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कुलभूषण की रिहाई पाक के लिए अहंकार का मुद्दा, बातचीत के बाद भी नहीं छोड़ा

भारत ने उम्मीद जताई थी कि वह भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव को अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से रिहा करने के लिए पाकिस्तान को मना लेगा, जिन्हें 2017 में 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.

कुलभूषण जाधव
कुलभूषण जाधव
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Published : May 3, 2020, 8:32 PM IST

नई दिल्ली : भारत ने उम्मीद जताई थी कि वह भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव को अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से रिहा करने के लिए पाकिस्तान को मना लेगा, जिन्हें 2017 में 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. यह बात वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कही है.

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में जाधव मामले में साल्वे भारत की तरफ से प्रमुख वकील थे. आईसीजे ने पिछले वर्ष फैसला दिया था कि पाकिस्तान को नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी की मौत की सजा की समीक्षा करनी चाहिए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने शनिवार को ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया, जिसमें लंदन से साल्वे ने कहा कि भारतीय पक्ष पूछता रहा है कि पाकिस्तान आईसीजे के फैसले को कैसे क्रियान्वित करेगा और कैसे प्रभावी समीक्षा तथा पुनर्विचार करेगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है.

मामले की वर्तमान स्थिति के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से हम पाकिस्तान को उन्हें छोड़ने के लिए मना लेंगे. अगर वह मानवीय आधार या कुछ और बताते हैं तो हम उन्हें वापस चाहते हैं. हमने कहा कि उन्हें छोड़ दो, लेकिन यह पाकिस्तान में अहंकार का मुद्दा बन गया है. इसलिए हमें उम्मीद थी कि वह उन्हें छोड़ देंगे, लेकिन उन्होंने नहीं छोड़ा है.

उन्होंने कहा, 'हमने चार-पांच पत्र लिखे हैं. वह मना करते रहे. मेरा मानना है कि हम वहां पहुंच गए हैं, जहां हमें निर्णय करना होगा कि क्या हम फिर आईसीजे का दरवाजा खटखटाएं, क्योंकि पाकिस्तान इस पर आगे नहीं बढ़ रहा है.'

साल्वे ने कहा कि आईसीजे के आदेश के बाद पाकिस्तान ने राजनयिक पहुंच की मंजूरी दी थी, लेकिन बाद में इसमें काफी विलंब हो गया और ‘‘हम पाकिस्तान से लड़ रहे हैं कि वह एक व्यवस्था बनाएं.'

उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने सबसे पहले दुनिया से कहा कि मामले में उसकी जीत हो गई है और अब वह कह रहे हैं कि आपको पाकिस्तान की अदालत में कार्यवाही के लिए मुकदमा दायर करना होगा या पाकिस्तानी कार्यवाही को स्वीकार करना होगा.'

साल्वे ने कहा, 'हम कहते रहे कि आप आईसीजे के फैसले पर किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं और किस तरह से प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार कर रहे हैं. उन्होंने सवाल के जवाब नहीं दिए. मेरा मानना है कि भारत सरकार उन्हें पत्र लिखती रही है और कौन जानता है कि चीजें किस दिशा में जा रही हैं, हमें वापस आईसीजे का दरवाजा खटखटाना होगा, जाधव के लिए न्याय हासिल करने का प्रयास करना होगा.'

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी तक मामले का ब्योरा साझा करने से इनकार करता रहा है, जैसे कि मामले में दर्ज प्राथमिकी, आरोप पत्र या सैन्य अदालत के फैसले के बारे में उसने जानकारी नहीं दी है.

आईसीजे में पाकिस्तान के वकील द्वारा कथित तौर पर आक्रामक भाषा का प्रयोग करने के बारे में साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान के वकील ने भारत के खिलाफ काफी कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा कि आईसीजे में हमने कभी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया.

साल्वे ने कहा कि वह कभी भी पाकिस्तान के स्तर तक नीचा नहीं गिरना चाहते, क्योंकि भारतीय परंपरा उन्हें इतने खराब शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देती और वह आईसीजे का सम्मान करते हैं.

