नई दिल्ली: वैश्लिक स्त्री-पुरुष समानता सूचकांक में भारत 129 देशों में से 95 वें पायदान पर है. यह सूचकांक गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और कार्यस्थल पर समानता जैसे पहलुओं का आंकलन करता है.
सतत विकास लक्ष्य लैंगिक सूचकांक को ब्रिटेन की इक्विल मेजर्स 2030 ने तैयार किया है. यह अफ्रीकन वुमेंस डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन नेटवर्क , एशिया पैसेफिक रिसोर्स एंड रिसर्च सेंटर फॉर वुमेन , बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन , इंटरनेशनल वुमेन्स हेल्थ कोलिशन समेत क्षेत्रीय और वैश्विक संगठनों का एक संयुक्त प्रयास है.
इस नए सूचकांक में 17 आधिकारिक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में से 14 के 51 संकेतक शामिल हैं.
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सूचकांक में भारत दुनिया के 129 देशों में से 95 वें पायदान पर है. भारत का सबसे ज्यादा स्कोर एसडीजी तीन के स्वास्थ्य क्षेत्र (79.9), भूख एवं पोषण (76.2) और ऊर्जा क्षेत्र (71.8) में रहा.
भारत का सबसे कम स्कोर भागीदारी क्षेत्र (18.3), उद्योग , बुनियादी ढांचा एवं नवोन्मेष (38.1) और जलवायु (43.4) में रहा.
भारत एशिया और प्रशांत क्षेत्र में निचले पायदान पर है. एशिया और प्रशांत के 23 देशों में उसे 17 वें स्थान पर रखा गया है.
सूचकांक में पहले स्थान पर डेनमार्क और 129 वें पायदान पर चाड है. चीन 74 वें स्थान और पाकिस्तान 113 वें जबकि नेपाल 102 और बांग्लादेश 110 वें पायदान पर है.