ETV Bharat / bharat

भारत ने वैक्सीन कूटनीति से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच बनाई 'सेवा' भाव की छवि - अब तक 55 लाख खुराक भेजी

पूर्व राजदूत विष्णु प्रकाश ने कहा कि भारत की वैक्सीन कूटनीति से पता चलता है कि भारत क्या करने में सक्षम है और यह भारत के दृष्टिकोण को भी दर्शाता है. उन्होंने कहा कि भारत एक विकासशील देश होने के बावजूद संकट के समय दूसरे देशों व पड़ोसियों तक अपनी पहुंच बनाने में कामयाब रहा है. ईटीवी भारत की संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने कनाडा में भारत के उच्चायुक्त विष्णु प्रकाश से खास बातचीत की..

India
India
author img

By

Published : Feb 9, 2021, 3:21 PM IST

नई दिल्ली : भारत ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए जनवरी 2021 से टीकाकरण अभियान शुरू किया है. साथ ही अन्य देशों को बड़ी संख्या में वैक्सीन की खुराक भेजने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. 'वैक्सीन मैत्री' पहल में अब तक भारत 18 देशों को कोविड-19 वैक्सीन की आपूर्ति कर चुका है. जबकि अन्य 25 देश वैक्सीन प्राप्त करने के लिए कतार में हैं.

पूर्व राजदूत विष्णु प्रकाश का मानना ​​है कि भारत की वैक्सीन कूटनीति से पता चलता है कि देश अंतरराष्ट्रीय समुदाय में क्या हैसियत रखता है और इसका दृष्टिकोण क्या है. उन्होंने कहा कि कोरोना टीके की भारी मांग है और ऐसे समय में लाभ के लिए या जमाखोरी के लिए काम नहीं हो रहा. भारत पड़ोसी देशों को, जो इस महामारी का सामना कर रहे हैं, नाममात्र की कीमतों पर टीका उपलब्ध कराना मानवता के लिए एक 'सेवा' है.

उन्होंने कहा कि टीके को पर्याप्त मात्रा में साझा करना, रचनात्मक और सकारात्मक योगदान की तरह है, जो भारत हमेशा से करता रहा है. विश्व की फार्मेसी के रूप में उभरना हमारे लिए गर्व का क्षण है. यह टीका मानवता के लिए है और भारत ने इस पर चर्चा की है.

चीन से नहीं कोई प्रतिद्वंदिता
यह पूछे जाने पर कि क्या एशियाई प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ने के लिए भारत का प्रयास है. पूर्व राजदूत प्रकाश ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से भारत का ट्रैक रिकॉर्ड क्या रहा है? क्या भारत ने किसी अन्य देश के लिए कार्य करने की प्रतीक्षा की है. क्या जब इंडोनेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका में सुनामी थी तो नौसैनिक जहाजों के पहुंचने से पहले ही भारत पहला उत्तरदाता बना. तो क्या भारत किसी का इंतजार कर रहा था?

प्रकाश ने रेखांकित किया कि 1964 में भारत ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITECH) की शुरुआत की. जहां देश अन्य विकासशील देशों को अनुभव, सीखने और प्रौद्योगिकियों को साझा कर रहा है. प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है. उन्होंने सवाल किया कि क्या यह चीन से संबंधित है?

अब तक 55 लाख खुराक भेजी
अफगानिस्तान जैसे युद्धग्रस्त देश को भारत से एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 500,000 खुराकें मिली हैं. भारत ने इससे पहले अफगानिस्तान को 20 मीट्रिक टन दवाइयां भेंट की थीं. उल्लेखनीय रूप से भारत ने भी अफगानिस्तान की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चाबहार बंदरगाह के माध्यम से 75,000 मीट्रिक टन गेहूं की मानवीय सहायता दी है.

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अपने पड़ोसी देशों और उसके विस्तारित पड़ोस को वैक्सीन की 55 लाख से अधिक खुराक की आपूर्ति की है. पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि भारत ने अब तक भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, मॉरीशस, सेशेल्स, श्रीलंका, यूएई, ब्राजील, मोरक्को, बहरीन, ओमान और मिस्र को वैक्सीन की आपूर्ति की है. इसमें अल्जीरिया, कुवैत और दक्षिण अफ्रीका भी शामिल है.

इन देशों को मिलेगी कोरोना वैक्सीन
अगले कुछ दिनों में भारत ने कैरिबियन देशों को कोरोना टीके की पांच लाख खुराक भेंट करने की योजना बनाई है. निकारागुआ और प्रशांत द्वीपीय देशों में प्रत्येक को दो लाख खुराक दी जाएगी. इसके अलावा, भारत कोविड-19 टीकों की वाणिज्यिक आपूर्ति करेगा. सऊदी अरब, कनाडा और मंगोलिया में सहित अन्य देशों को उपलब्ध कराने की संभावना है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि टीकों की बाहरी आपूर्ति उपलब्धता और घरेलू आवश्यकताओं के आधार पर एक सतत प्रक्रिया है. आने वाले हफ्तों में भारतीय टीके कैरेबियन देशों, प्रशांत द्वीपीय देशों, निकारागुआ, अफगानिस्तान, मंगोलिया, आदि में पहुंचने वाले हैं.

दुनिया की फार्मेसी बनेगा भारत
श्रीवास्तव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सही कहा है कि भारत महामारी के दौरान 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में उभरा है. जब से दुनिया में महामारी का प्रकोप हुआ है, भारत ने 150 देशों में दवाइयां पहुंचाई हैं. भारत इस क्षेत्र में टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक है और वैश्विक वैक्सीन उत्पादन का लगभग 60% भारत से आता है.