इसके बाद साल्वे ने आईसीजे के एक रजिस्ट्रार की तरफ से दिए गए बयान का जिक्र किया, जो उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान भारत के राजदूत से कहा था. साल्वे ने कहा, 'उन्होंने (रजिस्ट्रार) कहा कि मामला बहुत गर्म था.' उन्होंने कहा कि अमेरिका-ईरान प्रतिबंध मामला महत्वपूर्ण था, लेकिन वह शांतिपूर्वक निपट गया.

जाधव मामले में सुनवाई के दौरान अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जवाबी जिरह के समय तक पाकिस्तान के वकील ने अपनी भाषा के लिए माफी मांगी. पाकिस्तान की जेल में जो हश्र सरबजीत सिंह का हुआ, वैसा जाधव के साथ नहीं हो, इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर में इस मामले को इस उम्मीद में बनाए हुए हैं कि पाकिस्तान जो करता रहा है, वैसा नहीं करे.'

सरबजीत सिंह को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1990 में बम विस्फोट में कथित तौर पर संलिप्त होने के आरोप में सजा सुनाई गई थी और कोट लखपत जेल में कैदियों ने उन पर बुरी तरह हमला कर दिया, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी.

साल्वे ने वकीलों को संबोधित करते हुए जाधव के मामले की पृष्ठभूमि बताई और कहा कि वह नौसेना के पूर्व कमांडर हैं और उनका मामला है कि वह ईरान में व्यवसाय करते थे तथा एक दिन उनका अपहरण कर लिया गया.

साल्वे ने कहा, 'तालिबान ने उन्हें पाकिस्तान की सेना को सौंप दिया. तथ्य यह है कि पाकिस्तान की सेना ने ईरान के साथ लगती पाकिस्तान की सीमा पर उन्हें अपनी हिरासत में लिया. पाकिस्तान इस बात को स्वीकार नहीं करता कि तालिबान ने उनका अपहरण किया. कोई स्पष्टता नहीं है. पाकिस्तान के मामले में स्पष्टता नहीं है कि किस तरह से उन्हें पकड़ा गया.'

साल्वे ने कहा कि जाधव की गिरफ्तारी के बारे में पाकिस्तान द्वारा भारत को सूचित करने से पहले ही दुनिया के सामने उनसे बयान दिलवा दिया गया.

नई दिल्ली : भारत ने उम्मीद जताई थी कि वह भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव को अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से रिहा करने के लिए पाकिस्तान को मना लेगा, जिन्हें 2017 में 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. यह बात वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कही है.

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में जाधव मामले में साल्वे भारत की तरफ से प्रमुख वकील थे. आईसीजे ने पिछले वर्ष फैसला दिया था कि पाकिस्तान को नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी की मौत की सजा की समीक्षा करनी चाहिए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने शनिवार को ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया, जिसमें लंदन से साल्वे ने कहा कि भारतीय पक्ष पूछता रहा है कि पाकिस्तान आईसीजे के फैसले को कैसे क्रियान्वित करेगा और कैसे प्रभावी समीक्षा तथा पुनर्विचार करेगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है.

मामले की वर्तमान स्थिति के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि अनौपचारिक बातचीत के माध्यम से हम पाकिस्तान को उन्हें छोड़ने के लिए मना लेंगे. अगर वह मानवीय आधार या कुछ और बताते हैं तो हम उन्हें वापस चाहते हैं. हमने कहा कि उन्हें छोड़ दो, लेकिन यह पाकिस्तान में अहंकार का मुद्दा बन गया है. इसलिए हमें उम्मीद थी कि वह उन्हें छोड़ देंगे, लेकिन उन्होंने नहीं छोड़ा है.

उन्होंने कहा, 'हमने चार-पांच पत्र लिखे हैं. वह मना करते रहे. मेरा मानना है कि हम वहां पहुंच गए हैं, जहां हमें निर्णय करना होगा कि क्या हम फिर आईसीजे का दरवाजा खटखटाएं, क्योंकि पाकिस्तान इस पर आगे नहीं बढ़ रहा है.'

