नई दिल्ली : प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एफएफजे) ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर पंजाब में 13 सितंबर को 'रेल रोको' आंदोलन करने की चेतावनी दी है. इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब में कानून प्रवर्तन एजेंसियों और पुलिस को सतर्क कर दिया है.
सोमवार की सुबह गोयल को भेजे एक ईमेल पत्र में, अमेरिका आधारित एसएफजे के अटॉर्नी और जनरल काउंसलर गुरपतवंत सिंह पन्नू ने रेल मंत्री को 13 सितंबर को पंजाब में किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए सभी ट्रेनों को रद्द करने की चेतावनी दी है.
चेन पुलिंग अभियान में होंगे शामिल
एसएफजे ने पत्र में दावा किया है कि किसानों की ओर से इस संबंध में जबर्दस्त प्रतिक्रिया देखने को मिलने वाली है, जिसके तहत वह 'चेन पुलिंग' और पंजाब भर में ट्रेन की पटरियों पर 'धरना' (विरोध प्रदर्शन) के माध्यम से 'रेल रोको' अभियान में शामिल होंगे.
इस पत्र में मोदी सरकार को पंजाब में किसान आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के प्रति उदासीनता और आपराधिक लापरवाही का दोषी ठहराया गया है. इसके साथ ही पत्र में उल्लेख किया गया है कि एसएफजे ने किसानों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए 13 सितंबर को 'रेल रोको' आंदोलन करने की योजना बनाई है.
पत्र में कहा गया है, 'हम सावधान करते हुए लिख रहे हैं कि किसानों की आत्महत्या पर जनता की भावनाएं आहत हो रही हैं. किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए 13 सितंबर को पंजाब में सभी मार्गों पर रेल गाड़ियों को रद्द कर दिया जाना चाहिए.'
सार्वजनिक आक्रोश का अनादर
रेल मंत्री को लिखे गए पत्र में संकेत दिया गया है कि अगर 13 सितंबर को निर्धारित समय पर पंजाब में ट्रेनों को चलाया जाता है, तो यह सरकार की ओर से सार्वजनिक आक्रोश का अनादर होगा.
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पत्र में कहा गया है, 'सबसे अधिक शिक्षित, योग्य और परिष्कृत व्यक्ति होने के नाते, जो वास्तव में मोदी के मंत्रिमंडल में एक दुर्लभ व्यक्ति हैं, हम उनसे पूरी उम्मीद करते हैं कि हमारी भावना को बेहतर तरीके से समझेंगे और आप पंजाब में ट्रेनों को रद्द करवा देंगे.'
किन्हें लिखा गया पत्र
रेल मंत्री के साथ ही यह पत्र रेल राज्यमंत्री सुरेश चनबसप्पा, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी, मंडल रेल प्रबंधक, फिरोजपुर राजेश अग्रवाल और रेलवे पुलिस, पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) संजीव कालरा को भी मेल किया गया है.
खालिस्तान समर्थक संगठन एसएफजे लंबे समय से भारत में कानून-व्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. इस संगठन ने अपने हालिया प्रयास में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर खालिस्तान का झंडा फहराने वाले को 125,000 डॉलर का इनाम देने की घोषणा की थी.
भारत की ओर से रेफरेंडम 2020 के तहत मतदाता पंजीकरण वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने हाल ही में गूगल प्ले स्टोर पर मतदाता पंजीकरण एप लॉन्च किया था.
प्रतिबंधित संगठन ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह की 25वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में गूगल प्ले स्टोर पर एप वॉयस पंजाब 2020 लॉन्च किया था.
बम धमाके में मारे गए थे बेअंत सिंह
कांग्रेस नेता बेअंत सिंह वर्ष 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. 31 अगस्त, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में उड़ा दिया गया था. इस आतंकी हमले में उनके साथ 16 अन्य लोगों की जान भी गई थी. इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी.
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भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित एसएफजे ने रेफरेंडम 2020 की तरफदारी करने के लिए जुलाई 2019 में चार जुलाई से पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग पोट्र्रेट के माध्यम से रेफरेंडम 2020 के लिए अपना ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण शुरू करने के लिए चुना था, लेकिन कथित तौर पर यह समर्थन एकत्र नहीं कर सका.
गुरपतवंत पन्नू : एसएफजे का प्रचारक
न्यूयॉर्क में रहने वाला एसएफजे का मुख्य प्रचारक और वकील गुरपतवंत पन्नू अपने अलगाववादी मंसूबों को सफल बनाने के लिए आए दिन कोई न कोई रास्ता निकालने की जुगत में रहता है.
समूह ने इससे पहले कनाडाई पोर्टल को खालिस्तान की मांग के लिए दिल्ली में लॉन्च करने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई से संगठन इसमें सफल नहीं हो पाया था. संगठन पंजाब में सिखों के लिए अपनी अलग स्वतंत्र भूमि चाहता है.
इससे पहले, चार जुलाई को भी पंजाब में संगठन की इस तरह की गतिविधि को एजेंसियों ने विफल कर दिया था.
लगातार विफलता मिलने के बाद, एसएफजे ने लोगों के समर्थन के लिए 26 जुलाई को खालिस्तान रेफरेंडम के लिए मतदान पंजीकरण कराने की घोषणा की थी. गृह मंत्रालय ने जुलाई में इस संगठन को रेफरेंडम-2020 की अनुशंसा करने से प्रतिबंधित कर दिया था.