संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली: भारत ने वेनेजुएला में गुट निरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) की मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से दिए गए संदर्भों का पुरजोर खंडन किया. भारत ने कहा कि वैश्विक मंच का प्रयोग 'स्वयं के हितों के वर्णन' के लिए कभी नहीं किया जा सकता जिसका मकसद एक राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता को दूसरे राष्ट्र द्वारा कमतर बताना हो.
यह बैठक वेनेजुएला के काराकस में हुई.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने रविवार को अपने संबोधन में कहा कि सदस्य देशों के बीच आपसी मतभेदों को सुलझाने के मंच के तौर पर इस्तेमाल होने के बजाय एनएएम को प्राथमिक मुद्दों से निपटने वालों का नेतृत्व करना चाहिए जिनके लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत है
अकबरुद्दीन ने इस बात पर जोर दिया कि सदस्यों को वैश्विक मंच पर ऐसे मुद्दे उठा कर साथी सदस्यों पर हमला बोलने से पहले विचार करना चाहिए जो एजेंडा में शामिल नहीं हैं, किसी भी तरह से परिणाम दस्तावेज पर चर्चा का हिस्सा नहीं है, व्यापक परिदृश्य में कोई अहमियत नहीं रखते और जो गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उल्लंघन करते हों.
भारतीय दूत ने कहा, 'अफसोस, एक प्रतिनिधिमंडल ने कल ऐसा करने का प्रयास किया. किसी अन्य सदस्य का स्व हित के ऐसे वर्णन पर जवाब न देना इस बात का संकेत है कि एनएएम कभी भी एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता को कमतर बनाने के मकसद को आगे बढ़ाने का मंच न कभी था और न कभी हो सकता है.'
अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन उनकी यह टिप्पणी उसी को ओर इशारा करती है क्योंकि उसने बहुपक्षीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाया था.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रधान सचिव अंदलीब अब्बास ने मंत्रिस्तरीय बैठक में अपने बयान में कश्मीर का मुद्दा उठाया था और जम्मू-कश्मीर में स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की हालिया रिपोर्ट का संदर्भ दिया था.
अकबरुद्दीन ने कहा कि अफसोस है कि, एक प्रतिनिधिमंडल ने कल ऐसा करने का प्रयास किया. अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन उनकी यह टिप्पणी उसी को ओर इशारा करती है क्योंकि उसने बहुपक्षीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाया था.
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पाकिस्तान के विदेश मामलों की संसदीय सचिव एंडलीब अब्बास ने बयान में कहा कि कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह राज्य में संयुक्त राष्ट्रीय मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्टों का संर्दभ दिया.
हालांकि, अपने संबोधन के दौरान सैयद अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया. बता दें कि भारत संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों को देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन बताते हुए इन्हें दुर्भावना से प्रेरित बताया है.