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बढ़ा रक्षा उत्पादों का निर्यात, दिखने लगा मेक इन इंडिया का असर - डिफेंस एक्सपो 2020

रक्षा उत्पादों के निर्यात मामले में भारत के कदम लगातार बढ़ रहे हैं. भारत 2012-13 में जहां 500 करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादों का निर्यात नहीं कर पाया था, वहीं 2018 में यह आंकड़ा 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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Published : Feb 9, 2020, 5:14 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 6:42 PM IST

हैदराबाद : भारतीय सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में एक है. भारतीय सेना अत्याधुनिक हथियारों से पूरी तरह से लैस है और इसमें ज्यादातर हथियार आयात किए गए हैं. हालांकि अब स्थिति बदल रही है. भारत विगत कई वर्षों से देश में ही हथियार बनाने के प्रयास में लगा है. इस मामले सफलता भी मिल रही है. हाल ही में देश ने तेजस लड़ाकू विमान व ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया है.

हालांकि कई ऐसे छोटे देश हैं, जो दुनियाभर में युद्ध सामग्री का निर्यात करते हैं. इन देशों में स्पेन, इजराइल, इटली, नीदरलैंड आदि प्रमुख हैं. बता दें कि चीन एक समय दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार आयात करने वाला देश था, लेकिन अब वह हथियार निर्यात करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है.

डॉ अजय कुमार से बातचीत

रक्षा निर्यात में बढ़ते भारत के कदम
भारत की मंशा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की रिपोर्ट से जाहिर हो जाती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2014 तक दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदता था, लेकिन 2014 के बाद से कई हथियारों का निर्माण स्वयं करने लगा है. यही कारण है कि अब देश दुनिया में हथियार आयात करने वाले देशों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर आ गया है.

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वर्षवार रक्षा निर्यात के आंकड़े

रक्षा उत्पाद से जुड़े कुछ तथ्य-

  • 1991 में भारतीय रक्षा निर्यात लगभग न के बराबर था. अपने द्वारा बनाए गए हथियार व्यापार के आंकड़ों के अनुसार भारत 40वें स्थान पर था.
  • रूमेनिया, चिली, सिंगापुर, केन्या, बेल्जियम, ईरान और लेबनान जैसे छोटे-छोटे देश भी रक्षा उपकरण निर्यात के मामले में भारत से अव्वल थे. यहां तक कि पाकिस्तान भी भारत से ज्यादा हाथियारों का निर्यात करता था.
  • वर्ष 2000 में भारत के रक्षा निर्यात में मामूली वृद्धि हुई. हालांकि समग्र प्रदर्शन निराशाजनक रहा. 2001 में भारत ने दुनिया में 86 हथियार निर्यातक देशों में अपना 40वां स्थान बरकरार रखा.
  • अगले दशक 2001 से 2010 के बीच भारत रक्षा निर्यात में कुछ खास नहीं कर पाया.
  • 2011 में रक्षा निर्यात रैंक में कुछ सुधार हुआ. इस वर्ष भारत 76 निर्यातक देशों की सूची में 37वें स्थान पर पहुंच गया और भारत ने दुनियाभर में निर्यात हुई रक्षा सामग्री का 0.1 फीसदी व्यापार किया.
  • रक्षा निर्यात के लिए रणनीति की घोषणा और निर्यात के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के अनुदान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को सुव्यवस्थित करने के साथ, रक्षा निर्यात के संबंध में भारत की वैश्विक रैंकिंग में धीमा, किंतु लगातार सुधार हुआ है.
  • 2014 से 2018 की अवधि में भारतीय रक्षा निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई.
  • 2017 में रक्षा उत्पादनों के निर्यात में भारत 25वें स्थान पर था. इस वर्ष भारत ने दुनिया के कुल रक्षा व्यापार का 0.18 फीसद निर्यात किया.
  • 2018 में भारत ने 54 रक्षा उत्पादों का दुनियाभर में निर्यात किया. इस वर्ष भारत की रैंकिंग 24वीं रही. इस वर्ष भारत ने वैश्विक स्तर किए गए व्यापार का 0.17 फीसदी का निर्यात किया.
  • 2009 से 2018 तक का निर्यात देखें तो पहले पांच वर्ष की तुलना में भारत ने 2013 से 2018 के बीच ज्यादा निर्यात किया है. 2009-2013 के दौरान भारत ने 0.04 फीसद निर्यात किया था, वहीं 2013 से 2018 के बीच भारत ने 0.15 फीसद का कारोबार किया.

