नई दिल्ली : मोदी सरकार के लिए एक बड़ी राहत उस समय आई जब सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने 2:1 की बहुमत से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. हालांकि, कोर्ट ने कुछ शर्तें भी रखी थी. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था दी गई मंजूरी में भूमि उपयोग में बदलाव और पर्यावरणीय मंजूरी में कोई कमी नहीं दिखती है. जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने कहा था कि हेरीटेज संरक्षण समिति की मंजूरी की जरूरत है.
1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता
इस परियोजना में 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता के साथ एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है. अगस्त 2022 तक इस परियोजना के निर्माण का अनुमान है, जब देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा.
नए भवन का निर्माण करीब 93 साल पहले बने मौजूदा संसद भवन के सामने होना है. उस वक्त 83 लाख रुपये की लागत से बने इस भवन को संग्रहालय में बदल दिया जाएगा.
888 और 384 सीट
नए भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए हॉल का निर्माण किया जाएगा, जिनकी क्षमता क्रमश: 888 और 384 सीटों की होगी. इनका निर्माण 2026 में होने वाले संसद के सदस्यों में होने वाली वृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है. लोकसभा हॉल में 1,272 लोगों के बैठने का इंतजाम होगा, ताकि संयुक्त सत्र का आयोजन किया जा सके.
971 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना
10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास रखा था. इस निर्माण में लगभग 971 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है और 2024 तक केंद्रीय सचिवालय के निर्माण की संभावना है.
क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर
सरकार के अनुसार नया संसद भवन चार मंजिला होगा. जिसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर होगा. नए संसद का निर्माण 2026 में होने वाले परिसीमन अभ्यास को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है. इस मौजूदा हालत में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सीटों की क्षमता है.
टाटा प्रोजेक्ट्स कर रही निर्माण
निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी टाटा प्रोजेक्ट्स राष्ट्रीय राजधानी में औपनिवेशिक काल की संरचना के स्थान पर नया संसद भवन का निर्माण करेगी.
नए संसद भवन में अब सांसदों को बड़ा चैंबर मिलेगा. आज एक सांसद को बमुश्किल 40 से 50 सेंटीमीटर का स्पेस मिलता है, अब नई व्यवस्था के तहत सांसदों को 60 बाय 60 का स्पेस मिलेगा.
वर्तमान में सरकार के अनुसार, दिल्ली में फैले अपने कार्यालयों के लिए सरकार सालाना 1,000 करोड़ रुपये किराए के रूप में खर्च करती है.
सरकार ने कहा कि केंद्रीय विस्टा को एक नए रूप की जरूरत है, जहां पीएमओ, सभी मंत्रालय एक-दूसरे से लगे हुए हों.
69 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने जताई थी चिंता
नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी और आरोप लगाया था कि शुरुआत से ही गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया जा रहा है. कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले 69 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने दावा किया था कि सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक प्राथमिकताओं के स्थान पर बेकार और अनावश्यक परियोजना को प्रधानता दे रही है.
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प्रोफेसर चेतन वैद्य का बयान
इस संबंध में ईटीवी भारत ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) के पूर्व निदेशक प्रोफेसर चेतन वैद्य से बात की. इस दौरान चेतन वैद्य ने कहा कि मेगा प्रोजेक्ट बहुत जरूरी था, क्योंकि मौजूदा इमारत बहुत पुरानी है और इसमें जगह की भी कमी है.
प्रोफेसर वैद्य ने कहा कि इस तरह के प्रोजेक्ट की लंबे समय से जरूरत थी. जाने-माने आर्किटेक्ट प्रोफेसर विमल पटेल ने इसका नक्शा बनाया है, जो बहुत अच्छा है. हम सभी को इस तरह के प्रोजेक्ट का समर्थन करना चाहिए.
वैद्य ने कहा कि मौजूदा संसद भवन का जीर्णोद्धार किया जाएगा और यह संग्रहालय में बदल जाएगा, जहां कई मौजूदा इमारतें हैं, जिन्हें वास्तव में नए निर्माण की जरूरत है.
हालांकि, विपक्षी दल सेंट्रल विस्टा परियोजना की लगातार आलोचना करते आ रहे हैं.
हन्नान मोल्लाह का बयान
पूर्व सांसद और सीपीएम के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि मोदी सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. वहीं गरीबों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है और सरकार गरीबों को पैसा आंवटित नहीं कर रही है. सरकार के पास ठेकेदारों के लिए पैसा है, जबकि हितधारकों को उनका विशाल कमीशन मिलेगा. यह पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा पूरा किया जा रहा एक अन्याय है.
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था खतरे में है. इस पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है. हन्नान मोल्लाह ने केंद्र की इस परियोजना की तीखी आचोलना की. मोल्लाह ने आरोप लगाया कि मौजूदा संरचनाओं को जमीनदोंज करके केंद्र सरकार इतिहास को नष्ट करने की कोशिश कर रही है.