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अमेरिकी नेतृत्व को कश्मीर की सच्चाई बताना भारतीय अमेरिकी समुदाय की जिम्मेदारी - india should talk america on abrogation of article 370

भारतीय अमेरिकी लोगों के एक समूह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर अमेरिकी नेतृत्व से बात करनी चाहिए. पढ़ें विस्तार से...

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Published : Feb 10, 2020, 7:50 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 9:52 PM IST

वॉशिंगटन : भारतीय अमेरिकी लोगों के एक समूह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने संबंधी फैसले को अमेरिका के समर्थन की जरूरत है और समुदाय की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह राजनीतिक नेतृत्व को कश्मीर की जमीनी सच्चाइयों से अवगत कराए.

वाशिंगटन डीसी के उपनगरीय वर्जीनिया में ‘कैपिटल टेंपल’ में रविवार को आयोजित इस सभा में हिस्सा लेने वाले लोगों ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद और वंशवाद की राजनीति’ को बढ़ावा दिया और इसके समाप्त होने से अब यह क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छुएगा.

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को पिछले साल पांच अगस्त को खत्म कर दिया गया था.

इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि कश्मीर को लेकर भारत द्वारा लिए गए फैसले को अमेरिका के समर्थन की जरूरत है.

वहीं भारतीय अमेरिकी समुदाय के नेता हर्ष सेठी ने कहा कि अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय की यह जिम्मेदारी है कि वह अमेरिकी नेतृत्व को क्षेत्र की जमीनी हकीकतों से रूबरू कराएं.

पढ़ें- डोनाल्ड ट्रंप से मिले भारतीय राजदूत तरनजीत संधू, पेश किया परिचय पत्र

वहीं एक अन्य व्यक्ति राजीव खन्ना ने कहा कि घाटी में कश्मीरी हिंदुओं की वापसी और आतंकवाद मुक्त कश्मीर बहुत जरूरी है.

उदाहरण के लिए न्यूयार्क से डेमोक्रेटिक सांसद टॉम सौजी ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को जम्मू कश्मीर का दर्जा समाप्त करने की भारत सरकार की कार्रवाई के संबंध में एक पत्र भेजा था.

सेठी ने कहा कि एक बार जब वह समुदाय के लोगों से मिले और उन्हें सच्चाई पता चली तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगी.

वॉशिंगटन : भारतीय अमेरिकी लोगों के एक समूह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने संबंधी फैसले को अमेरिका के समर्थन की जरूरत है और समुदाय की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह राजनीतिक नेतृत्व को कश्मीर की जमीनी सच्चाइयों से अवगत कराए.

वाशिंगटन डीसी के उपनगरीय वर्जीनिया में ‘कैपिटल टेंपल’ में रविवार को आयोजित इस सभा में हिस्सा लेने वाले लोगों ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद और वंशवाद की राजनीति’ को बढ़ावा दिया और इसके समाप्त होने से अब यह क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छुएगा.

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को पिछले साल पांच अगस्त को खत्म कर दिया गया था.

इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि कश्मीर को लेकर भारत द्वारा लिए गए फैसले को अमेरिका के समर्थन की जरूरत है.

वहीं भारतीय अमेरिकी समुदाय के नेता हर्ष सेठी ने कहा कि अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय की यह जिम्मेदारी है कि वह अमेरिकी नेतृत्व को क्षेत्र की जमीनी हकीकतों से रूबरू कराएं.

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वहीं एक अन्य व्यक्ति राजीव खन्ना ने कहा कि घाटी में कश्मीरी हिंदुओं की वापसी और आतंकवाद मुक्त कश्मीर बहुत जरूरी है.

उदाहरण के लिए न्यूयार्क से डेमोक्रेटिक सांसद टॉम सौजी ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को जम्मू कश्मीर का दर्जा समाप्त करने की भारत सरकार की कार्रवाई के संबंध में एक पत्र भेजा था.

सेठी ने कहा कि एक बार जब वह समुदाय के लोगों से मिले और उन्हें सच्चाई पता चली तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगी.

Last Updated : Feb 29, 2020, 9:52 PM IST
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