नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा में गुरुवार को फाइटोपैथोलॉजी पर सातवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई. 20 जनवरी आयोजित सम्मेलन में देश-विदेश के 600 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
गौरतलब है कि देश और विदेशों के 12 प्रमुख पादप संरक्षण संस्थानों के साथ भारतीय फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी ने वर्ष 2020 में पौध स्वास्थ्य के लिए अंतरराष्ट्रीय वर्ष माना है.
सम्मेलन के दौरान भारत और विश्व के पैथोलॉजिस्ट और वैज्ञानिकों को एक साझा मंच पर लाने की योजना बनाई गई है. जिसमें पौधों के रोगजनकों से संबंधित समस्या और बीमारियां, इन बीमारियों से विश्व में उत्पन्न खतरे और उनका मुकाबला करने के लिए तरीके और रणनीतियों पर चर्चा होगी.
एक अनुमान के अनुसार, 25% वैश्विक फसल हानि पौधों की बीमारियों के कारण होती है और भारत में यह 26% तक जाती है.
भारतीय फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष ने सभा को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए फाइटोपैथोलॉजी की आवश्यकता पर जोर दिया.
इस पांच दिवसीय सम्मेलन में विदेश के 48 सहित देशभर के 600 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. ये वैश्विक मुद्दों पर अपने विचारों को साझा करेंगे.