मेक इन इंडिया पर जोर
रक्षा क्षेत्र में छह वर्ष पूर्व शुरू की गई मेक इन इंडिया की कोई भी प्रमुख परियोजना नहीं है, जिसमें नई पीढ़ी की पनडुब्बी, माइंसवेपर और हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर से लकेर, थल सेना के वाहनों और लड़ाकू जेट विमान जिनका निर्माण इस योजना के तहत हुआ हो. बिना अनुबंध के शुरू किए गए लंबे समय से लंबित यह प्रोजेक्ट्स, जिनकी कीमत 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, या तो अटके हैं या फिर भी विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेकइन इंडिया के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में आर्डिनेंस फैक्ट्री का उद्घाटन किया था. इंडो-रूस राइफल प्राइवेट लिमटेड की भारत में आर्डिनेंस फैक्ट्री दोनों देशों की संयुक्त परियोजना है. यह कम्पनी ज्यादा रेंज वाली कलाश्निकोव (एके -203) राइफल का निर्माण करेगी.

हालांकि 2014 से 2018 के बीच आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने कई हथियारों का निर्माण किया, जो विदेश के मुकाबले सस्ते और अच्छे हैं. इन हथियारों को दुनिया को दिखाने के लिए भारत दो वर्ष से डिफेंस एक्सपो कर रहा है, जहां पर कई देशों के रक्षा मंत्री भी भारतीय युद्धक समाग्री देखने आए. इन वर्षों के बीच में भारत ने कई हथियार दूसरे देशों को बेचे.

भारत इन देशों को बेचता है हथियार
भारत में अपने रक्षा उत्पादों का निर्यात अल्जीरिया, इजराइल, अफगानिस्तान, इक्वाडोर, रूस, यूके, इंडोनेशिया, नेपाल, ओमान, रूमेनिया, बेल्जियम, वियतनाम, म्यांमार, दक्षिण कोरिया और सूडान को किया है. भारत द्वारा निर्यात की जा रही प्रमुख रक्षा सामग्रियों में बुलेट प्रूफ जैकेट, अपतटीय गश्ती जलयान, रडार के लिए कलपुर्जे, चीतल हेलीकॉप्टर, टरबो चार्जर एवं बटरियां, इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियां (इओपीओडी एएलएच प्रणाली), लाइट इंजीनियरिंग मेकैनिकल कलपुर्जे इत्यादि शामिल हैं.

इस बार लखनऊ में लगे डिफेंस एक्सपों के दौरान कई देशों ने भारत में निर्मित ब्रह्मोस व अकाश मिसाइलों को खरीदने के रुचि दिखाई है. भारतीय रक्षा उत्पादों का आकंड़ा 2012 से लगातार बढ़ता जा रहा है. इसका अनुमान इस बात से लगता है कि वर्ष 2012-2013 के दौरान भारत ने लगभग 461 करोड़ की रक्षा सम्रागी का निर्यात किया था, वहीं 2018 से 2019 में 10745 करोड़ का निर्यात किया गया. यानी लगभग 23 गुना ज्यादा. बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरणों का निर्यात अमेरिका करता है और दूसरे स्थान पर रूस है.

आयात की स्थिति
भारत 2004 से 2014 तक दुनिया में आयात होने वाले कुल हथियारों का 13 फीसदी हिस्सा आयात करता था. आयात करने के मामले में देश पहले स्थान पर था. वर्तमान में भारत आयात करने के मामले में दुनिया का दूसरा देश बन गया. बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा समाग्री का आयात करने के मामले में सऊदी अरब पहले स्थान पर है. भारत दूसरे, इजिप्ट तीसरे, ऑस्ट्रेलिया चौथे और चीन छठे स्थान पर है.

हैदराबाद : भारतीय सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में एक है. भारतीय सेना अत्याधुनिक हथियारों से पूरी तरह से लैस है और इसमें ज्यादातर हथियार आयात किए गए हैं. हालांकि अब स्थिति बदल रही है. भारत विगत कई वर्षों से देश में ही हथियार बनाने के प्रयास में लगा है. इस मामले सफलता भी मिल रही है. हाल ही में देश ने तेजस लड़ाकू विमान व ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया है.

हालांकि कई ऐसे छोटे देश हैं, जो दुनियाभर में युद्ध सामग्री का निर्यात करते हैं. इन देशों में स्पेन, इजराइल, इटली, नीदरलैंड आदि प्रमुख हैं. बता दें कि चीन एक समय दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार आयात करने वाला देश था, लेकिन अब वह हथियार निर्यात करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है.

डॉ अजय कुमार से बातचीत

रक्षा निर्यात में बढ़ते भारत के कदम
भारत की मंशा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की रिपोर्ट से जाहिर हो जाती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2014 तक दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदता था, लेकिन 2014 के बाद से कई हथियारों का निर्माण स्वयं करने लगा है. यही कारण है कि अब देश दुनिया में हथियार आयात करने वाले देशों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर आ गया है.

