नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) का गठन करने का निर्णय लिया गया है. राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) के लिए 1517.57 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है. व्यय तीन वर्षों की अवधि में किया जाएगा.
एनआरए की स्थापना के अलावा 117 आकांक्षी जिलों में परीक्षा आधारभूत ढांचा स्थापित करने के लिए भी राशि खर्च होगी. सरकार की योजना देश के प्रत्येक जिले में एक परीक्षा केंद्र स्थापित करने की भी है. प्रारंभिक योजना देशभर में 1000 परीक्षा केंद्र स्थापित करने की है.
सरकारी बयान के अनुसार एनआरए एक बहु-एजेंसी निकाय होगी, जिसकी शासी निकाय में रेलवे मंत्रालय, वित्त मंत्रालय/वित्तीय सेवा विभाग, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) तथा बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
एक विशेषज्ञ निकाय के रूप में एनआरए केन्द्र सरकार की भर्ती के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का पालन करेगी.
क्या है राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए)
एनआरए के तहत एक परीक्षा में शामिल होने से उम्मीदवारों को कई पदों के लिए प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा.
एनआरए और सीईटी की मुख्य विशेषताएं :
- एनआरए वर्ष में दो बार आनलाइन माध्यम से सीईटी आयोजित करेगा. सीईटी अनेक भाषाओं में उपलब्ध होगी.
- अभ्यार्थियों का पंजीकरण, रोल नंबर, एडमिट कार्ड, अंक पत्र, मेधा सूची आदि आनलाइन माध्यम से संचालित होंगी.
- यह देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों को परीक्षा में बैठने और चयनित होने के समान अवसर प्राप्त करना सुविधाजनक बनाएगी.
- सीईटी बहु विकल्प प्रश्नों पर आधारित परीक्षा होगी और इसका स्कोरकार्ड तीन वर्षों तक मान्य होगा.
- वर्तमान में सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को पात्रता की समान शर्तों वाले विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग भर्ती एजेंसियों द्वारा संचालित की जाने वाली भिन्न-भिन्न परीक्षाओं में सम्मिलित होना पड़ता है.
उम्मीदवारों को भिन्न-भिन्न भर्ती एजेंसियों को शुल्क का भुगतान करना पड़ता है. इसके साथ ही इन परीक्षाओं में भाग लेने के लिए लंबी दूरियां भी तय करनी पड़ती है. सरकार का कहना है कि इन अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं से उम्मीदवारों के साथ-साथ संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ पड़ता हैं.
इसमें बार-बार होने वाले खर्च, कानून और व्यवस्था/सुरक्षा संबंधी मुद्दे और परीक्षा केन्द्रों संबंधी समस्याएं भी सामने आती हैं. सरकार के मुताबिक औसतन, इन परीक्षाओं में अलग से 2.5 करोड़ से 3 करोड़ उम्मीदवार शामिल होते हैं.
अब एनआरए के गठन के बाद उम्मीदवार एक सामान्य योग्यता परीक्षा में केवल एक बार शामिल होंगे. इसे साझी पात्रता परीक्षा (सीईटी) कहा गया है. इसके बाद उम्मीदवारों की छंटनी की जाएगी.
चुने गए उम्मीदवार उच्च स्तर की परीक्षा के लिए किसी या इन सभी भर्ती एजेंसियों में आवेदन कर पाएंगे. बयान के अनुसार प्रारंभिक योजना देशभर में 1000 परीक्षा केंद्र स्थापित करने की है.
इससे गरीब पृष्टभूमि के उम्मीदवारों को राहत मिलेगी. वर्तमान में उम्मीदवारों को बहु-एजेंसियों द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न परीक्षाओं में भाग लेना होता है. परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त उम्मीदवारों को यात्रा, रहने-ठहरने और अन्य पर अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है. सीईटी जैसी एकल परीक्षा से काफी हद तक उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ कम होगा.
इससे महिला अभ्यार्थियों को भी काफी राहत मिलेगी क्योंकि कभी-कभी उन्हें इन दूरस्थ स्थानों पर स्थित इन केन्द्रों तक पहुंचने के लिए उपयुक्त व्यक्ति को ढूंढना पड़ता है. प्रत्येक जिले में परीक्षा केन्द्रों की अवस्थिति से सामान्य तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के उम्मीदवारों तथा विशेष रूप से महिला उम्मीदवारों को अधिक लाभ होगा.
सीईटी में भाग लेने के लिए अवसरों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी. सरकार की मौजूदा नीति के अनुसार अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति / अति पिछड़ा वर्ग तथा अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को ऊपरी आयु-सीमा में छूट दी जाएगी.