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लद्दाख के चुशुल में 14 घंटे से अधिक समय तक हुई भारत-चीन सैन्य वार्ता

भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता लगभग 14.5 घंटे तक चली. मंगलवार को यह बैठक पूर्वी लद्दाख के चुशुल में सुबह 11.30 बजे शुरू हुई थी. समाचार एजेंसी के मुताबिक दोनों पक्षों की बैठक 14 जुलाई की आधी रात के दो घंटे बाद यानी 15 जुलाई को लगभग 2 बजे समाप्त हुई.

India China Commander level talk in ladakh
भारत चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता
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Published : Jul 15, 2020, 7:55 AM IST

Updated : Jul 15, 2020, 8:11 AM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता लगभग 14.5 घंटे तक चली. बैठक में भारतीय सेना की टीम का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह ने किया, जबकि चीनी पक्ष की ओर से दक्षिण शिनजियांग मिलिट्री के जिला कमांडर मेजर जनरल लिन लियू मौजूद रहे.

गौरतलब है कि इससे पहले लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए भारच-चीन के बीच शीर्ष कमांडर स्तर पर तीन बैठकें हो चुकी हैं. दोनों पक्षों के बीच हुई तीन अन्य बैठकें भी देर रात तक जारी रही थी. दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता के अलावा राजनियक स्तर पर भी बातचीत जारी है.

सैन्य सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मुख्य एजेंडा फिंगर एरिया को सुलझाने, गहराई वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने और विघटन की प्रक्रिया को पूरा करने पर रहा.

बता दें कि बीते दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर वार्ता में एलएसी पर तनाव करने पर सहमति बनी थी. जिसके बाद भारत और चीन के सैनिक गलवान घाटी में अग्रिम मोर्चों से करीब एक किलोमीटर पीछे हटे थे. हालांकि, दोनों देशों की सेनाओं के पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया अभी भी जारी है.

यह भी पढ़ें: डोभाल की चीनी विदेश मंत्री से सौहार्दपूर्ण बातचीत, भारत-चीन की सेनाएं एलएसी से पीछे हटीं

विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गलवान घाटी (पेट्रोल प्लाइंट 14), हॉट स्प्रिंग्स (पेट्रोल प्लाइंट 15), गोग्रा (पेट्रोल प्लाइंट 17) तथा अन्य अग्रिम मोर्चों से अपने सैनिकों को वापस बुला चुकी है. पैंगोंग झील के उत्तरी छोर पर स्थित फिंगर फोर पर अभी भी चीनी सैनिक मौजदू हैं, लेकिन चीनी सेना यहां भी अपनी उपस्थिति कम कर चुकी है.

कहां से शुरू हुआ है नया गतिरोध

बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में विगत 15-16 जून की दरम्यानी रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें एक कर्नल समेत 20 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे. देर रात सैन्य सूत्रों के हवाले से आई खबरों में बताया गया था कि चीनी पक्ष में 43 लोग हताहत हुए हैं.

यह भी पढ़ें: सीमा पर हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद, दुश्मन चीन के भी 43 सैनिक हताहत

अमेरिकी खुफिया विभाग के हवाले से सामने आई खबरों के मुताबिक गलवान में हुई हिंसक झड़प में चीनी सेना के एक कमांडर समेत 35 लोग भी मारे गए थे, लेकिन चीन ने हिंसक झड़प के करीब एक महीने बीत जाने के बाद भी चीन ने नहीं बताया है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कितने सैनिक भी मारे गए थे.

यह भी पढ़ें: एलएसी पर झड़प में चीनी कमांडर समेत 35 सैनिक ढेर

हिंसक झड़प के बाद यह खबर सामने आई थी कि गलवान घाटी में मारे गए सैनिकों के परिजनों को चीनी सरकार शांत करने में जुटी हुई है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन द्वारा लिखा गया है कि मृतकों को सर्वोच्च सम्मान दिया गया है और यह जानकारी अंततः ही सबको दी जाएगी ताकि नायकों को याद किया जा सके.