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वर्षवार रक्षा निर्यात के आंकड़े

रक्षा उत्पाद से जुड़े कुछ तथ्य-

  • 1991 में भारतीय रक्षा निर्यात लगभग न के बराबर था. अपने द्वारा बनाए गए हथियार व्यापार के आंकड़ों के अनुसार भारत 40वें स्थान पर था.
  • रूमेनिया, चिली, सिंगापुर, केन्या, बेल्जियम, ईरान और लेबनान जैसे छोटे-छोटे देश भी रक्षा उपकरण निर्यात के मामले में भारत से अव्वल थे. यहां तक कि पाकिस्तान भी भारत से ज्यादा हाथियारों का निर्यात करता था.
  • वर्ष 2000 में भारत के रक्षा निर्यात में मामूली वृद्धि हुई. हालांकि समग्र प्रदर्शन निराशाजनक रहा. 2001 में भारत ने दुनिया में 86 हथियार निर्यातक देशों में अपना 40वां स्थान बरकरार रखा.
  • अगले दशक 2001 से 2010 के बीच भारत रक्षा निर्यात में कुछ खास नहीं कर पाया.
  • 2011 में रक्षा निर्यात रैंक में कुछ सुधार हुआ. इस वर्ष भारत 76 निर्यातक देशों की सूची में 37वें स्थान पर पहुंच गया और भारत ने दुनियाभर में निर्यात हुई रक्षा सामग्री का 0.1 फीसदी व्यापार किया.
  • रक्षा निर्यात के लिए रणनीति की घोषणा और निर्यात के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के अनुदान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को सुव्यवस्थित करने के साथ, रक्षा निर्यात के संबंध में भारत की वैश्विक रैंकिंग में धीमा, किंतु लगातार सुधार हुआ है.
  • 2014 से 2018 की अवधि में भारतीय रक्षा निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई.
  • 2017 में रक्षा उत्पादनों के निर्यात में भारत 25वें स्थान पर था. इस वर्ष भारत ने दुनिया के कुल रक्षा व्यापार का 0.18 फीसद निर्यात किया.
  • 2018 में भारत ने 54 रक्षा उत्पादों का दुनियाभर में निर्यात किया. इस वर्ष भारत की रैंकिंग 24वीं रही. इस वर्ष भारत ने वैश्विक स्तर किए गए व्यापार का 0.17 फीसदी का निर्यात किया.
  • 2009 से 2018 तक का निर्यात देखें तो पहले पांच वर्ष की तुलना में भारत ने 2013 से 2018 के बीच ज्यादा निर्यात किया है. 2009-2013 के दौरान भारत ने 0.04 फीसद निर्यात किया था, वहीं 2013 से 2018 के बीच भारत ने 0.15 फीसद का कारोबार किया.

मेक इन इंडिया पर जोर
रक्षा क्षेत्र में छह वर्ष पूर्व शुरू की गई मेक इन इंडिया की कोई भी प्रमुख परियोजना नहीं है, जिसमें नई पीढ़ी की पनडुब्बी, माइंसवेपर और हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर से लकेर, थल सेना के वाहनों और लड़ाकू जेट विमान जिनका निर्माण इस योजना के तहत हुआ हो. बिना अनुबंध के शुरू किए गए लंबे समय से लंबित यह प्रोजेक्ट्स, जिनकी कीमत 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, या तो अटके हैं या फिर भी विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेकइन इंडिया के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में आर्डिनेंस फैक्ट्री का उद्घाटन किया था. इंडो-रूस राइफल प्राइवेट लिमटेड की भारत में आर्डिनेंस फैक्ट्री दोनों देशों की संयुक्त परियोजना है. यह कम्पनी ज्यादा रेंज वाली कलाश्निकोव (एके -203) राइफल का निर्माण करेगी.

हालांकि 2014 से 2018 के बीच आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने कई हथियारों का निर्माण किया, जो विदेश के मुकाबले सस्ते और अच्छे हैं. इन हथियारों को दुनिया को दिखाने के लिए भारत दो वर्ष से डिफेंस एक्सपो कर रहा है, जहां पर कई देशों के रक्षा मंत्री भी भारतीय युद्धक समाग्री देखने आए. इन वर्षों के बीच में भारत ने कई हथियार दूसरे देशों को बेचे.

