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सरकार भूमि को क्षरण से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है : जावड़ेकर - यूएनसीसीडी

भारत में लगातार हो रहा भूमि क्षरण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया. इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने जनता को आश्वासन दिया. जानें क्या कुछ कहा केंद्रीय मंत्री ने...

जावडेकर ने बताया भूमि क्षरण को गंभीर समस्या
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Published : Jun 18, 2019, 12:02 AM IST

नई दिल्लीः केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्वीकार किया कि भारत में 29.3 प्रतिशत भूमि क्षरण से प्रभावित है.

उन्होंने सोमवार को कहा कि उनका मंत्रालय इस मामले में सभी आवश्यक योगदानों के साथ इसे बचाने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत इस संकट से मुकाबला करने में उदाहरण प्रस्तुत करके नेतृत्‍व प्रदान करेगा.

जावड़ेकर ने यह घोषणा भी की कि भारत भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण के मुद्दों को हल करने के लिए इस वर्ष कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज के 14 वें सत्र की मेजबानी करेगा, जो 'यूनाइटेड नेशन्स कन्वेन्शन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन' (यूएनसीसीडी) के तत्वावधान में होता है.

जावडेकर ने 'विश्‍व मरूस्‍थलीकरण' के विरूद्ध लड़ाई और 'सूखा दिवस' के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, दुनिया में संकट है कि एक समय उपजाऊ रही भूमि अब उपजाऊ नहीं है. जहां जंगल हुआ करते थे, वहां अब जंगल नहीं हैं. हम भूमि के क्षरण पर चर्चा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पीएम के नेतृत्व में हमारे पास जमीन को क्षरण से बचाने के लिए दिशा, उम्मीद और वादा है.

पढ़ेंः पर्यावरण दिवस पर 'सेल्फी विद सेप्लिंग' अभियान

सीओपी 14 का आयोजन दो से 14 सितम्बर तक ग्रेटर नोएडा में होगा जिसमें 197 से अधिक देशों के पांच हजार से ज्यादा प्रतिनिधि भाग लेंगे.

कार्यक्रम में मौजूद पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा ने कहा कि भूमि क्षरण का मुद्दा गंभीर है और देश में उपजाऊ भूमि कम बची हुई है. उन्होंने कहा, 'यदि हम इस भूमि को खो देंगे तो एक बड़ी समस्या होगी.'

इस अवसर पर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि विश्‍व मरूस्‍थलीकरण के विरूद्ध लड़ाई और सूखा दिवस विश्‍व समुदाय को यह याद दिलाने का अनूठा अवसर है कि मरूस्‍थलीकरण की समस्‍या से निपटा जा सकता है, समाधान संभव हैं और सभी स्‍तरों पर सामुदायिक भागीदारी और सहयोग मजबूत करना ही इसका उपाय है.

नई दिल्लीः केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्वीकार किया कि भारत में 29.3 प्रतिशत भूमि क्षरण से प्रभावित है.

उन्होंने सोमवार को कहा कि उनका मंत्रालय इस मामले में सभी आवश्यक योगदानों के साथ इसे बचाने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत इस संकट से मुकाबला करने में उदाहरण प्रस्तुत करके नेतृत्‍व प्रदान करेगा.

जावड़ेकर ने यह घोषणा भी की कि भारत भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण के मुद्दों को हल करने के लिए इस वर्ष कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज के 14 वें सत्र की मेजबानी करेगा, जो 'यूनाइटेड नेशन्स कन्वेन्शन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन' (यूएनसीसीडी) के तत्वावधान में होता है.

जावडेकर ने 'विश्‍व मरूस्‍थलीकरण' के विरूद्ध लड़ाई और 'सूखा दिवस' के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, दुनिया में संकट है कि एक समय उपजाऊ रही भूमि अब उपजाऊ नहीं है. जहां जंगल हुआ करते थे, वहां अब जंगल नहीं हैं. हम भूमि के क्षरण पर चर्चा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पीएम के नेतृत्व में हमारे पास जमीन को क्षरण से बचाने के लिए दिशा, उम्मीद और वादा है.

पढ़ेंः पर्यावरण दिवस पर 'सेल्फी विद सेप्लिंग' अभियान

सीओपी 14 का आयोजन दो से 14 सितम्बर तक ग्रेटर नोएडा में होगा जिसमें 197 से अधिक देशों के पांच हजार से ज्यादा प्रतिनिधि भाग लेंगे.

कार्यक्रम में मौजूद पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा ने कहा कि भूमि क्षरण का मुद्दा गंभीर है और देश में उपजाऊ भूमि कम बची हुई है. उन्होंने कहा, 'यदि हम इस भूमि को खो देंगे तो एक बड़ी समस्या होगी.'

इस अवसर पर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि विश्‍व मरूस्‍थलीकरण के विरूद्ध लड़ाई और सूखा दिवस विश्‍व समुदाय को यह याद दिलाने का अनूठा अवसर है कि मरूस्‍थलीकरण की समस्‍या से निपटा जा सकता है, समाधान संभव हैं और सभी स्‍तरों पर सामुदायिक भागीदारी और सहयोग मजबूत करना ही इसका उपाय है.

Intro:New Delhi: India will host the Fourteenth session of Conference of Parties (COP-14) from 29th of August to 14th of September, as India is going to take over the COP presidency from China for the next 2 years. It is being expected that the event will be inaugurated by Prime Minister Narendra Modi in the High Level Segment.


Body:The announcement has been made by the Union Minister of Environment, Forest and Climate Change, Prakash Javadekar on the occasion of World Day to combat Desertification (WDCD) where he said that India would become "land degradation neutral" by 2030.

"We are gathered here to discuss essentially the degradation of land. World Day to Combat Desertification is a unique occasion to remind the global community that desertification can be effectively tackled."

"India is a peculiar country. Its having only 2 percent of the world's land to carry 17 percent of the human population and also with having only 1 percent of the total wealth of world. Also, India is a monsoon country so we can't have rain throughout the year. Therefore we can't give water supply on assured basis. All these factors affect the fertilization of the land." Hence he urged for strengthening the community participation as well as their cooperation at all levels to achieve this goal.

He further added that people can realize the land's full potential only by turning land degradation into land restoration. "Healthy and productive land can bring not only environmental but also significant economic gains."


Conclusion:In the COP, India will play the leading role among the 197 Country Parties which are being ratified to the United Nations Convention to Combat Desertification (UNCCD), which comes under the United Nations 3 Rio Conventions. As this year, the Convention has completed it's mark of 25 years, hence the slogan for 2019 WDCD is "Let's grow the future together."
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