यह भी पढ़ें- गलवान हिंसा में मारे गए सैनिकों के परिवारों को शांत करने में लगा चीन

बाद में अमेरिकी खुफिया विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीन लद्दाख में हुई गलती को छिपाने की कोशिश कर रहा है. अमेरिकी खुफिया विभाग के आकलन के अनुसार, गलवान में मारे गए सैनिकों के परिवारों पर सरकार दबाव बना रही है कि वे शवयात्रा और व्यक्ति के अंतिम संस्कार समारोह का आयोजन न करें. अमेरिकन इंटेलिजेंस के मुताबिक चीन ऐसा इसलिए कर रहा है कि क्योंकि वह नहीं स्वीकार करना चाहता कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक भी मारे गए थे.

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता लगभग 14.5 घंटे तक चली. बैठक में भारतीय सेना की टीम का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह ने किया, जबकि चीनी पक्ष की ओर से दक्षिण शिनजियांग मिलिट्री के जिला कमांडर मेजर जनरल लिन लियू मौजूद रहे.

गौरतलब है कि इससे पहले लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए भारच-चीन के बीच शीर्ष कमांडर स्तर पर तीन बैठकें हो चुकी हैं. दोनों पक्षों के बीच हुई तीन अन्य बैठकें भी देर रात तक जारी रही थी. दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता के अलावा राजनियक स्तर पर भी बातचीत जारी है.

सैन्य सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मुख्य एजेंडा फिंगर एरिया को सुलझाने, गहराई वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने और विघटन की प्रक्रिया को पूरा करने पर रहा.

बता दें कि बीते दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर वार्ता में एलएसी पर तनाव करने पर सहमति बनी थी. जिसके बाद भारत और चीन के सैनिक गलवान घाटी में अग्रिम मोर्चों से करीब एक किलोमीटर पीछे हटे थे. हालांकि, दोनों देशों की सेनाओं के पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया अभी भी जारी है.

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विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गलवान घाटी (पेट्रोल प्लाइंट 14), हॉट स्प्रिंग्स (पेट्रोल प्लाइंट 15), गोग्रा (पेट्रोल प्लाइंट 17) तथा अन्य अग्रिम मोर्चों से अपने सैनिकों को वापस बुला चुकी है. पैंगोंग झील के उत्तरी छोर पर स्थित फिंगर फोर पर अभी भी चीनी सैनिक मौजदू हैं, लेकिन चीनी सेना यहां भी अपनी उपस्थिति कम कर चुकी है.

कहां से शुरू हुआ है नया गतिरोध

बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में विगत 15-16 जून की दरम्यानी रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें एक कर्नल समेत 20 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे. देर रात सैन्य सूत्रों के हवाले से आई खबरों में बताया गया था कि चीनी पक्ष में 43 लोग हताहत हुए हैं.

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अमेरिकी खुफिया विभाग के हवाले से सामने आई खबरों के मुताबिक गलवान में हुई हिंसक झड़प में चीनी सेना के एक कमांडर समेत 35 लोग भी मारे गए थे, लेकिन चीन ने हिंसक झड़प के करीब एक महीने बीत जाने के बाद भी चीन ने नहीं बताया है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कितने सैनिक भी मारे गए थे.

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हिंसक झड़प के बाद यह खबर सामने आई थी कि गलवान घाटी में मारे गए सैनिकों के परिजनों को चीनी सरकार शांत करने में जुटी हुई है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन द्वारा लिखा गया है कि मृतकों को सर्वोच्च सम्मान दिया गया है और यह जानकारी अंततः ही सबको दी जाएगी ताकि नायकों को याद किया जा सके.

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बाद में अमेरिकी खुफिया विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीन लद्दाख में हुई गलती को छिपाने की कोशिश कर रहा है. अमेरिकी खुफिया विभाग के आकलन के अनुसार, गलवान में मारे गए सैनिकों के परिवारों पर सरकार दबाव बना रही है कि वे शवयात्रा और व्यक्ति के अंतिम संस्कार समारोह का आयोजन न करें. अमेरिकन इंटेलिजेंस के मुताबिक चीन ऐसा इसलिए कर रहा है कि क्योंकि वह नहीं स्वीकार करना चाहता कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक भी मारे गए थे.

Last Updated : Jul 15, 2020, 8:11 AM IST
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