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आईसीएमआर के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक ने कोरोना पर की ईटीवी भारत से बातचीत

देशभर में कोरोना वायरस के मामलों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है. ऐसे में इस जानलेवा बीमारी से निबटने के तरीके और उपायों को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देने के लिए ईटीवी भारत से जुड़े आईसीएमआर के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. सुजीत कुमार भट्टाचार्य, जिन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत कर कोरोना वायरस और उसके प्रभावों पर अपने विचार साझा किए.

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ईटीवी भारत के माध्यम से आईसीएमआर के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक ने साझा किए अपने विचार /
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Published : May 2, 2020, 8:37 PM IST

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलरा एंड एंटरिक डिसीज (एनआईसीएडी) के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. सुजीत कुमार भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से साक्षात्कार में कोरोना महामारी और उसके प्रभाव पर अपने विचार साझा किए.

ईटीवी भारत द्वारा उनसे पूछे गए सवाल और उनके जवाब :

सवाल : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कोरोना वायरस के लिए एक नया टीका विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पहले ही कहा है कि उनके पास सार्स-कोविड-19 का जीनोम अनुक्रम है और एंटीजन विकसित करने के लिए डीएनए तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं. क्या यह आपको आशाजनक लगता है?

जवाब : हां! ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता कोविड-19 के खिलाफ एक टीका विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. वह पहले ही दो स्वस्थ व्यक्तियों का टीकाकरण कर चुके हैं और प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह चरण -1 का परीक्षण है जहां सुरक्षा और कुछ हद तक, प्रभावकारिता देखी जाएगी.

आगे के परीक्षणों के लिए तैयारी जारी है. टीकों को विकसित करने में भारत की भागीदारिता भी अहम है. वैक्सीन के निश्चित परिणामों की प्रतीक्षा करनी होगी.

सवाल : आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में कोविड-19 के लिए सकारात्मकता दर लगभग 4.5 प्रतिशत है. क्या आप इसके लिए सहमत हैं?

जवाब : हां! ना मानने का कोई कारण ही नहीं है. हालांकि हमें सैंपल का साइज याद रखना चाहिए. किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए यह जरूरी है.

सवाल : क्या आपको लगता है कि देश भर में और परीक्षण किए जाने चाहिए, खासकर गांवों में और चूंकि जांच इतने सही तरह से नहीं हो रही है और हमें अच्छी तस्वीर नहीं मिल पा रही ?

जवाब : हां यह सही है. परीक्षण किट की उपलब्धता, जनसंख्या तक पहुंच, सामाजिक दूरी बनाए रखना ऐसे कारक हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अधिक परीक्षणों की आवश्यकता है और केवल परीक्षण और परीक्षण-संचालित डेटा एक बेहतर विचार प्रस्तुत करेंगे.

सवाल : ऐसी रिपोर्ट हैं कि चीन से रैपिड एंटीबॉडी आधारित रक्त परीक्षण किट की प्रकृति दोषपूर्ण हैं और आईसीएमआर ने इनमें से कई बैचों को खारिज कर दिया है. आरटी-पीसीआर परीक्षण के परिणाम दिखाने के लिए एक लंबा समय लेने के साथ, क्या आपको लगता है कि कोविड​​-19 रोगियों के परीक्षण में रैपिड एंटीबॉडी किट कोई जरिया नहीं?

जवाब : देखिए. परीक्षण इस वायरस का सुझाव नहीं दे सकता. यह समाधान तक पहुंचने का एक जरिया है. हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द अन्य परीक्षण किट, जो सस्ती भी हैं, जल्द ही बाजार में आएंगी. दुनिया भर में इस क्षेत्र में गहन अनुसंधान चल रहा है.

सवाल : कोरोना वायरस के प्रसार के खिलाफ लड़ाई में आईसीएमआर और सरकार के लिए आपका क्या सुझाव है?

