तिरुवनंतपुरम : गरीबी से परेशान एक मां ने बाल कल्याण समिति (CWC ) को पत्र लिखकर अपने चार बच्चों का भरण पोषण करने में असमर्थता जताई. जिसके बाद CWC की टीम ने उसके घर पहुंच कर बच्चों का संरक्षण अपने हाथ में ले लिया था. इसके बाद राज्य बाल अधिकार आयोग (सीआरसी) ने इस मामले की जांच की और पाया कि बच्चों को पर्याप्त भोजन मिल रहा था.
राज्य बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष पी. सुरेश ने मीडिया को बयाया कि जांच में पाया गया है कि बच्चों को को पर्याप्त भोजन मिल रहा था. जांच में यह भी पाया गया कि महिला और बच्चे क्रूर उत्पीड़न से पीड़ित हैं.
अयोग ने यह भी खुलासा किया कि बच्चों का पिता शराब पीकर घर आता था और महिला और बच्चों के साथ मारपीट करता था.
सुरेश ने कहा कि सीआरसी की एक टीम उसके अस्थायी घर पर गई और उसके रिश्तेदारों और पड़ोसियों से आवश्यक जानकारी इकट्ठा की. जिला आपूर्ति अधिकारी ने बाल अधिकार आयोग के अधिकारियों की उपस्थिति में पीड़ित परिवार को बीपीएल राशन कार्ड सौंपा.
जानें क्या है पूरा मामला-
केरल में गरीबी से परेशान एक मां ने बाल कल्याण समिति (CWC ) को पत्र लिखकर अपने चार बच्चों का भरण पोषण करने में असमर्थता जताई.
महिला ने पत्र में लिखा था कि उसका पति नशा करता है और वह अपने बच्चों को भोजन मुहैया कराने में भी असमर्थ है. उसने यह भी कहा था कि एक बार एक बच्चे ने भूख के कारण कीचड़ खा लिया था.
पत्र मिलने के बाद सीडब्ल्यूसी के सदस्य परिवार के अस्थायी घर पहुंचे और बच्चों का संरक्षण अपने हाथ में ले लिया.
आठ लोगों का यह परिवार अस्थाई तंबू के घर में पिछले सात साल से रह रहा है. परिवार में महिला, उसका शराबी पति और उसके छह बच्चे हैं.
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महिला के दो छोटे बच्चों में एक तीन माह का और एक डेढ़ साल का है. उनकी परवरिश के लिए मां की मौजूदगी जरूरी है, लिहाजा उन्हें महिला के साथ छोड़ दिया गया. हालांकि अगर जरूरत पड़ती है तो CWC उनकी भी जिम्मेदारी ले लेगी.
फिलहाल बच्चों को अम्माथोट्टिल (Ammathottil) में भर्ती कराया गया है, जहां उन्हें शिक्षा सहित सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. बता दें कि वे 18 वर्ष की आयु तक CWC की देखरेख में रहेंगे.
अम्माथोट्टिल, केरल सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसके तहत जरूरमंद बच्चों की देखभाल और उनको सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.