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मिशन शक्तिः मनमोहन सरकार ने नहीं दी थी इजाजत - अंतरिक्ष महाशक्ति

पीएम मोदी ने देश को संबोधित कर बताया कि भारत ने अपना नाम अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में दर्ज करा लिया.

वीके सारस्वत
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Published : Mar 27, 2019, 5:32 PM IST

नई दिल्ली: भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश बन गया है, जो स्पेस 'वॉर' की योग्यता रखता है. इस तरह का प्रस्ताव मनमोहन सरकार के सामने भी रखा गया था, लेकिन उन्होंने इसकी इजाजत नहीं दी थी.

यह जानकारी वैज्ञानिक डॉ वीके सारस्वत ने दी है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सारस्वत ने कहा कि हमारे पास क्षमता पहले से थी. 2012-13 में ऐसा प्रस्ताव यूपीए सरकार के पास आया था. लेकिन मनमोहन सरकार ने ग्रीन सिग्नल नहीं दिया. अगर दे दिया जाता, तो 2014-15 में ही यह संभव हो पाता.

सारस्वत ने बताया कि इस बार डॉ सतीश रेड्डी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने पीएम मोदी के सामने प्रस्ताव रखा. पीएम मोदी ने तुरंत इसको हरी झंडी दे दी. उन्होंने कहा कि आप मिशन की शुरुआत कीजिए.

वीके सारस्वत से बातचीत.

सारस्वत ने बताया कि भारत अब परंपरागत और गैर परंपरागत दोनों ही क्षेत्रों में अपना लोहा मनवा लिया है.

पढ़ें-स्पेस 'वॉर' में भारत की एंट्री, मार गिराया लाइव सैटेलाइट

सारस्वत ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है. तकनीक के क्षेत्र में भारत ने बड़ी उन्नति हासिल की है. यह अतुलनीय है. वैज्ञानिकों से साबित कर दिया है कि हम किसी ने कम नहीं हैं.

एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण ‘मिशन शक्ति’ को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बुधवार को पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वैज्ञानिक एक दशक पहले ही एंटी सैटेलाइट मिसाइल बनाने में सक्षम थे, लेकिन उस समय की सरकार ने उन्हें कभी ऐसा करने की अनुमति नहीं दी.

नई दिल्ली: भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश बन गया है, जो स्पेस 'वॉर' की योग्यता रखता है. इस तरह का प्रस्ताव मनमोहन सरकार के सामने भी रखा गया था, लेकिन उन्होंने इसकी इजाजत नहीं दी थी.

यह जानकारी वैज्ञानिक डॉ वीके सारस्वत ने दी है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सारस्वत ने कहा कि हमारे पास क्षमता पहले से थी. 2012-13 में ऐसा प्रस्ताव यूपीए सरकार के पास आया था. लेकिन मनमोहन सरकार ने ग्रीन सिग्नल नहीं दिया. अगर दे दिया जाता, तो 2014-15 में ही यह संभव हो पाता.

सारस्वत ने बताया कि इस बार डॉ सतीश रेड्डी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने पीएम मोदी के सामने प्रस्ताव रखा. पीएम मोदी ने तुरंत इसको हरी झंडी दे दी. उन्होंने कहा कि आप मिशन की शुरुआत कीजिए.

वीके सारस्वत से बातचीत.

सारस्वत ने बताया कि भारत अब परंपरागत और गैर परंपरागत दोनों ही क्षेत्रों में अपना लोहा मनवा लिया है.

पढ़ें-स्पेस 'वॉर' में भारत की एंट्री, मार गिराया लाइव सैटेलाइट

सारस्वत ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है. तकनीक के क्षेत्र में भारत ने बड़ी उन्नति हासिल की है. यह अतुलनीय है. वैज्ञानिकों से साबित कर दिया है कि हम किसी ने कम नहीं हैं.

एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण ‘मिशन शक्ति’ को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बुधवार को पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वैज्ञानिक एक दशक पहले ही एंटी सैटेलाइट मिसाइल बनाने में सक्षम थे, लेकिन उस समय की सरकार ने उन्हें कभी ऐसा करने की अनुमति नहीं दी.

Intro:New Delhi: The former chief of Defence Research and Development Organisation (DRDO) Dr VK Saraswat on Wednesday said that India is now ready for space warefare too and cautioned not to "mess with India".


Body:"Don't mess India. We have anti satellite capability. In conventional warefare too nobody can play with India," said Saraswat in an exclusive interview to ETV Bharat.

Hours after Prime Minister Narendra Modi announced the success in the space mission, Saraswat said that it's a great day for India.

"It's historic. We have reached climax of technology...We reached pinnacle. It's really an achievement which is "unmatchable."

Hailing the DRDO, Saraswat said, "Our scientists have done a wonderful job. DRDO have demonstrated that we are the best amongst few."

He, however, recalled that no such initiative was taken in the previous UPA regime. "After Agni 5, we proposed for such satellite engagement, but we didn't get the response from the defence and security establishment of the previous regime," Saraswat said.



Conclusion:With this successful space mission, India has become number four in the club of super power nation in the "space technology domain" after US, Russia and China.

"If tomorrow there is a war in the space, today's success will warn our adversaries and at the same time it will give time for defence preparedness to fight in that direction," the former DRDO chief said.

end.
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