हैदराबाद : हाल ही में इसरो के PSLV (Polar Space launching vehicle) ने 50वीं बार उड़ान भरकर नौ उपग्रहों को प्रक्षेपित किया. इनमें पृथ्वी की निगरानी करने वाला उपग्रह 'रिसैट-2बीआर1' भी शामिल था. वर्ष 2019 में इसरो ने कुल सात भारतीय उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया.
आइए नजर डालते हैं, इन सात उपग्रहों और उनकी विशेषताओं पर :
- माइक्रोसेट-आर (Microsat-R) : जनवरी 24, 2019 को इसे PSLV-C44 से प्रक्षेपित कर 274 किमी की सूर्य-तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा(SSPO) में स्थापित किया गया. माइक्रोसैट-आर एक इमेज सेंसिंग उपग्रह है. यह श्रीहारिकोटा से 70वां प्रक्षेपण था.
- जीसैट-31 (GSAT-31) : यह उपग्रह फरवरी 06, 2019 को फ्रांस के एक बेस प्रक्षेपित किया गया था. यह एक संचार उपग्रह है, जो संचार को बेहतर बनाने में मदद करेगा. इसका वजन 2536 किलोग्राम है, उपग्रह को Ariane-5 VA-247 से प्रक्षेपित कर भूस्थिर अंतरण कक्षा (Geostationary transfer orbit) में स्थापित किया गया. इस उपग्रह के मिशन की अवधी 15 वर्ष है.
- एमिसैट (EMISAT) : इसे इसरो के लघु उपग्रह-2 बस के आधार पर निर्मित किया गया है, जिसका वजन लगभग 436 किलो है. PSLV-C45 द्वारा अप्रैल 01, 2019 को यह उपग्रह 748 किलोमीटर की ऊंचाई पर निर्धारित सूर्य-तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया. इस उपग्रह का उद्देश्य विद्युत चुम्बकीय स्पैक्ट्रम का मापन करना है.
- रिसैट-2बी (RISAT-2B) : ISRO द्वारा विकसित इस रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह को मई 22, 2019 को प्रक्षेपित किया गया था और इसका वजन लगभग 615 किलोग्राम है. इस उपग्रह का उपयोग आपदा प्रबंधन प्रणाली और पृथ्वी अवलोकन के लिए किया जाएगा. इस उपग्रह को PSLV-C46 की से लो अर्थ ऑरबिट में स्थापित किया गया. इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.
- चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) : यह एक अत्यंत जटिल मिशन था, जो इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी उन्नति को दर्शाता है. इसमें चंद्रमा के छूते दक्षिणी ध्रुव के बारे में खोज करने के लिए एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल था. इस मिशन को इस प्रकार डिजाइन किया गया था, ताकि चंद्रमा की स्थलाकृति के अध्ययन, भूकंपमापन, खनिज की पहचान एवं वितरण, सतह की रासायनिक बनावट, ऊपरी मिट्टी का ऊष्म-भौतिकीय लक्षण एवं विरल चंद्र वायुमंडल की बनावट के अध्ययन के द्वारा चंद्रमा के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाया जा सके और चंद्रमा की उत्पत्ति तथा विकास के बारे में नईं जानकारियां प्राप्त हो सके. इसको चंद्रमा की सतह पर विभिन्न तरह के शोध करने के लिए बनाया गया था. इसको जुलाई 22, 2019 को GSLV-Mk III - M1 से प्रक्षेपित किया गया था.
- कार्टोसैट-3 (Cartosat-3) : यह तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है, जिसमें उच्च रिजॉल्यूशन में तस्वीरें खींचने की क्षमता है. इससे बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन, बुनियादी ढांचे के विकास और तटीय भूमि के उपयोग आदि के लिए उपयोगकर्ता की बढ़ी हुई मांगों को पूरा किया जाएगा. 1625 किलोग्राम के इस उपग्रह को 27 नवंबर को PSLV-C47 से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह सूर्य-तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में है और इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.
- रिसैट-2बीआर1 (RISAT-2BR1) : यह एक रेडार प्रतिबिंबन भू-प्रेक्षण उपग्रह है. इसका वजन 628 किलोग्राम है और इसे PSLV-C48 से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह कृषि, वानिकी एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सेवाएं मुहैया कराएगा. यह उपग्रह लो अर्थ ऑरबिट में है. इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.
चंद्रयान-2 के अलावा सभी उपग्रह सफलता की राह पर हैं. हार्ड लैंडिग करने के कारण चंद्रयान-2 पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया. हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों ने अंतरिक्ष विज्ञान में असाधारण प्रयासों के लिए इसरो प्रमुख डॉ के सिवन को बधाई दी थी. हमेशा की तरह इसरो के पास 2020 तक के लिए कई परियोजनाएं हैं, जो इसरो को नईं उंचाइयों तक लेकर जाएंगी.