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चंद्रयान-2 की विफलता के बावजूद इसरो ने 2019 में स्थापित किए नए आयाम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के लिए वर्ष 2019 अत्यंत महत्वपूर्ण था. 2019 में इसरो ने कुल सात भारतीय उपग्रहों का प्रक्षेपण किया. इन उपग्रहों में संचार से लेकर आपदा प्रबंधन में मदद करने वाले उपग्रह शामिल हैं. इसरो के असाधारण प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो की सराहना की.

isro satellites in 2019
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Published : Dec 28, 2019, 10:23 PM IST

हैदराबाद : हाल ही में इसरो के PSLV (Polar Space launching vehicle) ने 50वीं बार उड़ान भरकर नौ उपग्रहों को प्रक्षेपित किया. इनमें पृथ्वी की निगरानी करने वाला उपग्रह 'रिसैट-2बीआर1' भी शामिल था. वर्ष 2019 में इसरो ने कुल सात भारतीय उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया.

आइए नजर डालते हैं, इन सात उपग्रहों और उनकी विशेषताओं पर :

  • माइक्रोसेट-आर (Microsat-R) : जनवरी 24, 2019 को इसे PSLV-C44 से प्रक्षेपित कर 274 किमी की सूर्य-तुल्‍यकाली ध्रुवीय कक्षा(SSPO) में स्थापित किया गया. माइक्रोसैट-आर एक इमेज सेंसिंग उपग्रह है. यह श्रीहारिकोटा से 70वां प्रक्षेपण था.
  • जीसैट-31 (GSAT-31) : यह उपग्रह फरवरी 06, 2019 को फ्रांस के एक बेस प्रक्षेपित किया गया था. यह एक संचार उपग्रह है, जो संचार को बेहतर बनाने में मदद करेगा. इसका वजन 2536 किलोग्राम है, उपग्रह को Ariane-5 VA-247 से प्रक्षेपित कर भूस्थिर अंतरण कक्षा (Geostationary transfer orbit) में स्थापित किया गया. इस उपग्रह के मिशन की अवधी 15 वर्ष है.
    isro satellites in 2019
    2019 में इसरो द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह
  • एमिसैट (EMISAT) : इसे इसरो के लघु उपग्रह-2 बस के आधार पर निर्मित किया गया है, जिसका वजन लगभग 436 किलो है. PSLV-C45 द्वारा अप्रैल 01, 2019 को यह उपग्रह 748 किलोमीटर की ऊंचाई पर निर्धारित सूर्य-तुल्‍यकाली ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में सफलतापूर्वक स्‍थापित किया गया. इस उपग्रह का उद्देश्‍य विद्युत चुम्‍बकीय स्‍पैक्‍ट्रम का मापन करना है.
  • रिसैट-2बी (RISAT-2B) : ISRO द्वारा विकसित इस रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह को मई 22, 2019 को प्रक्षेपित किया गया था और इसका वजन लगभग 615 किलोग्राम है. इस उपग्रह का उपयोग आपदा प्रबंधन प्रणाली और पृथ्वी अवलोकन के लिए किया जाएगा. इस उपग्रह को PSLV-C46 की से लो अर्थ ऑरबिट में स्थापित किया गया. इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.
    isro satellites in 2019
    2019 में इसरो द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह
  • चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) : यह एक अत्‍यंत जटिल मिशन था, जो इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में एक महत्‍वपूर्ण प्रौद्योगिकी उन्‍नति को दर्शाता है. इसमें चंद्रमा के छूते दक्षिणी ध्रुव के बारे में खोज करने के लिए एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल था. इस मिशन को इस प्रकार डिजाइन किया गया था, ताकि चंद्रमा की स्‍थलाकृति के अध्‍ययन, भूकंपमापन, खनिज की पहचान एवं वितरण, सतह की रासायनिक बनावट, ऊपरी मिट्टी का ऊष्‍म-भौतिकीय लक्षण एवं विरल चंद्र वायुमंडल की बनावट के अध्‍ययन के द्वारा चंद्रमा के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाया जा सके और चंद्रमा की उत्‍पत्ति तथा विकास के बारे में नईं जानकारियां प्राप्‍त हो सके. इसको चंद्रमा की सतह पर विभिन्न तरह के शोध करने के लिए बनाया गया था. इसको जुलाई 22, 2019 को GSLV-Mk III - M1 से प्रक्षेपित किया गया था.
  • कार्टोसैट-3 (Cartosat-3) : यह तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है, जिसमें उच्च रिजॉल्यूशन में तस्वीरें खींचने की क्षमता है. इससे बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन, बुनियादी ढांचे के विकास और तटीय भूमि के उपयोग आदि के लिए उपयोगकर्ता की बढ़ी हुई मांगों को पूरा किया जाएगा. 1625 किलोग्राम के इस उपग्रह को 27 नवंबर को PSLV-C47 से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह सूर्य-तुल्‍यकाली ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में है और इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.
  • रिसैट-2बीआर1 (RISAT-2BR1) : यह एक रेडार प्रतिबिंबन भू-प्रेक्षण उपग्रह है. इसका वजन 628 किलोग्राम है और इसे PSLV-C48 से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह कृषि, वानिकी एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सेवाएं मुहैया कराएगा. यह उपग्रह लो अर्थ ऑरबिट में है. इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.

