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'म्यांमार की सरकार रोहिंग्याओं को वापस लेने नहीं जा रही'

तीन मई को रोहिंग्या प्रत्यर्पण पर बांग्लादेश और म्यांमार की वार्ता होने जा रही है. भारत में रह रहे रोहिंग्या को लेकर एक्सपर्ट ने ईटीवी भारत के साथ रखी अपनी बात.पढ़ें पूरी खबर......

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Published : Apr 25, 2019, 10:11 PM IST

नई दिल्ली: रोहिंग्या प्रत्यर्पण पर बांग्लादेश और म्यांमार की चौथे चरण की वार्ता का आयोजन तीन मई को नैय पई तौ में होगा. संघर्ष के मुद्दों के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञ सुहास चकमा ने रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रलेखन पर जोर दिया है. उन्होंने ईटीवी भारत से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी.

ईटीवी भारत से बातचीत करते सुहास चकमा.

राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के निदेशक सुहास चकमा ने कहा, 'वास्तव में भारत सरकार भी रोहिंग्या शरणार्थियों को आश्रय देने के उद्देश्य से प्रलेखित कर सकती है और उन्हें उचित समय पर म्यांमार वापस भेज सकती है.'
बता दें, चकमा और उनकी टीम पूर्वोत्तर राज्यों के संघर्ष क्षेत्र में काम कर रही है.
उनका बयान इस तथ्य को महत्व देता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई मौकों पर कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं.
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले कहा था, 'भारत में रहने वाले रोहिंग्या समुदाय के लोग अवैध गतिविधियों में शामिल रहे हैं. हम जानते हैं कि यह रोहिंग्या गलत और अवैध गतिविधियों से जुड़े हैं.'

रिपोर्टों के अनुसार भारत में 40,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं.
चकमा ने कहा, 'म्यांमार की सरकार रोहिंग्याओं को वापस लेने नहीं जा रही है. क्षेत्र की सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों के दस्तावेज बनाने चाहिए थे.'
दिलचस्प बात यह है कि, रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत सरकार और म्यांमार सरकार ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
चकमा ने बताया, 'एमओयू का भी खुलासा नहीं किया गया है.'

माना जाता है कि हाल ही में अपनी तीन दिवसीय ब्रूनेई यात्रा के दौरान, बांग्लादेश की प्रमुख शेख हसीना ने ASEAN देशों से रोहिंग्या प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया में मदद मांगी है.

नई दिल्ली: रोहिंग्या प्रत्यर्पण पर बांग्लादेश और म्यांमार की चौथे चरण की वार्ता का आयोजन तीन मई को नैय पई तौ में होगा. संघर्ष के मुद्दों के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञ सुहास चकमा ने रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रलेखन पर जोर दिया है. उन्होंने ईटीवी भारत से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी.

ईटीवी भारत से बातचीत करते सुहास चकमा.

राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के निदेशक सुहास चकमा ने कहा, 'वास्तव में भारत सरकार भी रोहिंग्या शरणार्थियों को आश्रय देने के उद्देश्य से प्रलेखित कर सकती है और उन्हें उचित समय पर म्यांमार वापस भेज सकती है.'
बता दें, चकमा और उनकी टीम पूर्वोत्तर राज्यों के संघर्ष क्षेत्र में काम कर रही है.
उनका बयान इस तथ्य को महत्व देता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई मौकों पर कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं.
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले कहा था, 'भारत में रहने वाले रोहिंग्या समुदाय के लोग अवैध गतिविधियों में शामिल रहे हैं. हम जानते हैं कि यह रोहिंग्या गलत और अवैध गतिविधियों से जुड़े हैं.'

रिपोर्टों के अनुसार भारत में 40,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं.
चकमा ने कहा, 'म्यांमार की सरकार रोहिंग्याओं को वापस लेने नहीं जा रही है. क्षेत्र की सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों के दस्तावेज बनाने चाहिए थे.'
दिलचस्प बात यह है कि, रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत सरकार और म्यांमार सरकार ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
चकमा ने बताया, 'एमओयू का भी खुलासा नहीं किया गया है.'

माना जाता है कि हाल ही में अपनी तीन दिवसीय ब्रूनेई यात्रा के दौरान, बांग्लादेश की प्रमुख शेख हसीना ने ASEAN देशों से रोहिंग्या प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया में मदद मांगी है.

Intro:New Delhi: Ahead of the May 3 meeting between Bangladesh and Myanmar on Rohingya refugees repatriation issue at May Pyi Taw (Myanmar), expert working in the field of conflict issues has emphasised on the documentation of the Rohingya refugees.


Body:"In fact Governmnet of India also could have documented the Rohingya refugees with the purpose of giving shelter and deport them back to Myanmar at an appropriate time," said Suhas Chakma, Director of Rights and Risks Analysis Group. Chakma and his team have been working in the conflict zone of northeastern states.

His statement assumes significance following the fact that Union Home Ministry on several occasions has said that Rohingya refugees might involve in anti national activities.

"People from the Rohingya community living in India have been involved in illegal activities. We know this Rohingya are linked with wrong and illegal activities," Minister of State for Home Kiren Rijiju had earlier said.

According to the reports there are more than 40,000 Rohingya refugees living in India.

"The government of Myanmar is not going to take back Rohingyas. The Governmnet of the region should have documented the Rohingya refugees," said Chakma.


Conclusion:Interestingly, Governmnet of India and Myanmar Governmnet has also signed a MoU over the Rohingya refugees issue.

"The MoU has also not been disclosed," said Chakma.

During her three day long Brunei visit recently, Bangladesh premier Sheikh Hasina is believed to have appealed the ASEAN countries to help in the process of Rohingya repatriation.

end.
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