ETV Bharat / bharat

संयुक्त राष्ट्र में भारत की पाक को सलाह- आतंकी शिविर व टेरर फंडिंग पर लगाए रोक

भारत ने पाकिस्तान को सलाह दी है कि वह जम्मू-कश्मीर पर हस्तक्षेप करना बंद करे और वह अपने देश में आतंकी फंडिंग और आतंकी शिविरों को खत्म करने पर ध्यान दे. पढ़ें पूरी खबर..

संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र
author img

By

Published : Feb 28, 2020, 6:26 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 9:24 PM IST

जेनेवा : भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व को सलाह दी है कि वह अपने देश से संचालित होने वाली आतंकी फंडिंग को रोक दे और आतंकी शिविरों को खत्म कर दे.

भारत का यह बयान वैश्विक आतंकवाद वित्तीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफटीएएफ) द्वारा पेरिस में पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला करने के एक हफ्ते बाद आया.

भारत ने पाक को अपने अधिकार क्षेत्र में आतंकी फंडिंग से जुड़े लोगों पर मुकदमा चलाने और दंडित करने में विफल रहने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी.

पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों पर चिंता जताया.

इसके जवाब में स्थायी मिशन में भारत के सचिव विमर्ष आर्यन ने कहा कि भारत को बदनाम करने के लिए सभी वैश्विक मंचों पर पाकिस्तानी समुदाय की प्रतिक्रियाओं से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गुमराह नहीं किया जा सकता है.

सचिव ने कहा कि आतंकवादी समूहों और संबंधित संस्थाओं के समर्थन के माध्यम से पाक जम्मू-कश्मीर की स्थिति को पटरी से उतरना चाह रहा है. इसके बावजूद प्रदेश की स्थिति तेजी से सामान्य हो रही है.

सचिव विमर्ष आर्यन ने पाक को दस सूत्री सलाह की सूची दी और देश में और प्रदेशों में चल रहे आतंकी फंडिंग और आतंकवादी शिविरों को रोकने के लिए कहा.

पढ़ें : एफएटीएफ : पाक का 'ग्रे' सूची में बने रहना भारत के हित में

उन्होंने कहा कि उच्च स्तर पर पाकिस्तानी नेतृत्व द्वारा आतंकवादियों के लिए सार्वजनिक वकालत और समर्थन को रोकें, अवैध और जबरन कब्जे को समाप्त करें और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में जनसांख्यिकीय बदलावों को बदले और पाक में लोकतंत्र की समानता विकसित करने के लिए संरचनात्मक सुधार करें.

सचिव ने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र के लिए ढांचागत विकास पर काम करे मुस्लिम आबादी बहुल पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को रेखांकित करते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने पड़ोसी हुक्मरान से कहा कि वह ईशनिंदा कानून का बेजा इस्तेमाल कर अल्पसंख्यकों को मौत के घाट उतारे जाने पर रोक लगाए, हिंदू, सिख और ईसाई धर्मो की महिलाओं और बच्चियों के जबरिया धर्मांतरण को खत्म करें और साथ ही शियाओं, अहमदिया, इस्लामिया और हाजरा लोगों के धार्मिक उत्पीड़न पर लगाम लगाए.

उन्होंने कहा, आसिया बीवी के खिलाफ ईशनिंदा कानून, अहमदिया अब्दुल शकूर के खिलाफ कहर बरपाना, नाबालिग सिख लड़की जगजीत कौर का अपहरण और जबरन विवाह - ये सब आज पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए आए दिन की बात हो गए हैं.

उन्होंने पाकिस्तान पर यह भी आरोप लगाया कि वह दूसरे देशों में आत्मघाती हमलों सहित विभिन्न आतंकवादी करतूतों के लिए बच्चों को भर्ती कर रहा है.

भारत और पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया आज इस हकीकत को बखूबी जानती है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार की क्या हालत है. उधर, भारत के लोकतांत्रिक संस्थान समय की कसौटियों पर खरे उतरे हैं और वे संस्थान अल्पसंख्यकों समेत अपने सभी नागरिकों के हितों की रक्षा करने के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है.

कश्मीर मसले पर आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपेरशन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भारतीय दूत ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का उसका कोई अधिकार ही नहीं बनता है.

पढ़ें : हाफिज सईद के खिलाफ PAK में केस दर्ज, भारत ने बताया धोखा

राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर बेल्जियम की टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, भारत का करीबी सहयोगी होने के नाते हम चाहते थे कि बेल्जियम इस मुद्दे पर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले हमसे तथ्यों की पड़ताल करता.