चंद्रयान-2 के अलावा सभी उपग्रह सफलता की राह पर हैं. हार्ड लैंडिग करने के कारण चंद्रयान-2 पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया. हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है.

पढ़ें-पीएसएलवी ने रचा 'स्वर्णिम' इतिहास, 50वें मिशन में 9 उपग्रहों का प्रक्षेपण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों ने अंतरिक्ष विज्ञान में असाधारण प्रयासों के लिए इसरो प्रमुख डॉ के सिवन को बधाई दी थी. हमेशा की तरह इसरो के पास 2020 तक के लिए कई परियोजनाएं हैं, जो इसरो को नईं उंचाइयों तक लेकर जाएंगी.

हैदराबाद : हाल ही में इसरो के PSLV (Polar Space launching vehicle) ने 50वीं बार उड़ान भरकर नौ उपग्रहों को प्रक्षेपित किया. इनमें पृथ्वी की निगरानी करने वाला उपग्रह 'रिसैट-2बीआर1' भी शामिल था. वर्ष 2019 में इसरो ने कुल सात भारतीय उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया.

आइए नजर डालते हैं, इन सात उपग्रहों और उनकी विशेषताओं पर :

  • माइक्रोसेट-आर (Microsat-R) : जनवरी 24, 2019 को इसे PSLV-C44 से प्रक्षेपित कर 274 किमी की सूर्य-तुल्‍यकाली ध्रुवीय कक्षा(SSPO) में स्थापित किया गया. माइक्रोसैट-आर एक इमेज सेंसिंग उपग्रह है. यह श्रीहारिकोटा से 70वां प्रक्षेपण था.
  • जीसैट-31 (GSAT-31) : यह उपग्रह फरवरी 06, 2019 को फ्रांस के एक बेस प्रक्षेपित किया गया था. यह एक संचार उपग्रह है, जो संचार को बेहतर बनाने में मदद करेगा. इसका वजन 2536 किलोग्राम है, उपग्रह को Ariane-5 VA-247 से प्रक्षेपित कर भूस्थिर अंतरण कक्षा (Geostationary transfer orbit) में स्थापित किया गया. इस उपग्रह के मिशन की अवधी 15 वर्ष है.
    isro satellites in 2019
    2019 में इसरो द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह
  • एमिसैट (EMISAT) : इसे इसरो के लघु उपग्रह-2 बस के आधार पर निर्मित किया गया है, जिसका वजन लगभग 436 किलो है. PSLV-C45 द्वारा अप्रैल 01, 2019 को यह उपग्रह 748 किलोमीटर की ऊंचाई पर निर्धारित सूर्य-तुल्‍यकाली ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में सफलतापूर्वक स्‍थापित किया गया. इस उपग्रह का उद्देश्‍य विद्युत चुम्‍बकीय स्‍पैक्‍ट्रम का मापन करना है.
  • रिसैट-2बी (RISAT-2B) : ISRO द्वारा विकसित इस रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह को मई 22, 2019 को प्रक्षेपित किया गया था और इसका वजन लगभग 615 किलोग्राम है. इस उपग्रह का उपयोग आपदा प्रबंधन प्रणाली और पृथ्वी अवलोकन के लिए किया जाएगा. इस उपग्रह को PSLV-C46 की से लो अर्थ ऑरबिट में स्थापित किया गया. इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.
    isro satellites in 2019
    2019 में इसरो द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह
  • चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) : यह एक अत्‍यंत जटिल मिशन था, जो इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में एक महत्‍वपूर्ण प्रौद्योगिकी उन्‍नति को दर्शाता है. इसमें चंद्रमा के छूते दक्षिणी ध्रुव के बारे में खोज करने के लिए एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल था. इस मिशन को इस प्रकार डिजाइन किया गया था, ताकि चंद्रमा की स्‍थलाकृति के अध्‍ययन, भूकंपमापन, खनिज की पहचान एवं वितरण, सतह की रासायनिक बनावट, ऊपरी मिट्टी का ऊष्‍म-भौतिकीय लक्षण एवं विरल चंद्र वायुमंडल की बनावट के अध्‍ययन के द्वारा चंद्रमा के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाया जा सके और चंद्रमा की उत्‍पत्ति तथा विकास के बारे में नईं जानकारियां प्राप्‍त हो सके. इसको चंद्रमा की सतह पर विभिन्न तरह के शोध करने के लिए बनाया गया था. इसको जुलाई 22, 2019 को GSLV-Mk III - M1 से प्रक्षेपित किया गया था.
  • कार्टोसैट-3 (Cartosat-3) : यह तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है, जिसमें उच्च रिजॉल्यूशन में तस्वीरें खींचने की क्षमता है. इससे बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन, बुनियादी ढांचे के विकास और तटीय भूमि के उपयोग आदि के लिए उपयोगकर्ता की बढ़ी हुई मांगों को पूरा किया जाएगा. 1625 किलोग्राम के इस उपग्रह को 27 नवंबर को PSLV-C47 से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह सूर्य-तुल्‍यकाली ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में है और इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.
  • रिसैट-2बीआर1 (RISAT-2BR1) : यह एक रेडार प्रतिबिंबन भू-प्रेक्षण उपग्रह है. इसका वजन 628 किलोग्राम है और इसे PSLV-C48 से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह कृषि, वानिकी एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सेवाएं मुहैया कराएगा. यह उपग्रह लो अर्थ ऑरबिट में है. इस मिशन की अवधि पांच वर्ष है.