साल्वे ने कहा कि आईसीजे के आदेश के बाद पाकिस्तान ने राजनयिक पहुंच की मंजूरी दी थी, लेकिन बाद में इसमें काफी विलंब हो गया और ‘‘हम पाकिस्तान से लड़ रहे हैं कि वह एक व्यवस्था बनाएं.'

उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने सबसे पहले दुनिया से कहा कि मामले में उसकी जीत हो गई है और अब वह कह रहे हैं कि आपको पाकिस्तान की अदालत में कार्यवाही के लिए मुकदमा दायर करना होगा या पाकिस्तानी कार्यवाही को स्वीकार करना होगा.'

साल्वे ने कहा, 'हम कहते रहे कि आप आईसीजे के फैसले पर किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं और किस तरह से प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार कर रहे हैं. उन्होंने सवाल के जवाब नहीं दिए. मेरा मानना है कि भारत सरकार उन्हें पत्र लिखती रही है और कौन जानता है कि चीजें किस दिशा में जा रही हैं, हमें वापस आईसीजे का दरवाजा खटखटाना होगा, जाधव के लिए न्याय हासिल करने का प्रयास करना होगा.'

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी तक मामले का ब्योरा साझा करने से इनकार करता रहा है, जैसे कि मामले में दर्ज प्राथमिकी, आरोप पत्र या सैन्य अदालत के फैसले के बारे में उसने जानकारी नहीं दी है.

आईसीजे में पाकिस्तान के वकील द्वारा कथित तौर पर आक्रामक भाषा का प्रयोग करने के बारे में साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान के वकील ने भारत के खिलाफ काफी कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा कि आईसीजे में हमने कभी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया.

साल्वे ने कहा कि वह कभी भी पाकिस्तान के स्तर तक नीचा नहीं गिरना चाहते, क्योंकि भारतीय परंपरा उन्हें इतने खराब शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देती और वह आईसीजे का सम्मान करते हैं.

इसके बाद साल्वे ने आईसीजे के एक रजिस्ट्रार की तरफ से दिए गए बयान का जिक्र किया, जो उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान भारत के राजदूत से कहा था. साल्वे ने कहा, 'उन्होंने (रजिस्ट्रार) कहा कि मामला बहुत गर्म था.' उन्होंने कहा कि अमेरिका-ईरान प्रतिबंध मामला महत्वपूर्ण था, लेकिन वह शांतिपूर्वक निपट गया.

जाधव मामले में सुनवाई के दौरान अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जवाबी जिरह के समय तक पाकिस्तान के वकील ने अपनी भाषा के लिए माफी मांगी. पाकिस्तान की जेल में जो हश्र सरबजीत सिंह का हुआ, वैसा जाधव के साथ नहीं हो, इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर में इस मामले को इस उम्मीद में बनाए हुए हैं कि पाकिस्तान जो करता रहा है, वैसा नहीं करे.'

सरबजीत सिंह को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1990 में बम विस्फोट में कथित तौर पर संलिप्त होने के आरोप में सजा सुनाई गई थी और कोट लखपत जेल में कैदियों ने उन पर बुरी तरह हमला कर दिया, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी.

साल्वे ने वकीलों को संबोधित करते हुए जाधव के मामले की पृष्ठभूमि बताई और कहा कि वह नौसेना के पूर्व कमांडर हैं और उनका मामला है कि वह ईरान में व्यवसाय करते थे तथा एक दिन उनका अपहरण कर लिया गया.

साल्वे ने कहा, 'तालिबान ने उन्हें पाकिस्तान की सेना को सौंप दिया. तथ्य यह है कि पाकिस्तान की सेना ने ईरान के साथ लगती पाकिस्तान की सीमा पर उन्हें अपनी हिरासत में लिया. पाकिस्तान इस बात को स्वीकार नहीं करता कि तालिबान ने उनका अपहरण किया. कोई स्पष्टता नहीं है. पाकिस्तान के मामले में स्पष्टता नहीं है कि किस तरह से उन्हें पकड़ा गया.'

साल्वे ने कहा कि जाधव की गिरफ्तारी के बारे में पाकिस्तान द्वारा भारत को सूचित करने से पहले ही दुनिया के सामने उनसे बयान दिलवा दिया गया.

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