हैदराबाद : पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर पांच मई को भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को हुई हिसंक झड़प के 60 दिन बीत जाने के बाद अड़ियल रुख अपनाते हुए पीएलए ने फिंगर पांच से पीछे हटने से इनकार कर दिया है, जो पूर्वी लद्दाख में लगभग 13,800 फीट पर स्थित 134 किमी लंबी खारे पानी की झील के किनारे पर स्थित है.
सूत्र के अनुसार सूचना मिली है कि फिंगर पांच क्षेत्र ,जहां वर्तमान में चीनी सैनिक तैनात हैं और वह वहां से पीछे हटने से इनकार कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है डी- एस्केलेशन की प्रक्रिया के पहले चरण में पीएलए फिंगर 4 से फिंगर 5 तक हटी, जबकि पीएलए को दूसरे चरण में फिंगर 5 से पीछे हटना है.
स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, एक वरिष्ठ सैन्य सूत्र ने ईटीवी भारत से कहा, 'इंतजार करें और क्या होता देखें.'
पीएलए द्वारा पीछे हटने से इनकार करने के बाद दोनों पक्षों के बीच जारी वार्ता प्रक्रिया को बर्बाद कर दिया है.
सेना के एक और अधिकारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए पीएलए के इस कदम पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि 15 जून को हुई गलवान घाटी की घटना के बाद आपसी विश्वास हासिल करने में समय लगेगा, इसलिए, शीघ्र विघटन को प्राप्त करना मुश्किल हो सकती है. इसलिए पूर्ण विघटन के लिए आवश्यक है कि सैन्य स्तर पर चर्चा होती रहे.
पश्चिम से पूर्व की ओर फैली, फिंगर्स 4 से 8 स्पर्स हैं, जो दक्षिण से पहाड़ों की ओर से पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलते हैं. वहीं, भारत फिंगर 8 के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दावा करता है, चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र का दावा करता है. हालांकि, अतीत में पीएलए ने फिंगर 8 से 4 पर गश्त की, भारतीय सेना ने फिंगर 4 से 8 तक गश्त की.
बता दें कि मंगलवार को 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह और पीएलए के दक्षिण झिंजियांग सैन्य जिला कमांडर मेजर जनरल लिन लियू के बीच हुई बातचीत में पंगोंग त्सो मुद्दा एक केंद्रीय बिंदु था जिसे 15 घंटे की लंबी मैराथन बैठक के दौरान हल नहीं किया जा सका.
लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा (रिटायर), जिन्होंने 14 कोर की कमान संभाली थी, ने ईटीवी भारत को बताया कि यह स्पष्ट है कि पीएलए विशेष रूप से पैंगॉन्ग त्सो में शुरुआती विघटन पर रोक लगा रहा है. फिर भी हमने कोर कमांडरों के स्तर पर चार बैठकें की हैं. मुझे लगता है कि हमें चर्चा जारी रखनी होगी. इस बीच, हमें जमीन पर दबाव बनाए रखना चाहिए और पूर्वी लद्दाख में अन्य क्षेत्रों के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि दोनों सेनाओं में विश्वास का अभाव है.
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बता दें कि अब तक भारत और चीन के बीच चार सैन्य स्तर की बैठकें हो चुकी हैं. यह बैठकें क्रमश: 6 जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई को हुईं.
गलवान घाटी (पैट्रोल पॉइंट 14), हॉट स्प्रिंग्स (पीपी15) और गोगरा (पीपी 17) में दोनों पक्ष पहले ही पीछे ही हट चुके हैं. यह वही जगह है, जहां 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.
इसके बाद दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं के बीच कोर कमांड , विशेष प्रतिनिधि और राजनयिक स्तर पर बढ़ रहे क्षेत्रीय विवादों को समाप्त करने के लिए वार्तांए हो रही हैं.
पूर्वी लद्दाख में हुई हिंसक झड़प के बाद इलाके में बड़ी तादाद में जंगी सामान और बड़ी तादाद में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई. साथ ही दोनों देशों ने इस बात को भी महसूस किया कि यहां अप्रैल से पूर्व की यथास्थिति बहाल करने की प्रक्रिया में समय लगेगा.