उन्होंने साथ ही कहा, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साफ साफ कह चुके हैं कि असम में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को छोड़कर कहीं भी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है.

जेनेवा : भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व को सलाह दी है कि वह अपने देश से संचालित होने वाली आतंकी फंडिंग को रोक दे और आतंकी शिविरों को खत्म कर दे.

भारत का यह बयान वैश्विक आतंकवाद वित्तीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफटीएएफ) द्वारा पेरिस में पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला करने के एक हफ्ते बाद आया.

भारत ने पाक को अपने अधिकार क्षेत्र में आतंकी फंडिंग से जुड़े लोगों पर मुकदमा चलाने और दंडित करने में विफल रहने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी.

पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों पर चिंता जताया.

इसके जवाब में स्थायी मिशन में भारत के सचिव विमर्ष आर्यन ने कहा कि भारत को बदनाम करने के लिए सभी वैश्विक मंचों पर पाकिस्तानी समुदाय की प्रतिक्रियाओं से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गुमराह नहीं किया जा सकता है.

सचिव ने कहा कि आतंकवादी समूहों और संबंधित संस्थाओं के समर्थन के माध्यम से पाक जम्मू-कश्मीर की स्थिति को पटरी से उतरना चाह रहा है. इसके बावजूद प्रदेश की स्थिति तेजी से सामान्य हो रही है.

सचिव विमर्ष आर्यन ने पाक को दस सूत्री सलाह की सूची दी और देश में और प्रदेशों में चल रहे आतंकी फंडिंग और आतंकवादी शिविरों को रोकने के लिए कहा.

पढ़ें : एफएटीएफ : पाक का 'ग्रे' सूची में बने रहना भारत के हित में

उन्होंने कहा कि उच्च स्तर पर पाकिस्तानी नेतृत्व द्वारा आतंकवादियों के लिए सार्वजनिक वकालत और समर्थन को रोकें, अवैध और जबरन कब्जे को समाप्त करें और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में जनसांख्यिकीय बदलावों को बदले और पाक में लोकतंत्र की समानता विकसित करने के लिए संरचनात्मक सुधार करें.

सचिव ने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र के लिए ढांचागत विकास पर काम करे मुस्लिम आबादी बहुल पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को रेखांकित करते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने पड़ोसी हुक्मरान से कहा कि वह ईशनिंदा कानून का बेजा इस्तेमाल कर अल्पसंख्यकों को मौत के घाट उतारे जाने पर रोक लगाए, हिंदू, सिख और ईसाई धर्मो की महिलाओं और बच्चियों के जबरिया धर्मांतरण को खत्म करें और साथ ही शियाओं, अहमदिया, इस्लामिया और हाजरा लोगों के धार्मिक उत्पीड़न पर लगाम लगाए.

उन्होंने कहा, आसिया बीवी के खिलाफ ईशनिंदा कानून, अहमदिया अब्दुल शकूर के खिलाफ कहर बरपाना, नाबालिग सिख लड़की जगजीत कौर का अपहरण और जबरन विवाह - ये सब आज पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए आए दिन की बात हो गए हैं.

उन्होंने पाकिस्तान पर यह भी आरोप लगाया कि वह दूसरे देशों में आत्मघाती हमलों सहित विभिन्न आतंकवादी करतूतों के लिए बच्चों को भर्ती कर रहा है.

भारत और पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया आज इस हकीकत को बखूबी जानती है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार की क्या हालत है. उधर, भारत के लोकतांत्रिक संस्थान समय की कसौटियों पर खरे उतरे हैं और वे संस्थान अल्पसंख्यकों समेत अपने सभी नागरिकों के हितों की रक्षा करने के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है.

कश्मीर मसले पर आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपेरशन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भारतीय दूत ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का उसका कोई अधिकार ही नहीं बनता है.

पढ़ें : हाफिज सईद के खिलाफ PAK में केस दर्ज, भारत ने बताया धोखा

राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर बेल्जियम की टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, भारत का करीबी सहयोगी होने के नाते हम चाहते थे कि बेल्जियम इस मुद्दे पर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले हमसे तथ्यों की पड़ताल करता.

उन्होंने साथ ही कहा, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साफ साफ कह चुके हैं कि असम में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को छोड़कर कहीं भी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है.

Last Updated : Mar 2, 2020, 9:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.