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भारतीय मतदाता संगठन ने फिर उठाई समान नागरिक संहिता की मांग

भारतीय मतदाता संगठन ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता की मांग बुलंद कर दी है. नई दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में संगठन ने मांग रखी कि यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट जल्द तैयार कराया जाए और उसे जनता के समक्ष रख कर लोगों की राय ली जाए, जिसके बाद इसे लागू किया जा सकेगा. इस मुद्दे पर शिक्षाविद् जफर सरेशवाला ने प्रतिक्रिया दी है.

अश्विनी, सरेशवाला
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Published : Nov 23, 2019, 9:30 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय मतदाता संगठन ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की मांग फिर उठाते हुए दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया. सेमिनार में कई पूर्व केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व जज, सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे लोग और अधिवक्ता शामिल हुए. सेमिनार में संगठन ने मांग की कि यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट जल्द तैयार कराया जाए और उसे जनता के समक्ष रख कर लोगों की राय ली जाए, जिसके बाद इसको लागू किया जा सकेगा.

शिक्षाविद् जफर सरेशवाला ने समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसे कानून बनाने से पहले इस पर बहस और विश्लेषण की जरूरत है और इसे राजनीतिक मुद्दा बिल्कुल भी बनाये जाने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि यह कानून सिर्फ एक धर्म के लिए नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस कानून के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि उनमें किसी तरह का भय न हो.

जफर सरेशवाला ने की ईटीवी भारत से बातचीत.

सेमिनार में मौजूद भारतीय मतदाता संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि आज ही के दिन अनुच्छेद 44 को संविधान में शामिल किया गया था. इसलिए आज के दिन ही इस परिचर्चा का आयोजन किया गया और यूनिफार्म सिविल कोड की जगह इसे इंडियन सिविल कोड नाम देने का प्रयास भी किया गया है.

बकौल, अश्विनी उपाध्याय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की लोगों के बीच जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका है. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों में इस बात पर चर्चा और निबंध लेखन का आयोजन होना चाहिए, जिससे लोगों में इसके प्रति जानकारी और जागरूकता बढ़े.

अश्विनी उपाध्याय ने की ईटीवी भारत से बातचीत.

भारतीय मतदाता संगठन ने उम्मीद जतायी है कि आने वाले साल में इस कोड का ड्रॉफ्ट भी तैयार हो जाएगा और इस पर देशभर में चर्चा शुरू हो जाएगी.

ये भी पढ़ें : अठावले की मांग - महाराष्ट्र सरकार में रिपब्लिकन पार्टी को मिले कैबिनेट पद

वहीं, भारतीय मतदाता संगठन के प्रमुख रिखब चंद जैन ने कहा कि 'एक देश एक संविधान' आज देश के लिए बहुत जरूरी हो गया है. यह बहुत जरूरी है कि समाज के हर वर्ग और समुदाय में इसकी चर्चा हो और सबका एक मत हो. महज कानून बना देना कोई समाधान नहीं है, कानून जरूरी है, लेकिन साथ-साथ सबकी सहमति भी इस पर हो, ये भी जरूरी है.

गौरतलब है कि 23 नवम्बर 1948 को विस्तृत चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 44 को जोड़ा गया था.

नई दिल्ली : भारतीय मतदाता संगठन ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की मांग फिर उठाते हुए दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया. सेमिनार में कई पूर्व केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व जज, सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे लोग और अधिवक्ता शामिल हुए. सेमिनार में संगठन ने मांग की कि यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट जल्द तैयार कराया जाए और उसे जनता के समक्ष रख कर लोगों की राय ली जाए, जिसके बाद इसको लागू किया जा सकेगा.

शिक्षाविद् जफर सरेशवाला ने समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसे कानून बनाने से पहले इस पर बहस और विश्लेषण की जरूरत है और इसे राजनीतिक मुद्दा बिल्कुल भी बनाये जाने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि यह कानून सिर्फ एक धर्म के लिए नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस कानून के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि उनमें किसी तरह का भय न हो.

