इस स्थिति को रेखांकित किया. फलस्वरूप वहां के लोगों को अन्य राज्यों में शिक्षा, चिकित्सीय पहुंच और रोजगार के लिए जाना पड़ता था.

जयशंकर ने लिखा है, 'राष्ट्रीय कानूनों के (राज्य में) लागू होने की असमर्थता से सामाजिक-आर्थिक न्याय से लोग वंचित हो गये. राज्य के कानूनों ने महिलाओं को संपत्ति में समानता का अधिकार नहीं दिया और बाल संरक्षण कार्यक्रमों को रोका. उन्होंने ठोस कार्रवाई को अस्वीकार कर दिया जो भारत के बाकी हिस्सों में की जाती थी.'

उन्होंने कहा है, 'घरेलू हिंसा कानून, स्थानीय निकायों में महिला प्रतिनिधित्व और शिक्षा के अधिकार सभी का दूर ही रखा गया. शरणार्थियों से भेदभाव खुलेआम है. '

उन्होंने लिखा है, 'राष्ट्र के बाकी हिस्से के साथ मिल जाने की प्रक्रिया को अस्थायी सहूलियत प्रदान करने पर केंद्रित प्रावधान का सालों तक दुरूपयोग किया गया. और इस प्रकार, उससे अलगाववादी नेताओं और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठनों के बीच संबंधों को प्रोत्साहन मिला. राज्य से हजारों अल्पसंख्यकों को भगा दिया गया, और ध्रुवीकृत माहौल का राजनीतिक रूप से दोहन किया गया.'

पढ़ें-भारत चाहता है कि वार्ता से पहले पाक 'कुछ ठोस कदम' उठाए : मोदी ने ट्रम्प से कहा

विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र में पिछले दशकों में आतंकवादी हमलों में हजारों जानें जाने का उल्लेख किया और कहा कि सरकार का यह कदम पुरानी नीति को जारी रखने या फिर इस क्षेत्र के कानूनी स्थिति को बदलकर प्रगति एवं आधुनिकता की ओर बढ़ने के बीच चुनाव कठिन था. सरकार ने साहसिक और बेहतर विकल्प का चुनाव किया जिसकी आलोचना नहीं प्रशंसा की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि वैसे भी इस कानूनी परिवर्तनों से भारत की बाहरी सीमाओं या नियंत्रण रेखा में कोई परिवर्तन नहीं आया है. ये बदलाव पूरी तरह घरेलू हैं. नियंत्रण रेखा तय करती है कि यह क्षेत्र भारत का है तो यह क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में है.

ZCZC
PRI GEN INT
.LONDON FGN55
UK-JAISHANKAR-ART370
Anachronistic Article 370 encouraged terrorism: Jaishankar
By Aditi Khanna
         London, Sep 24 (PTI) External Affairs Minister S Jaishankar has described as "constitutionally proper" the revocation of Article 370 to withdraw the special status of Jammu and Kashmir and said the previous provision was "exploited" by Pakistan to conduct cross-border terrorism.
         Writing in the UK's 'Financial Times' newspaper on Tuesday, the minister sought to counter criticism over Prime Minister Narendra Modi-led government's announcement over the "anachronistic provision" last month, which he said had resulted in socio-economic injustice due to the inability to apply national laws in Jammu and Kashmir.
         "The earlier provision created a cosy arrangement of local ownerships that served the state's political elite well. But it denied economic opportunities and social gains for the masses. The resulting separatist sentiments in some quarters were then exploited by neighbouring Pakistan to conduct cross-border terrorism," he wrote.
         "Parliament's changes to Jammu and Kashmir's status are constitutionally proper and received support beyond the ruling Bharatiya Janata party and its allies as it was passed by a two-thirds majority. It reflects a larger consensus on the need for drastic reform," he noted.
         The article went on the lay out the context of the Modi government's move and claims that although the central government spent 10 times more on the average resident of Jammu and Kashmir than in the rest of the country, that investment did not show up on the ground.
          Infrastructure projects slowed down amid concerns about irregularities in public finance. Recent reports of corruption in banking and recruitment underlined this situation, with residents having to seek education, medical access and employment in other provinces.
         "The inability to apply national laws has led to the denial of socio-economic justice. State laws did not give women equal rights on property and prevented child protection programmes. They rejected affirmative action that was practised in the rest of India," Jaishankar said.
         "Domestic violence laws, female representation in local bodies and the right to education were all kept at bay. Discrimination against refugees was open," he added.
         "A provision intended to provide temporary comfort to the process of aligning with the rest of the nation was misused for many years. By doing so, it encouraged links between separatist politicians and terrorist groups sponsored by Pakistan. As minorities were driven out of the state in their thousands, this polarised environment was exploited politically."
         The external affairs minister highlighted the loss of thousands of lives due to terrorist attacks over the past decades in the region and said the move by the government was a difficult choice between continuing with the old policy or pursuing "progress and modernity by changing the region's legal status".
         The government has chosen the bolder and better option which should be applauded, not criticised," he said.
          The legislative changes have not altered India's external boundaries or the 'Line of Control' that delineates the territory under the control of India and Pakistan. The changes are entirely domestic, he added.
         "As they make a positive impact on the lives of the people, the justification for cross-border terrorism will become even more untenable. The boundaries of Indian states have been reorganised 14 times since independence. What has now happened in respect to Jammu and Kashmir is the norm, not an aberration," he added.
         He detailed Prime Minister Modi's efforts at addressing the wider social, economic and political challenges in order to advance India, including gender discrimination, climate change and river pollution and the spread digital access, improve skills, boost start-ups, manufacturing, generate jobs and embrace technology.
         "His policy towards Jammu and Kashmir is fully in consonance with his vision of a new and modern India. India is a democratic society with robust parliamentary practices. This is a well-intended change designed to improve daily lives and create more opportunities," he wrote.
         "There is a new reality in the making in Jammu and Kashmir. It is driven by economic development, social progress and gender justice. Its future is based on freedom from intimidation and fear of terrorists. Those who identify with these goals will surely welcome the change," he added. PTI AK AKJ
NSA
09241859
NNNN
Last Updated : Oct 1, 2019, 11:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.