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आईआईटी मद्रास ने विकसित की भोजन की पैकिंग के लिए जीवाणु रोधी सामग्री

आईआईटी मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने भोजन की पैकिंग के लिए एक ऐसी सामग्री विकसित की है जो न सिर्फ जीवाणु रोधी है, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से स्वयं ही नष्ट हो जाती है .

आईआईटी मद्रास
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Published : Oct 13, 2020, 9:07 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने भोजन की पैकिंग के लिए एक ऐसी सामग्री विकसित की है जो न सिर्फ जीवाणु रोधी है, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से स्वयं ही नष्ट हो जाती है और इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता.

संस्थान ने रैपर (इस सामग्री) के पेटेंट के लिए आवेदन किया है. अनुसंधान कार्य में शामिल टीम ने कहा कि यह उत्पाद दो बड़ी समस्याओं से निपट सकता है. पहला यह कि इस सामग्री से पैक किए जाने के बाद भोजन जीवाणुओं के चलते दूषित नहीं हो पाएगा और दूसरा यह कि पैकिंग सामग्री प्राकृतिक रूप से स्वयं नष्ट हो जाएगी जिससे प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या में कमी आएगी.

पढ़ें : बायोमिमिक्री का कोर्स शुरू करेगा आईआईटी मद्रास

आईआईटी के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर मुकेश डोबले ने कहा हमने प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली पैकिंग सामग्री विकसित की है जिससे भोजन में जीवाणु उत्पन्न नहीं होंगे. इसे अधिकारियों से अनुमति मिल गई है और यह किसी भी तरह हानिकारक नहीं है.

नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने भोजन की पैकिंग के लिए एक ऐसी सामग्री विकसित की है जो न सिर्फ जीवाणु रोधी है, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से स्वयं ही नष्ट हो जाती है और इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता.

संस्थान ने रैपर (इस सामग्री) के पेटेंट के लिए आवेदन किया है. अनुसंधान कार्य में शामिल टीम ने कहा कि यह उत्पाद दो बड़ी समस्याओं से निपट सकता है. पहला यह कि इस सामग्री से पैक किए जाने के बाद भोजन जीवाणुओं के चलते दूषित नहीं हो पाएगा और दूसरा यह कि पैकिंग सामग्री प्राकृतिक रूप से स्वयं नष्ट हो जाएगी जिससे प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या में कमी आएगी.

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आईआईटी के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर मुकेश डोबले ने कहा हमने प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली पैकिंग सामग्री विकसित की है जिससे भोजन में जीवाणु उत्पन्न नहीं होंगे. इसे अधिकारियों से अनुमति मिल गई है और यह किसी भी तरह हानिकारक नहीं है.

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