भारत इन देशों को बेचता है हथियार
भारत में अपने रक्षा उत्पादों का निर्यात अल्जीरिया, इजराइल, अफगानिस्तान, इक्वाडोर, रूस, यूके, इंडोनेशिया, नेपाल, ओमान, रूमेनिया, बेल्जियम, वियतनाम, म्यांमार, दक्षिण कोरिया और सूडान को किया है. भारत द्वारा निर्यात की जा रही प्रमुख रक्षा सामग्रियों में बुलेट प्रूफ जैकेट, अपतटीय गश्ती जलयान, रडार के लिए कलपुर्जे, चीतल हेलीकॉप्टर, टरबो चार्जर एवं बटरियां, इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियां (इओपीओडी एएलएच प्रणाली), लाइट इंजीनियरिंग मेकैनिकल कलपुर्जे इत्यादि शामिल हैं.

इस बार लखनऊ में लगे डिफेंस एक्सपों के दौरान कई देशों ने भारत में निर्मित ब्रह्मोस व अकाश मिसाइलों को खरीदने के रुचि दिखाई है. भारतीय रक्षा उत्पादों का आकंड़ा 2012 से लगातार बढ़ता जा रहा है. इसका अनुमान इस बात से लगता है कि वर्ष 2012-2013 के दौरान भारत ने लगभग 461 करोड़ की रक्षा सम्रागी का निर्यात किया था, वहीं 2018 से 2019 में 10745 करोड़ का निर्यात किया गया. यानी लगभग 23 गुना ज्यादा. बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरणों का निर्यात अमेरिका करता है और दूसरे स्थान पर रूस है.

आयात की स्थिति
भारत 2004 से 2014 तक दुनिया में आयात होने वाले कुल हथियारों का 13 फीसदी हिस्सा आयात करता था. आयात करने के मामले में देश पहले स्थान पर था. वर्तमान में भारत आयात करने के मामले में दुनिया का दूसरा देश बन गया. बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा समाग्री का आयात करने के मामले में सऊदी अरब पहले स्थान पर है. भारत दूसरे, इजिप्ट तीसरे, ऑस्ट्रेलिया चौथे और चीन छठे स्थान पर है.

Intro:एंकर
लखनऊ। डिफेंस एक्सपो 2020 में शामिल होने आए भारत सरकार के रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की उन्होंने इस दौरान कहा कि हम सेना को हाईटेक हथियारों से लैस करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं और नई तकनीक वाले अत्याधुनिक हथियार भारत में बन रहे हैं विदेशों से जो एमओयू हो रहे हैं उसमें इस बात पर बल दिया जा रहा है कि भारत में तो हथियार बने हैं लेकिन भारत में जो हथियार बने वह विदेशों तक भी पहुंचे इसकी भी हम लोग फिक्र कर रहे हैं भारत लगातार खुद को सशक्त बनाने के लिए बेहतर ढंग से काम कर रहा है और हमारी कोशिश है कि हम बेहतरीन हथियारों से लैस देश बन सकें।



Body:बाईट, डॉ अजय कुमार, रक्षा सचिव भारत सरकार
डिफेंस एक्सपो 2020 में करीब 200 से अधिक एमओयू साइन हुए हैं जो विभिन्न सेक्टर में हुए हैं यह एक सफल आयोजन रहा है पिछली बार 2018 में जो डिफेंस एक्सपो हुआ था उसमें 40 एमओयू हुए थे इस बार बहुत अच्छा काम हुआ है हम ऐसे काम कर रहे हैं कि डिफेंस और स्पेस के क्षेत्र में हम बेहतर काम कर सके इस डिफेंस एक्सपो में करीब 1000 कंपनियां आईफोन जिसमें 8:30 सौ कंपनियों देसी कंपनियों ने भाग लिया और हम बेहतरीन टेक्नोलॉजी वाली कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं सरकार बेहतर ढंग से काम कर रही है और समन्वय बनाकर हथियार बनाने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं हमारी कोशिश है कि वह चाहे सिस्टम में फाइटर हेलीकॉप्टर हेलीकॉप्टर हमारी कोशिश है कि सेना पूरी तरह से सक्षम हो और मजबूती से दुश्मनों से लोहा लेने का काम कर सके हम जल थल नभ तीनों सेनाओं को बेहतर करने के लिए और उन्हें हथियारों से लैस करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं नई टेक्निक डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन ऑफ डिफेंस में और अधिक धन से काम कर रहे हैं डिफेंस एक्सपो में भी बहुत बड़ा काम हुआ है यूपी में बनने वाले डिफेंस कॉरिडोर में भी ₹3000 से अधिक का काम हो रहा है आज भी 50000 करोड़ के निवेश की प्लानिंग हुई है हम डिफेंस सिस्टम को बेहतर करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।



Conclusion:धीरज त्रिपाठी 9453099555
Last Updated : Feb 29, 2020, 6:42 PM IST
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