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इसरो ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें जारी कीं - chandrayaan 2

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चांद की सकह की तस्वीरें जारी की हैं. ये तस्वीरें चंद्रयान-2 के हिस्से ऑर्बिटर ने ली हैं. इन तस्वीरों से कई चीजों के बारे में पता चलता है. जानने के लिए पढ़ें...

चांंद की सतह.
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Published : Oct 5, 2019, 3:15 PM IST

चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर स्थित ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी) द्वारा ली गईं चंद्रमा की सतह की तस्वीरें जारी की हैं. इसरो के अनुसार, ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गई ये तस्वीरें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित बोगस्लावस्की ई क्रेटर और उसके आस-पास की है. इसका व्यास 14 किलोमीटर और गहराई तीन किलोमीटर है.

इसरो ने कहा कि तस्वीरों में चंद्रमा पर बड़े पत्थर और छोटे गड्ढे दिख रहे हैं. इस बीच कई फोटोज सामने आ चुकी है. लगातार इसरो विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास भी कर रहा है. इस समय वहां पर रात है, जिसके चलते संपर्क साधना मुश्किल है. इसके बावजूद भी इसरो वैज्ञानिकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है.

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इसरो द्वारा जारी चांंद की सतह की तस्वीर.

पढ़ें: लैंडर विक्रम से संपर्क साधने का हो रहा हर संभव प्रयास: इसरो

बता दें, सात सितंबर को ही लैंडर विक्रम चांद पर उतरने वाला था, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग से कुछ ही क्षण पहले लैंडर से संपर्क टूट गया. चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर ही लैंडर विक्रम का ग्राउड स्टेशन से संपर्ट टूट गया.

यदि भारत चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल होता तो वो ऐसा पहले करने वाले देशों की सूची में चौथा स्थान हासिल कर लेता. ऐसा करने वाले देशों में अब तक तीन देश शामिल हैं, जिनमें रूस, अमेरिका और चीन हैं.

चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर स्थित ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी) द्वारा ली गईं चंद्रमा की सतह की तस्वीरें जारी की हैं. इसरो के अनुसार, ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गई ये तस्वीरें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित बोगस्लावस्की ई क्रेटर और उसके आस-पास की है. इसका व्यास 14 किलोमीटर और गहराई तीन किलोमीटर है.

इसरो ने कहा कि तस्वीरों में चंद्रमा पर बड़े पत्थर और छोटे गड्ढे दिख रहे हैं. इस बीच कई फोटोज सामने आ चुकी है. लगातार इसरो विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास भी कर रहा है. इस समय वहां पर रात है, जिसके चलते संपर्क साधना मुश्किल है. इसके बावजूद भी इसरो वैज्ञानिकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है.

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इसरो द्वारा जारी चांंद की सतह की तस्वीर.

पढ़ें: लैंडर विक्रम से संपर्क साधने का हो रहा हर संभव प्रयास: इसरो

बता दें, सात सितंबर को ही लैंडर विक्रम चांद पर उतरने वाला था, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग से कुछ ही क्षण पहले लैंडर से संपर्क टूट गया. चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर ही लैंडर विक्रम का ग्राउड स्टेशन से संपर्ट टूट गया.

यदि भारत चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल होता तो वो ऐसा पहले करने वाले देशों की सूची में चौथा स्थान हासिल कर लेता. ऐसा करने वाले देशों में अब तक तीन देश शामिल हैं, जिनमें रूस, अमेरिका और चीन हैं.