यह भी पढ़ें- संघर्षों ने दुलारी देवी को बनाया 'पद्मश्री', रंगों से रचा इतिहास

मुख्य रूप से डब्ल्यूएचओ अपने आवश्यक टीकाकरण का 70% स्रोत भारत से प्राप्त करता है.

नई दिल्ली : भारत ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए जनवरी 2021 से टीकाकरण अभियान शुरू किया है. साथ ही अन्य देशों को बड़ी संख्या में वैक्सीन की खुराक भेजने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. 'वैक्सीन मैत्री' पहल में अब तक भारत 18 देशों को कोविड-19 वैक्सीन की आपूर्ति कर चुका है. जबकि अन्य 25 देश वैक्सीन प्राप्त करने के लिए कतार में हैं.

पूर्व राजदूत विष्णु प्रकाश का मानना ​​है कि भारत की वैक्सीन कूटनीति से पता चलता है कि देश अंतरराष्ट्रीय समुदाय में क्या हैसियत रखता है और इसका दृष्टिकोण क्या है. उन्होंने कहा कि कोरोना टीके की भारी मांग है और ऐसे समय में लाभ के लिए या जमाखोरी के लिए काम नहीं हो रहा. भारत पड़ोसी देशों को, जो इस महामारी का सामना कर रहे हैं, नाममात्र की कीमतों पर टीका उपलब्ध कराना मानवता के लिए एक 'सेवा' है.

उन्होंने कहा कि टीके को पर्याप्त मात्रा में साझा करना, रचनात्मक और सकारात्मक योगदान की तरह है, जो भारत हमेशा से करता रहा है. विश्व की फार्मेसी के रूप में उभरना हमारे लिए गर्व का क्षण है. यह टीका मानवता के लिए है और भारत ने इस पर चर्चा की है.

चीन से नहीं कोई प्रतिद्वंदिता
यह पूछे जाने पर कि क्या एशियाई प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ने के लिए भारत का प्रयास है. पूर्व राजदूत प्रकाश ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से भारत का ट्रैक रिकॉर्ड क्या रहा है? क्या भारत ने किसी अन्य देश के लिए कार्य करने की प्रतीक्षा की है. क्या जब इंडोनेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका में सुनामी थी तो नौसैनिक जहाजों के पहुंचने से पहले ही भारत पहला उत्तरदाता बना. तो क्या भारत किसी का इंतजार कर रहा था?

प्रकाश ने रेखांकित किया कि 1964 में भारत ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITECH) की शुरुआत की. जहां देश अन्य विकासशील देशों को अनुभव, सीखने और प्रौद्योगिकियों को साझा कर रहा है. प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है. उन्होंने सवाल किया कि क्या यह चीन से संबंधित है?

अब तक 55 लाख खुराक भेजी
अफगानिस्तान जैसे युद्धग्रस्त देश को भारत से एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 500,000 खुराकें मिली हैं. भारत ने इससे पहले अफगानिस्तान को 20 मीट्रिक टन दवाइयां भेंट की थीं. उल्लेखनीय रूप से भारत ने भी अफगानिस्तान की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चाबहार बंदरगाह के माध्यम से 75,000 मीट्रिक टन गेहूं की मानवीय सहायता दी है.

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अपने पड़ोसी देशों और उसके विस्तारित पड़ोस को वैक्सीन की 55 लाख से अधिक खुराक की आपूर्ति की है. पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि भारत ने अब तक भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, मॉरीशस, सेशेल्स, श्रीलंका, यूएई, ब्राजील, मोरक्को, बहरीन, ओमान और मिस्र को वैक्सीन की आपूर्ति की है. इसमें अल्जीरिया, कुवैत और दक्षिण अफ्रीका भी शामिल है.

इन देशों को मिलेगी कोरोना वैक्सीन
अगले कुछ दिनों में भारत ने कैरिबियन देशों को कोरोना टीके की पांच लाख खुराक भेंट करने की योजना बनाई है. निकारागुआ और प्रशांत द्वीपीय देशों में प्रत्येक को दो लाख खुराक दी जाएगी. इसके अलावा, भारत कोविड-19 टीकों की वाणिज्यिक आपूर्ति करेगा. सऊदी अरब, कनाडा और मंगोलिया में सहित अन्य देशों को उपलब्ध कराने की संभावना है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि टीकों की बाहरी आपूर्ति उपलब्धता और घरेलू आवश्यकताओं के आधार पर एक सतत प्रक्रिया है. आने वाले हफ्तों में भारतीय टीके कैरेबियन देशों, प्रशांत द्वीपीय देशों, निकारागुआ, अफगानिस्तान, मंगोलिया, आदि में पहुंचने वाले हैं.

दुनिया की फार्मेसी बनेगा भारत
श्रीवास्तव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सही कहा है कि भारत महामारी के दौरान 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में उभरा है. जब से दुनिया में महामारी का प्रकोप हुआ है, भारत ने 150 देशों में दवाइयां पहुंचाई हैं. भारत इस क्षेत्र में टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक है और वैश्विक वैक्सीन उत्पादन का लगभग 60% भारत से आता है.

यह भी पढ़ें- संघर्षों ने दुलारी देवी को बनाया 'पद्मश्री', रंगों से रचा इतिहास

मुख्य रूप से डब्ल्यूएचओ अपने आवश्यक टीकाकरण का 70% स्रोत भारत से प्राप्त करता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.