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रेलवे में मसाज : प्रस्ताव वापसी के बाद कंपनी ने अदालत जाने की चेतावनी दी

रेलवे ने ट्रेन में मसाज की सुविधा देने की अपनी योजना पर आपत्तियां आने के बाद इस सुविधा को न देने का फैसला किया है. रेलवे प्रशासन के इस फैसले के बाद मसाज की सुविधा देने वाली कंपनी ने इसे अनुचित बताया है. कंपनी ने कहा कि सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला तो वह अदालत जाएगी. पढ़ें क्या है पूरा मामला....

रेलवे के यात्रियों को चंपी की सुविधा देने के प्रस्ताव को वापस लेने पर नाराज स्टार्ट-अप
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Published : Jun 16, 2019, 9:29 PM IST

Updated : Jun 16, 2019, 10:26 PM IST

इंदौरः चलती ट्रेनों में यात्रियों को मसाज की सुविधा दिये जाने के प्रस्ताव को रेलवे द्वारा वापस लिया गया है. इस फैसले के बाद मसाज वाली इस नवाचारी योजना से जुड़े स्टार्ट-अप ने कहा कि 'अनुचित' फैसले पर दोबारा विचार किया जाये. वरना उसे मजबूरन अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.

स्थानीय फर्म कैलिप्सो के संस्थापक गौरव राणा (26) ने यहां संवाददाताओं को बताया, 'इंदौर से चलने वाली 39 ट्रेनों में यात्रियों के सिर और पैरों की मसाज की सुविधा के परिचालन के लिये पश्चिम रेलवे ने हमारी फर्म की पेशकश को बाकायदा आशय पत्र जारी कर एक वर्ष के लिये स्वीकृति दी थी. इसके बाद हमने इस सुविधा के लिये तैयारियां भी शुरू कर दी थीं. लेकिन कल शनिवार को पश्चिम रेलवे ने हमें कोई औपचारिक सूचना दिये बगैर इस सुविधा का प्रस्ताव आनन-फानन में वापस लेने की घोषणा कर दी.'

राणा ने कहा, 'प्रस्तावित मालिश सेवा से जुड़ी गलतफहमियों को दूर नहीं किया गया और हमारे स्टार्ट-अप की नवाचारी परियोजना की अचानक भ्रूण हत्या कर दी गयी. मसाज सुविधा का प्रस्ताव रद्द करने के अपने फैसले पर रेलवे दोबारा विचार करे और इस सेवा को लेकर जनमानस में फैलीं तमाम गलतफहमियां दूर करे. वरना हमें अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विवश होना पड़ेगा.'

उन्होंने कहा, 'हम रेल मंत्री पीयूष गोयल से अपील करते हैं कि वह हमारे स्टार्ट-अप को बचायें.'

पश्चिम रेलवे ने कल शनिवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि उसने इंदौर रेलवे स्टेशन से शुरू होने वाली रेलगाड़ियों में यात्रियों के सिर और पैरों की मसाज की सुविधा शुरू करने के रतलाम रेल मंडल के प्रस्ताव को वापस लेने का फैसला किया है.

पढ़ेंः रेलवे ने चलाया ऑपरेशन 'थंडर', कई टिकट दलाल गिरफ्तार

गौरतलब है कि यह कदम लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और क्षेत्रीय भाजपा सांसद शंकर लालवानी के रेल मंत्री पीयूष गोयल को लिखे उन सिलसिलेवार पत्रों के बाद उठाया गया जिनमें खासकर महिला यात्रियों की सुरक्षा और सहजता के विषयों का हवाला देते हुए इस योजना पर सवाल उठाये गये थे.

रतलाम रेल मंडल के अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत प्रस्ताव था कि चलती ट्रेनों में सुबह छह से रात 10 बजे के बीच यात्रियों को सिर और पैर की मालिश की सुविधा दी जायेगी. इस सेवा के बदले यात्रियों से 100 रुपये, 200 रुपये और 300 रुपये की तीन अलग-अलग पैकेज श्रेणियों में शुल्क लिया जाना तय किया गया था.

