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सेसतलुज-यमुना लिंक विवाद : समाधान लिए कोर्ट ने तीन अगस्त तक का समय दिया - Water dispute between Haryana and Punjab

उच्चतम न्यायालय ने आज हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों से सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के लंबित मुद्दे पर एक बैठक करने को कहा. राज्यों के जवाब के बाद अगस्त के तीसरे सप्ताह में मामले को फिर से सुना जाएगा.

एसवाईएल विवाद
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Published : Jul 29, 2020, 12:50 AM IST

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों सेसतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के लंबे समय से लंबित मुद्दे पर एक बैठक करने को कहा. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने राज्यों को 3 अगस्त तक अदालत को इस बात को लेकर सूचित करने को कहा कि वह इस मुद्दे का समाधान निकालने में सक्षम हैं या नहीं.

बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र से दोनों राज्यों की बैठक बुलाने और समाधान खोजने के लिए कहा था. इसके लिए कोर्ट ने चार महीने का समय दिया था.

आज केंद्र ने भी अदालत को राज्यों के बीच एक बैठक बुलाने और समाधान खोजने का आश्वासन दिया. राज्यों के जवाब के बाद अगस्त के तीसरे सप्ताह में मामले को फिर से सुना जाएगा.

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हरियाणा और पंजाब के बीच जल विवाद बहुत पुराना है. 1966 में संयुक्त पंजाब का बंटवारा कर जब अलग हरियाणा राज्य बना तभी इस विवाद की बुनियाद पड़ गई. उसी साल से दोनों राज्यों बीच जल बंटवारे का लेकर विवाद की शुरू हो गया.

10 साल के लंबे विवाद के बाद 1976 में दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे को अंतिम रूप दिया गया और इसी के साथ एसवाइएल नहर का मामले ने जन्म ले लिया.

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों सेसतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के लंबे समय से लंबित मुद्दे पर एक बैठक करने को कहा. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने राज्यों को 3 अगस्त तक अदालत को इस बात को लेकर सूचित करने को कहा कि वह इस मुद्दे का समाधान निकालने में सक्षम हैं या नहीं.

बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र से दोनों राज्यों की बैठक बुलाने और समाधान खोजने के लिए कहा था. इसके लिए कोर्ट ने चार महीने का समय दिया था.

आज केंद्र ने भी अदालत को राज्यों के बीच एक बैठक बुलाने और समाधान खोजने का आश्वासन दिया. राज्यों के जवाब के बाद अगस्त के तीसरे सप्ताह में मामले को फिर से सुना जाएगा.

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हरियाणा और पंजाब के बीच जल विवाद बहुत पुराना है. 1966 में संयुक्त पंजाब का बंटवारा कर जब अलग हरियाणा राज्य बना तभी इस विवाद की बुनियाद पड़ गई. उसी साल से दोनों राज्यों बीच जल बंटवारे का लेकर विवाद की शुरू हो गया.

10 साल के लंबे विवाद के बाद 1976 में दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे को अंतिम रूप दिया गया और इसी के साथ एसवाइएल नहर का मामले ने जन्म ले लिया.

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