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जम्मू-कश्मीर प्रशासन 'रोशनी भूमि योजना' के तहत की गई कार्रवाई को करेगा रद्द

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने 'रोशनी भूमि योजना' में कथित घोटाले की जांच सीबाआई को सौंपी है. इसके तीन सप्ताह बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि वह इस योजना के तहत की गई सभी कार्रवाई को रद्द करेगा और छह महीने में सारी जमीन पुन: प्राप्त करेगा.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन
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Published : Nov 1, 2020, 3:09 PM IST

Updated : Nov 1, 2020, 4:16 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा 'रोशनी भूमि योजना' में कथित घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के तीन सप्ताह बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि वह इस योजना के तहत की गई सभी कार्रवाई को रद्द करेगा और छह महीने में सारी जमीन पुन: प्राप्त करेगा.

उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने नौ अक्टूबर को योजना में कथित अनियमित्ताओं को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया था और एजेंसी को हर आठ सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश भी दिया था.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उच्च न्यायालय का आदेश लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें अदालत ने समय-समय पर संशोधित किए गए जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 को असंवैधानिक, कानून के विपरीत और अस्थिर करार दिया था.

माना जाता है कि रोशनी भूमि योजना के नाम से पहचाना जाने वाला यह कानून एक क्रांतिकारी कदम था और इसका दोहरा उद्देश्य था. इसमें बिजली परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए संसाधन जुटाना और राज्य की भूमि पर कब्जा करने वालों के लिए मालिकाना हक प्रदान करना शामिल था.

गौरतलब है कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर के कई रसूखदार नेता, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और भू-माफिया शामिल रहे हैं. राजनेताओं, व्यापारियों और नौकरशाहों को राज्य की भूमि को अपने स्वामित्व में स्थानांतरित करने और मनमाने ढंग से तय दरें निर्धारित करने पर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.

यह भी पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : विवादास्पद रोशनी एक्ट असंवैधानिक करार, सीबीआई करेगी जांच

कैग की रिपोर्ट
कैग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि 25,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले केवल 76 करोड़ रुपये ही निजी स्वामित्व में भूमि के हस्तांतरण से प्राप्त हुए.

क्या है रोशनी एक्‍ट
रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था. इसके बदले उनसे एक निश्चित रकम ली जाती थी, जो सरकार की ओर से तय की जाती थी. 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने कानून लागू किया था.

25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की थी योजना
नवंबर 2001 में राज्य विधानमंडल द्वारा इसे अधिनियमित किया गया और मार्च 2002 में इस कानून को लागू किया गया था. इसके तहत राज्य में जल विद्युत उत्पादन के लिए धन जुटाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें राज्य की भूमि को निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करके 25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की योजना थी.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा 'रोशनी भूमि योजना' में कथित घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के तीन सप्ताह बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि वह इस योजना के तहत की गई सभी कार्रवाई को रद्द करेगा और छह महीने में सारी जमीन पुन: प्राप्त करेगा.

उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने नौ अक्टूबर को योजना में कथित अनियमित्ताओं को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया था और एजेंसी को हर आठ सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश भी दिया था.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उच्च न्यायालय का आदेश लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें अदालत ने समय-समय पर संशोधित किए गए जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 को असंवैधानिक, कानून के विपरीत और अस्थिर करार दिया था.

माना जाता है कि रोशनी भूमि योजना के नाम से पहचाना जाने वाला यह कानून एक क्रांतिकारी कदम था और इसका दोहरा उद्देश्य था. इसमें बिजली परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए संसाधन जुटाना और राज्य की भूमि पर कब्जा करने वालों के लिए मालिकाना हक प्रदान करना शामिल था.

गौरतलब है कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर के कई रसूखदार नेता, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और भू-माफिया शामिल रहे हैं. राजनेताओं, व्यापारियों और नौकरशाहों को राज्य की भूमि को अपने स्वामित्व में स्थानांतरित करने और मनमाने ढंग से तय दरें निर्धारित करने पर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.

यह भी पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : विवादास्पद रोशनी एक्ट असंवैधानिक करार, सीबीआई करेगी जांच

कैग की रिपोर्ट
कैग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि 25,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले केवल 76 करोड़ रुपये ही निजी स्वामित्व में भूमि के हस्तांतरण से प्राप्त हुए.

क्या है रोशनी एक्‍ट
रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था. इसके बदले उनसे एक निश्चित रकम ली जाती थी, जो सरकार की ओर से तय की जाती थी. 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने कानून लागू किया था.

25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की थी योजना
नवंबर 2001 में राज्य विधानमंडल द्वारा इसे अधिनियमित किया गया और मार्च 2002 में इस कानून को लागू किया गया था. इसके तहत राज्य में जल विद्युत उत्पादन के लिए धन जुटाने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें राज्य की भूमि को निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करके 25,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की योजना थी.

Last Updated : Nov 1, 2020, 4:16 PM IST
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