अधिकारियों के मुताबिक प्रस्तावित मालिश सेवा से रेलवे के खजाने में सालाना 20 लाख रुपये जमा होने की उम्मीद थी. रेलवे का अनुमान था कि चलती ट्रेन में यात्रियों को यह सेवा प्रदान करने वाले लोग करीब 20,000 यात्रा टिकट खरीदेंगे. इससे रेलवे को हर साल लगभग 90 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई हो सकती थी.

इंदौरः चलती ट्रेनों में यात्रियों को मसाज की सुविधा दिये जाने के प्रस्ताव को रेलवे द्वारा वापस लिया गया है. इस फैसले के बाद मसाज वाली इस नवाचारी योजना से जुड़े स्टार्ट-अप ने कहा कि 'अनुचित' फैसले पर दोबारा विचार किया जाये. वरना उसे मजबूरन अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.

स्थानीय फर्म कैलिप्सो के संस्थापक गौरव राणा (26) ने यहां संवाददाताओं को बताया, 'इंदौर से चलने वाली 39 ट्रेनों में यात्रियों के सिर और पैरों की मसाज की सुविधा के परिचालन के लिये पश्चिम रेलवे ने हमारी फर्म की पेशकश को बाकायदा आशय पत्र जारी कर एक वर्ष के लिये स्वीकृति दी थी. इसके बाद हमने इस सुविधा के लिये तैयारियां भी शुरू कर दी थीं. लेकिन कल शनिवार को पश्चिम रेलवे ने हमें कोई औपचारिक सूचना दिये बगैर इस सुविधा का प्रस्ताव आनन-फानन में वापस लेने की घोषणा कर दी.'

राणा ने कहा, 'प्रस्तावित मालिश सेवा से जुड़ी गलतफहमियों को दूर नहीं किया गया और हमारे स्टार्ट-अप की नवाचारी परियोजना की अचानक भ्रूण हत्या कर दी गयी. मसाज सुविधा का प्रस्ताव रद्द करने के अपने फैसले पर रेलवे दोबारा विचार करे और इस सेवा को लेकर जनमानस में फैलीं तमाम गलतफहमियां दूर करे. वरना हमें अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विवश होना पड़ेगा.'

उन्होंने कहा, 'हम रेल मंत्री पीयूष गोयल से अपील करते हैं कि वह हमारे स्टार्ट-अप को बचायें.'

पश्चिम रेलवे ने कल शनिवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि उसने इंदौर रेलवे स्टेशन से शुरू होने वाली रेलगाड़ियों में यात्रियों के सिर और पैरों की मसाज की सुविधा शुरू करने के रतलाम रेल मंडल के प्रस्ताव को वापस लेने का फैसला किया है.

पढ़ेंः रेलवे ने चलाया ऑपरेशन 'थंडर', कई टिकट दलाल गिरफ्तार

गौरतलब है कि यह कदम लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और क्षेत्रीय भाजपा सांसद शंकर लालवानी के रेल मंत्री पीयूष गोयल को लिखे उन सिलसिलेवार पत्रों के बाद उठाया गया जिनमें खासकर महिला यात्रियों की सुरक्षा और सहजता के विषयों का हवाला देते हुए इस योजना पर सवाल उठाये गये थे.

रतलाम रेल मंडल के अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत प्रस्ताव था कि चलती ट्रेनों में सुबह छह से रात 10 बजे के बीच यात्रियों को सिर और पैर की मालिश की सुविधा दी जायेगी. इस सेवा के बदले यात्रियों से 100 रुपये, 200 रुपये और 300 रुपये की तीन अलग-अलग पैकेज श्रेणियों में शुल्क लिया जाना तय किया गया था.

अधिकारियों के मुताबिक प्रस्तावित मालिश सेवा से रेलवे के खजाने में सालाना 20 लाख रुपये जमा होने की उम्मीद थी. रेलवे का अनुमान था कि चलती ट्रेन में यात्रियों को यह सेवा प्रदान करने वाले लोग करीब 20,000 यात्रा टिकट खरीदेंगे. इससे रेलवे को हर साल लगभग 90 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई हो सकती थी.

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Last Updated : Jun 16, 2019, 10:26 PM IST
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