नई दिल्ली: सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा है कि भारत में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस का पर्याप्त भंडार है और लोगों को गैस की कमी की डर से गैस सिलेंडर की बुकिंग बढ़ा कर आपूर्ति प्रणाली पर अनावश्यक दबाव नहीं पैदा करना चाहिए.
सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण आवागमन पर तीन सप्ताह की देश्व्यापी लॉकडाउन (बंद) में लोगों की जरूरत की पूर्ति के लिए ईंधन का पर्याप्त भंडार है.
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देश के सभी हिस्सों में पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई सुचारु रूप से चल रही है; किसी हिस्से में पेट्रोल, डीज़ल या एलपीजी को लेकर कोई किल्लत नहीं है: अध्यक्ष, इंडियन ऑयल#CoronaVirusUpdate #IndiaFightsCOVID19 pic.twitter.com/5L3fenoyGL
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इंडियन आयल इस समय अन्य कंपनियों के साथ मिल कर देश में ईंधन की जरूरतों के प्रबंध के व्यापक अभियान में लगी है.
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सिंह ने कहा, "देश में ईंधन की कोई कमी नहीं है. उन्हें घबराहट में एलपीजी की बुकिंग नहीं करनी चाहिए." सिंह कहा हमने पूरे अप्रैल महीने और उसके बाद की अवधि के लिए भी ईंधन की मांग का पूरा अंदाजा लगा लिया है. तेल शोधक इकाइयां जरूरत के हिसाब से काम कर रही हैं ताकि देश का ईंधन की पूरी मांग का इंतजाम किया जा सके. सभी ठोक भंडारण केंद्रों, एलपीजी वितरण केंद्रों और पेट्रोल पंप पर काम सामान्य ढंग से चल रहा है.
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के कारण आवाजाही पर देशव्यापी पाबंदी के चलते वहनों और विमानों आदि का परिचालन प्रभावित होने से डीजल पेट्रोल और विमान ईंधन की मांग घट गई है. मार्च में पेट्रोल की मांग 8% और डीजल की मांग 16% घट गई है. इसी तरह विमान ईंधन की मांग में भी 20% की गिरावट दर्ज की गई है.
सिंह ने कहा कि इस दौरान हालांकि रसोई गैस सिलेंडर की मांग में उछाल जरूर आया है लेकिन हम अपने सभी ग्राहकों की मांग पूरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना बंदी की घोषणा के बाद रसोई गैस रिफिल सिलेंडर की मांग 200% से भी अधिक उछल गयी है.
लोग संभवत भविष्य में किसी कमी की आशंका से खरीदारी या बुकिंग बढ़ा दी है. लेकिन सिंह ने ग्राहकों को आश्वस्त किया है कि गैस की कोई कमी नहीं होगी इसलिए उन्हें घबराहट में इसकी बुकिंग नहीं करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि ग्राहक घबराहट में अनावश्यक रूप से गैस सिलेंडर की बुकिंग शुरू कर देते हैं तो व्यवस्था पर दबाव पड़ता है. बुकिंग बढ़ने पर गैस सिलेंडर भरने के कारखानों को सूचना तत्काल दे दी जाती है और वे सिलेंडर भरने का काम तेज कर देते हैं.
वहां से सिलेंडर वितरकों को जाता है और वितरक अपने डिलिवरी कर्मचारियों के जरिए घर-घर सिलेंडर पहुंचाते हैं. यदि मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो पहले से दबाव में काम करने वाले वितरकों ओर डिलिवरी कर्मियों पर भी बोझ बढ़ जाता है.
सिंह ने कहा कि हल्की मांग कम होने से तेल शोधन संयंत्रों ने डीजल और पेट्रोल का उत्पादन 25 से 30% घटा दिया है. तेलशोधक कारखानों में कच्चे तेल के प्रसंस्करण से एक अनुपात में पेट्रोल, डीजल, मिट्टी तेल और विमान ईंधन तथा एलपीजी का उत्पादन होता है. यदि कच्चे तेल की प्रोसेसिंग कम होती है तो इन सभी सभी ईंधनों के उत्पादन में उसी अनुपात में कमी आती है.
(पीटीआई-भाषा)