Intro:ಪ್ಲೀಸ್ ನಮ್ಮನ್ನು ಬಿಟ್ಟು ಹೋಗ್ಬೇಡಿ, ನೀವಿಲ್ಲದೆ ನಾವಿಲ್ಲ. ದಯವಿಟ್ಟು ನಮ್ಮನ್ನು ಬಿಟ್ಟು ಹೋಗ್ಬೇಡಿ.... ಹೀಗೆ ಮಕ್ಕಳು ಕಣ್ಣಿರು ಇಡುತ್ತಿದ್ದರೆ ನೆರೆದವರ ಕಣ್ಣಾಲೆಗಳು ಒದ್ದೆಯಾದವು. ಇಷ್ಟಕ್ಕೂ ಮಕ್ಕಳ ರೋಧನೆಗೆ ಕಾರಣ ಏನು ಅಂತಿರಾ?
Body:ನಮ್ಮನ್ನು ಬಿಟ್ ಹೋಗ್ಬೇಡಿ ಪ್ಲೀಸ್ ಎಂದು ಕಣ್ಣೀರಿಟ್ಟ ಮಕ್ಕಳು
ಗಂಗಾವತಿ:
ಪ್ಲೀಸ್ ನಮ್ಮನ್ನು ಬಿಟ್ಟು ಹೋಗ್ಬೇಡಿ, ನೀವಿಲ್ಲದೆ ನಾವಿಲ್ಲ. ದಯವಿಟ್ಟು ನಮ್ಮನ್ನು ಬಿಟ್ಟು ಹೋಗ್ಬೇಡಿ.... ಹೀಗೆ ಮಕ್ಕಳು ಕಣ್ಣಿರು ಇಡುತ್ತಿದ್ದರೆ ನೆರೆದವರ ಕಣ್ಣಾಲೆಗಳು ಒದ್ದೆಯಾದವು. ಇಷ್ಟಕ್ಕೂ ಮಕ್ಕಳ ರೋಧನೆಗೆ ಕಾರಣ ಏನು ಅಂತಿರಾ?
ಹಾಗಾದರೆ ಇಲ್ಲಿ ಒಮ್ಮೆ ಕಣ್ಣು ಹಾಯಿಸಿ..
ನಗರದ ವಿರುಪಾಪುರದಲ್ಲಿರುವ ಸರಕಾರಿ ಹಿರಿಯ ಪ್ರಾಥಮಿಕ ಶಾಲೆಯಲ್ಲಿ ಸಹ ಶಿಕ್ಷಕಿಯಾಗಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದ ರಜಿನಿ ಅವರಿಗೆ ಮರಳಿಯ ಸರಕಾರಿ ಹಿರಿಯ ಪ್ರಾಥಮಿಕ ಶಾಲೆಗೆ ವಗರ್ಾವಣೆಯಾಗಿದೆ.
ಕಳೆದ ಎಂಟು ವರ್ಷದಿಂದ ವಿರುಪಾಪುರದಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದ ರಜಿನಿ, ಮಕ್ಕಳ ಅಚ್ಚುಮೆಚ್ಚಿನ ಶಿಕ್ಷಕಿಯಾಗಿದ್ದರು. ಮಕ್ಕಳೊಂದಿಗೆ ಬೆರೆತು ಪಾಠ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದ ಶೈಲಿಗೆ ಸ್ವತಃ ಪಾಲಕರು ಮನಸೊತ್ತಿದ್ದರು.
ಶಿಕ್ಷಕಿ ಮತ್ತು ಮಕ್ಕಳ ಮಧ್ಯೆ ಅನೋನ್ಯ ಸಂಬಂಧ ಏರ್ಪಟ್ಟಿತ್ತು. ಹಿಗಾಗಿ ಶಿಕ್ಷಕಿ ವಗರ್ಾವಣೆಯನ್ನು ವಿರೋಧಿಸಿ ಮಕ್ಕಳು ರೋಧಿಸುತ್ತಿದ್ದ ದೃಶ್ಯ ಕಂಡು ಬಂತು. ಇದು ಪಾಲಕರ ಕಣ್ಣಲ್ಲೂ ಹನಿ ಜಿನುಗುವಂತೆ ಮಾಡಿತು.

Conclusion:ಶಿಕ್ಷಕಿ ಮತ್ತು ಮಕ್ಕಳ ಮಧ್ಯೆ ಅನೋನ್ಯ ಸಂಬಂಧ ಏರ್ಪಟ್ಟಿತ್ತು. ಹಿಗಾಗಿ ಶಿಕ್ಷಕಿ ವಗರ್ಾವಣೆಯನ್ನು ವಿರೋಧಿಸಿ ಮಕ್ಕಳು ರೋಧಿಸುತ್ತಿದ್ದ ದೃಶ್ಯ ಕಂಡು ಬಂತು. ಇದು ಪಾಲಕರ ಕಣ್ಣಲ್ಲೂ ಹನಿ ಜಿನುಗುವಂತೆ ಮಾಡಿತು.
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