नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चे ने 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम का आवाह्न किया है, लेकिन भारतीय किसान संघ इसका समर्थन नहीं करेगा. आरएसएस के इस किसान संगठन ने निर्णय लिया है कि देशभर में उनके संगठन की इकाइयां 6 फरवरी को किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन या धरना में हिस्सा नहीं लेंगी.
भारतीय किसान संघ की तरफ से संगठन महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि 70 दिनों से ज्यादा चल रहा किसान आंदोलन शुरुआत से ही कुछ राजनीतिक रहा है, लेकिन बीते कुछ दिनों में जिस तरह राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का जमावड़ा आंदोलन स्थल पर देखा जा रहा है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह आंदोलन अब पूर्णतया राजनीतिक हो चुका है.
तीन कृषि कानूनों के विरोध में बीते दो महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 फरवरी को 12 बजे से 3 बजे तक देशव्यापी चक्का जाम का आवाह्न किया है, लेकिन भारतीय किसान संघ ने आशंका जताई है कि 26 जनवरी की तरह एक बार फिर किसानों का प्रदर्शन उग्र होने के साथ साथ हिंसक भी हो सकता है. किसान संघ ने कहा कि आंदोलन में अब बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय तत्व भी सक्रिय हो चुके हैं जो किसानों के नाम पर लोकतंत्र विरोधी कार्य करवा रहे हैं.
प्रदर्शनकारी संगठन आज न तो संसद में पारित कानूनों को मान रहे हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का ही सम्मान कर रहे हैं. किसान संघ ने कहा कि आंदोलन के शुरुआत में ही कनाडा के राजनीतिक व्यक्त्वय, ब्रिटिश नेताओं का व्यक्तव्य और हाल में ही कुछ विदेशी कलाकारों के व्यक्तव्य से यह साबित हो गया कि आंदोलन के सूत्र विदेश से संचालित हैं और इसलिये किसान संघ इसका समर्थन नहीं करता है.
भारतीय किसान संघ ने 6 फरवरी को किसानों से संयम और शांति रखने की अपील की है और किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव को मानते हुए आगे की वार्ता शुरू करें. जिससे कुछ समाधान निकल सके.
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दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा ने विदेशी हस्तियों के समर्थन को स्वीकार करते हुए इसे गर्व की बात कही है, जबकि देश की जानी-मानी हस्तियों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताते हुए विदेशी हस्तियों के व्यक्तव्य के विरोध में अपनी प्रतिक्रिया दी है.