काठमांडू: विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके नेपाली समकक्ष प्रदीप ज्ञवाली ने संपर्क और आर्थिक साझीदारी पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की.
बृहस्पतिवार को इस बात की जानकारी काठमांडू के अधिकारियों ने दी.
नेपाल में विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके बताया कि दोनों नेताओं ने पांचवीं नेपाल-भारत संयुक्त आयोग बैठक में अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और उपक्षेत्रीय स्तर पर सहयोग संबंधी मामलों पर चर्चा की. यह बैठक यहां बुधवार को यहां संपन्न हुई.
बयान में कहा गया, 'नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक में सम्पूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की गई. इस दौरान संपर्क एवं आर्थिक साझेदारी, व्यापार एवं पारगमन, शक्ति एवं जल संसाधन, संस्कृति एवं शिक्षा के क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया.'
बयान में कहा गया कि दोनों मंत्रियों ने खासकर ‘विजिट नेपाल ईयर 2020 के संदर्भ में पर्यटन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया.
नेपाल-भारत संयुक्त आयोग का गठन 1987 में किया गया था जिसकी बैठकें बारी-बारी से नेपाल और भारत में होती हैं. इससे पहले आयोग की बैठक नई दिल्ली में अक्टूबर 2016 में हुई थी.
बयान में बताया गया कि बैठक में 1950 की शांति एवं मित्रता संधि की समीक्षा और नेपाल-भारत संबंधों पर प्रख्यात व्यक्तियों के समूह की एक रिपोर्ट पर चर्चा की गई.
इसमें कहा गया, भारत-नेपाल संयुक्त आयोग ने मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन, हुलाकी सड़कों के चार खंडों और नुवाकोट एवं गोरखा जिलों में भूकंप के बाद निजी आवासों के पुनर्निर्माण जैसी द्विपक्षीय परियोजनाओं की प्रगति पर खुशी व्यक्त की.
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इसके अलावा दोनों पक्षों ने जयनगर-जनकपुर और जोगबनी-बिराटनगर खंडों में सीमा पार रेलवे परियोजनाओं और बिराटनगर में एकीकृत चेक पोस्ट की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया.
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बताया कि आयोग ने शेष परियोजनाओं को जल्दी पूरा करने पर सहमति जताई.
बयान में कहा गया कि संयुक्त आयोग ने तीन क्षेत्रों- रक्सौल-काठमांडू विद्युतीकृत रेल लाइन, अंतर्देशीय जलमार्ग और कृषि में नई साझेदारी में हुई प्रगति पर भी संतोष व्यक्त किया.
इन तीनों क्षेत्रों में अप्रैल 2018 में नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की भारत यात्रा के दौरान सहमति बनी थी.
दोनों पक्षों ने व्यापार, पारगमन एवं रेल सेवाओं संबंधी संधियों एवं समझौतों की समीक्षा को शीघ्र पूरा करने पर भी सहमति जताई.
संयुक्त आयोग ने इस बात को रेखांकित किया कि सीमावर्ती इलाकों में पानी भरने की गंभीर समस्या है और इससे निपटने की आवश्यकता है. जलभराव का मुख्य कारण सीमावर्ती इलाकों में जलनिकासी के उचित प्रबंध का अभाव है.