आईसीएमआर भारत के कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ड्राइविंग इंजनों में से एक है. मेरे पास इस महत्वपूर्ण समय में आईसीएमआर के लिए कुछ सुझाव हैं. सबसे पहले, अधिक विशिष्ट परीक्षण विकसित करने के लिए उचित प्रोत्साहन होना चाहिए. प्रोटोकॉल के निरंतर प्रयोगों और विकास को तैयार करना होगा. अंत में, एक कोविड-19 टास्क फोर्स को सभी कोरोना संबंधित शोधों का मार्गदर्शन और प्रोत्साहित करना चाहिए.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलरा एंड एंटरिक डिसीज (एनआईसीएडी) के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. सुजीत कुमार भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से साक्षात्कार में कोरोना महामारी और उसके प्रभाव पर अपने विचार साझा किए.

ईटीवी भारत द्वारा उनसे पूछे गए सवाल और उनके जवाब :

सवाल : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कोरोना वायरस के लिए एक नया टीका विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पहले ही कहा है कि उनके पास सार्स-कोविड-19 का जीनोम अनुक्रम है और एंटीजन विकसित करने के लिए डीएनए तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं. क्या यह आपको आशाजनक लगता है?

जवाब : हां! ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता कोविड-19 के खिलाफ एक टीका विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. वह पहले ही दो स्वस्थ व्यक्तियों का टीकाकरण कर चुके हैं और प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह चरण -1 का परीक्षण है जहां सुरक्षा और कुछ हद तक, प्रभावकारिता देखी जाएगी.

आगे के परीक्षणों के लिए तैयारी जारी है. टीकों को विकसित करने में भारत की भागीदारिता भी अहम है. वैक्सीन के निश्चित परिणामों की प्रतीक्षा करनी होगी.

सवाल : आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में कोविड-19 के लिए सकारात्मकता दर लगभग 4.5 प्रतिशत है. क्या आप इसके लिए सहमत हैं?

जवाब : हां! ना मानने का कोई कारण ही नहीं है. हालांकि हमें सैंपल का साइज याद रखना चाहिए. किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए यह जरूरी है.

सवाल : क्या आपको लगता है कि देश भर में और परीक्षण किए जाने चाहिए, खासकर गांवों में और चूंकि जांच इतने सही तरह से नहीं हो रही है और हमें अच्छी तस्वीर नहीं मिल पा रही ?

जवाब : हां यह सही है. परीक्षण किट की उपलब्धता, जनसंख्या तक पहुंच, सामाजिक दूरी बनाए रखना ऐसे कारक हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अधिक परीक्षणों की आवश्यकता है और केवल परीक्षण और परीक्षण-संचालित डेटा एक बेहतर विचार प्रस्तुत करेंगे.

सवाल : ऐसी रिपोर्ट हैं कि चीन से रैपिड एंटीबॉडी आधारित रक्त परीक्षण किट की प्रकृति दोषपूर्ण हैं और आईसीएमआर ने इनमें से कई बैचों को खारिज कर दिया है. आरटी-पीसीआर परीक्षण के परिणाम दिखाने के लिए एक लंबा समय लेने के साथ, क्या आपको लगता है कि कोविड​​-19 रोगियों के परीक्षण में रैपिड एंटीबॉडी किट कोई जरिया नहीं?

जवाब : देखिए. परीक्षण इस वायरस का सुझाव नहीं दे सकता. यह समाधान तक पहुंचने का एक जरिया है. हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द अन्य परीक्षण किट, जो सस्ती भी हैं, जल्द ही बाजार में आएंगी. दुनिया भर में इस क्षेत्र में गहन अनुसंधान चल रहा है.

सवाल : कोरोना वायरस के प्रसार के खिलाफ लड़ाई में आईसीएमआर और सरकार के लिए आपका क्या सुझाव है?

आईसीएमआर भारत के कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ड्राइविंग इंजनों में से एक है. मेरे पास इस महत्वपूर्ण समय में आईसीएमआर के लिए कुछ सुझाव हैं. सबसे पहले, अधिक विशिष्ट परीक्षण विकसित करने के लिए उचित प्रोत्साहन होना चाहिए. प्रोटोकॉल के निरंतर प्रयोगों और विकास को तैयार करना होगा. अंत में, एक कोविड-19 टास्क फोर्स को सभी कोरोना संबंधित शोधों का मार्गदर्शन और प्रोत्साहित करना चाहिए.

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