चंद्रयान-2 के अलावा सभी उपग्रह सफलता की राह पर हैं. हार्ड लैंडिग करने के कारण चंद्रयान-2 पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया. हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है.

पढ़ें-पीएसएलवी ने रचा 'स्वर्णिम' इतिहास, 50वें मिशन में 9 उपग्रहों का प्रक्षेपण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों ने अंतरिक्ष विज्ञान में असाधारण प्रयासों के लिए इसरो प्रमुख डॉ के सिवन को बधाई दी थी. हमेशा की तरह इसरो के पास 2020 तक के लिए कई परियोजनाएं हैं, जो इसरो को नईं उंचाइयों तक लेकर जाएंगी.

Intro:Body:Microsat-R, Chandrayaan-2 to RISAT-2BR1 : Total of 7 satellites launched by ISRO in 2019

Bengaluru: ISRO has launched a total of 7 satellites in 2019, here is a list of all 7 satellites and a brief introduction of India's pride ISRO achievements of 2019.

1.         Microsat-R : An image sensing satellite was launched on January 24, 2019 by ISRO, and was successfully injected into intended orbit of 274 km by PSLV-C44. This was the first launch of 2019, And this will be 70th lauch from Shriharikota.
2.         GSAT-31 : Second launch of ISRO was GSAT-31, this communication satellite was launched on February 6th to provide better connectivity for transferring mass or bulk data, ATM's. Digital satellite news gathering ( DSNG), In simpler terms this satellite will make signal quality better of own Set top boxes, Mobile networks and so on. GSAT- 31 was launched at Kourou launch base which is in France.
3.         EMISAT: is a satellite built around ISRO’s Mini Satellite-2 bus weighing about 436 kg. The satellite was successfully placed in its intended sun-synchronous polar orbit of 748 km height by PSLV-C45 on April 01, 2019. The satellite is intended for electromagnetic spectrum measurement which was launched on April 1st.
4.         RISAT-2B: radar imaging earth observation satellite developed by ISRO, weighing around 615kg. This satellite will be used for disaster management system and Earth observation.
5.         Chandrayaan 2: Chandrayaan-2 mission is a highly complex mission, which represents a significant technological leap compared to the previous missions of ISRO. It comprised an Orbiter, Lander and Rover to explore the unexplored South Pole of the Moon. The mission is designed to expand the lunar scientific knowledge through detailed study of topography, seismography, mineral identification and distribution, surface chemical composition, thermo-physical characteristics of top soil and composition of the tenuous lunar atmosphere, leading to a new understanding of the origin and evolution of the Moon. This satellite was launched on July 22nd.
6.         Cartosat-3: 3 rd generation advanced satellite having a capability of high resolution imaging. Launched on November 27th will address the increased user’s demands for large scale urban planning, rural resource and infrastructure development, coastal land use and land cover etc.
7.         RISAT-2BR1: is a radar imaging earth observation satellite. The satellite will provide services in the field of Agriculture, Forestry and Disaster Management. Launched on December 11th, with application of disaster management system and earth observing.
These 7 satellites were launched by ISRO and most of them are in success path, while Chrandrayaan-2 had lot of expectation due to the hard crash it couldn’t make it. However From Prime Minister Narendra Modi and the people of India had Congratulated ISRO Chief Dr. K Sivan for his extraordinary efforts in space science. As usual ISRO has many projects for 2020 as well, lets sit back and see ISRO grow high and achieve all its targets .



Conclusion:
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