जफर सरेशवाला ने की ईटीवी भारत से बातचीत.

सेमिनार में मौजूद भारतीय मतदाता संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि आज ही के दिन अनुच्छेद 44 को संविधान में शामिल किया गया था. इसलिए आज के दिन ही इस परिचर्चा का आयोजन किया गया और यूनिफार्म सिविल कोड की जगह इसे इंडियन सिविल कोड नाम देने का प्रयास भी किया गया है.

बकौल, अश्विनी उपाध्याय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की लोगों के बीच जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका है. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों में इस बात पर चर्चा और निबंध लेखन का आयोजन होना चाहिए, जिससे लोगों में इसके प्रति जानकारी और जागरूकता बढ़े.

अश्विनी उपाध्याय ने की ईटीवी भारत से बातचीत.

भारतीय मतदाता संगठन ने उम्मीद जतायी है कि आने वाले साल में इस कोड का ड्रॉफ्ट भी तैयार हो जाएगा और इस पर देशभर में चर्चा शुरू हो जाएगी.

ये भी पढ़ें : अठावले की मांग - महाराष्ट्र सरकार में रिपब्लिकन पार्टी को मिले कैबिनेट पद

वहीं, भारतीय मतदाता संगठन के प्रमुख रिखब चंद जैन ने कहा कि 'एक देश एक संविधान' आज देश के लिए बहुत जरूरी हो गया है. यह बहुत जरूरी है कि समाज के हर वर्ग और समुदाय में इसकी चर्चा हो और सबका एक मत हो. महज कानून बना देना कोई समाधान नहीं है, कानून जरूरी है, लेकिन साथ-साथ सबकी सहमति भी इस पर हो, ये भी जरूरी है.

गौरतलब है कि 23 नवम्बर 1948 को विस्तृत चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 44 को जोड़ा गया था.

Intro:भारतीय मतदाता संगठन ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की मांग को उठाते हुए आज दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया । इस चर्चा में कई पूर्व केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व जज, सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे लोग और अधिवक्ता भी शामिल हुए । संगठन की मांग है कि यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट जल्द तैयार कराया जाए और उसे जनता के समक्ष रख कर लोगों की राय ली जाए जिसके बाद इसको लागू किया जा सकेगा ।
गौरतलब है कि 23 नवंबर 1948 को आज के ही दिन विस्तृत चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 44 को जोड़ा गया था ।


Body:इस मौके पर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए भारतीय मतदाता संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि चूंकि आज ही के दिन अनुच्छेद 44 को संविधान में शामिल किया गया था इसलिये आज के दिन ही इस परिचर्चा का आयोजन किया गया और यूनिफार्म सिविल कोड की जगह इसे इंडियन सिविल कोड नाम देने का प्रयास भी किया गया है । मानव संसाधन विकास मंत्रालय की भूमिका को लोगों में जागरूकता फैलाने के लिये महत्वपूर्ण बताते हुए अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों में इस बात पर चर्चा और निबंध लेखन का आयोजन होना चाहिये जिससे लोगों में इसके प्रति जानकारी और जागरूकता बढ़े ।
भारतीय मतदाता संगठन ने उम्मीद जताई है कि आने वाले साल में इस कोड का ड्राफ्ट भी तैयार हो जाएगा और इस पर देश भर में चर्चा शुरू हो जाएगी ।
वहीं भारतीय मतदाता संगठन के संगठन प्रमुख रिखब चंद जैन ने कहा कि एक देश एक संविधान आज देश के लिये बहुत जरूरी हो गया है । ये बहुत जरूरी है कि समाज के हर वर्ग और समुदाय में इसकी चर्चा हो एक एक मत बने । महज कानून बना देना कोई समाधान नहीं है, कानून जरूरी है लेकिन साथ साथ सबकी सहमति भी इस पर हो ये भी जरूरी है ।


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