नई दिल्ली : भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव घटने लगा है. एलएसी पर तीन में से दो स्थानों पर भारत और चीन की सेनाएं थोड़ी पीछे हटी हैं. हालांकि, पैंगोंग लेक पर दोनों देशों की सेनाएं डटी हुई हैं.
चीनी सेना फिंगर फोर इलाके में कई हफ्ते से डटी हुई है. यह क्षेत्र भारत के नियंत्रण में है.
बता दें, गलवान घाटी में फोर फिंगर इलाके में भारत और चीनी सेनाओं के बीच कुछ दिनों से तनाव बना हुआ है. 6 जून को दोनों देशों के बीच जो बैठक होने वाली है, उसमें पैंगोंग पर ही ज्यादा फोकस रहने की संभावना है.
जानकारी के मुताबिक, लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाएं कुछ पीछे हट गई हैं. सूत्रों की मानें तो चीनी सेना दो किमी और भारतीय सेना अपनी जगह से एक किमी पीछे हटी है. यहां के फिंगर फोर इलाके में कई हफ्ते से दोनों देशों की सेना एक दूसरे के सामने डटी हुई हैं.
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बता दें, पैंगोंग इलाका सबसे ज्यादा विवादों में है. पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग लेक समेत कई स्थानों पर टकराव की नौबत आ गई थी. भारतीय क्षेत्र में हो रहे निर्माण को लेकर चीनी सैनिकों के विरोध के चलते दोनों सेनाओं के बीच झड़प भी हो गई थी.
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इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की संख्या बढ़ी है. बकौल राजनाथ, चीनी सैनिकों की एक बड़ी संख्या पूर्वी लद्दाख में उन क्षेत्रों में चली गई है, जिनका दावा चीन कर रहा है. ऐसी स्थिति से निबटने के लिए भारत ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं. भारत का मानना है कि यह उसका क्षेत्र है.
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अमेरिका ने भी चीन के बारे में कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन सैन्यशक्ति बढ़ा रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो ने कहा था कि सत्तावादी शासन ऐसी कार्रवाई करते हैं.
क्या है पूरा विवाद
गौरतलब है कि चीन ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में करीब 2500 सैनिकों को तैनात किया है और धीरे-धीरे अस्थायी ढांचा और हथियारों को बढ़ा रहा है. हालांकि संख्या को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. सैन्य सूत्रों ने इस संबंध में कहा कि उपग्रह से ली गई तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीन ने मानक सीमा के अपनी तरफ रक्षा आधारभूत ढांचे में तेजी से इजाफा किया है जिसमें पैंगोंग त्सो इलाके से करीब 180 किलोमीटर दूर एक सैन्य हवाईअड्डे का निर्माण भी शामिल है. भारतीय सेना के आकलन के मुताबिक इसका उद्देश्य भारत पर दबाव बनाना है.
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दरअसल, विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि लद्दाख में एलएसी पर जारी गतिरोध, भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठित करना तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चीनी रणनीतिक निवेश से जुड़ा मामला है. चीनी मामलों के जानकार से समझें, क्यों आक्रामक हैं शी जिनपिंग
इससे पहले पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने कहा था, 'चीन पर नजर रखी जा रही है. पूरी दुनिया उस पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगा रही है. कई कंपनियां चीन से शिफ्ट हो रही हैं. व्याकुलता फैलाने का चीन का यह तरीका है और वह पहले भी ऐसा करता रहा है.'
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