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SSLV का विकास कर रहा है इसरो, 11.97 करोड़ रुपये की मिली मंजूरी - वरिष्ठ वैज्ञानिक एस सोमनाथ

सरकार ने इसरो को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का विकास करने के लिए 11.97 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरा दे दी है. SSLV का विकास छोटे वाणिज्यिक उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के लिए किया जा रहा है. इसकी अनुमानित लागत 30 करोड़ रुपये है. पढ़ें पूरी खबर...

funding for SSLV approved
फाइल फोटो
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Published : Dec 15, 2019, 1:40 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle) का विकास कर रहा है. इस परियोजना के लिए सरकार को संसद से 11.97 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर मंजूरी मिल गई है. अनुदान की पूरक मांग संबंधी दस्तावेज से यह जानकरी मिली है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश 2019-20 की अनुदान की पूरक मांगों के पहले बैच के दस्तावेज के अनुसार 'लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के विकास के लिए 11.97 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है.' संसद में अनुदान की पूरक मांगों पर चर्चा के बाद इसे मंजूरी मिल गई.

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान SSLV का विकास छोटे वाणिज्यिक उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के मकसद से किया जा रहा है. इसकी अनुमानित लागत 30 करोड़ रुपए है. इसकी पहली उड़ान अगले साल के प्रारंभ में होने की संभावना है.

इसरो की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अब तक 33 देशों के 319 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कोरिया, कनाडा, जर्मनी, बेल्जियम, इटली, फिनलैंड, इजराइल जैसे देश शामिल हैं.

इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस के वरिष्ठ फेलो कैप्टन अजय लेले ने बताया कि इसरो अपने अधिकांश उपभोक्ताओं के उपग्रहों का प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपन यान (PSLV) के जरिए करता है. हालांकि घरेलू प्रतिबद्धताओं एवं विभिन्न प्रकार के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना को आगे बढ़ाने के क्रम में इस पर भार बढ़ता है.

पढ़ें-विशेष लेख : स्पेस मार्केट में इसरो का बढ़ता दबदबा

उन्होंने कहा कि कई बार नैनो उपग्रहों को भी PSLV के माध्यम से ही प्रक्षेपित किया जाता है. ऐसे में इसरो को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का विकास करने की जरूरत महसूस हुई. यह इस दिशा में भी महत्वपूर्ण है कि आने वाले समय में इसरो उपग्रह प्रक्षेपण के वृहद बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि लघु उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के माध्यम से छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाना सुगम होगा और इसके माध्यम से प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) की तुलना मे कम खर्चीला होगा.

उन्होंने कहा था कि इसके माध्यम से 500 किलोग्राम भार तक के उपग्रह को निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकेगा.

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle) का विकास कर रहा है. इस परियोजना के लिए सरकार को संसद से 11.97 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर मंजूरी मिल गई है. अनुदान की पूरक मांग संबंधी दस्तावेज से यह जानकरी मिली है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश 2019-20 की अनुदान की पूरक मांगों के पहले बैच के दस्तावेज के अनुसार 'लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के विकास के लिए 11.97 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है.' संसद में अनुदान की पूरक मांगों पर चर्चा के बाद इसे मंजूरी मिल गई.

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान SSLV का विकास छोटे वाणिज्यिक उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के मकसद से किया जा रहा है. इसकी अनुमानित लागत 30 करोड़ रुपए है. इसकी पहली उड़ान अगले साल के प्रारंभ में होने की संभावना है.

इसरो की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अब तक 33 देशों के 319 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कोरिया, कनाडा, जर्मनी, बेल्जियम, इटली, फिनलैंड, इजराइल जैसे देश शामिल हैं.

इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस के वरिष्ठ फेलो कैप्टन अजय लेले ने बताया कि इसरो अपने अधिकांश उपभोक्ताओं के उपग्रहों का प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपन यान (PSLV) के जरिए करता है. हालांकि घरेलू प्रतिबद्धताओं एवं विभिन्न प्रकार के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना को आगे बढ़ाने के क्रम में इस पर भार बढ़ता है.

पढ़ें-विशेष लेख : स्पेस मार्केट में इसरो का बढ़ता दबदबा

उन्होंने कहा कि कई बार नैनो उपग्रहों को भी PSLV के माध्यम से ही प्रक्षेपित किया जाता है. ऐसे में इसरो को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का विकास करने की जरूरत महसूस हुई. यह इस दिशा में भी महत्वपूर्ण है कि आने वाले समय में इसरो उपग्रह प्रक्षेपण के वृहद बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि लघु उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के माध्यम से छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाना सुगम होगा और इसके माध्यम से प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) की तुलना मे कम खर्चीला होगा.

उन्होंने कहा था कि इसके माध्यम से 500 किलोग्राम भार तक के उपग्रह को निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकेगा.

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Print Printपीटीआई-भाषा संवाददाता 11:34 HRS IST

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान का विकास कर रहा है इसरो, 11.97 करोड़ रूपये की मिली मंजूरी

(दीपक रंजन) नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान :एसएसएलवी: का विकास कर रहा है और इस परियोजना के लिये सरकार को संसद से 11.97 करोड़ रूपये के प्रस्ताव पर मंजूरी मिल गई है । अनुदान की पूरक मांग संबंधी दस्तावेज से यह जानकरी मिली है ।



वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश 2019..20 की अनुदान की पूरक मांगों के पहले बैच के दस्तावेज के अनुसार, ‘‘ लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान :एसएसएलवी: के विकास के लिये 11.97 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया गया है । ’’ संसद में अनुदान की पूरक मांगों पर चर्चा के बाद इसे मंजूरी मिल गई ।



लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान :एसएसएलवी: का विकास छोटे वाणिज्यिक उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के मकसद से किया जा रहा है । इसकी अनुमानित लागत 30 करोड़ रूपये है। इसकी पहली उड़ान अगले साल के प्रारंभ में होने की संभावना है ।



इसरो की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अब तक 33 देशों के 319 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है । इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कोरिया, कनाडा, जर्मनी, बेल्जियम, इटली, फिनलैंड, इजराइल जैसे देश शामिल हैं ।



इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस के वरिष्ठ फेलो कैप्टन अजय लेले ने ‘भाषा’ को बताया कि इसरो अपने अधिकांश उपभोक्ताओं के उपग्रहों का प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपन यान के जरिये करता है । हालांकि घरेलू प्रतिबद्धताओं एवं विभिन्न प्रकार के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना को आगे बढ़ाने के क्रम में इस पर भार बढ़ता है।



उन्होंने कहा कि कई बार नैनो उपग्रहों को भी पीएसएलवी के माध्यम से ही प्रक्षेपित किया जाता है । ऐसे में इसरो को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान :एसएसएलवी: का विकास करने की जरूरत महसूस हुई । यह इस दिशा में भी महत्वपूर्ण है कि आने वाले समय में इसरो उपग्रह प्रक्षेपण के वृहद बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि लघु उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के माध्यम से छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाना सुगम होगा और इसके माध्यम से प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान :पीएसएलवी: की तुलना मे कम खर्चीला होगा ।



उन्होंने कहा था कि इसके माध्यम से 500 किलोग्राम भार तक के उपग्रह को निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकेगा ।


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