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काले धन का ब्यौरा न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आईएफएस अधिकारी, पीएमओ को नोटिस

आईएफएस संजीव चतुर्वेदी एक बार फिर चर्चाओं में हैं. उन्होंने काला धन को लेकर एक आरटीआई लगाई थी, जिसका जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. वहीं अब कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी किया है. पढे़ं पूरा विवरण...

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आईएफएस संजीव चतुर्वेदी और पीएम मोदी
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Published : Feb 3, 2020, 7:23 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 1:15 AM IST

हल्द्वानी: तेज तर्रार आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है. काले धन से संबंधित एक आरटीआई का जवाब नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. ऐसे में एक बार फिर भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का दावा करने वाली मोदी सरकार काले धन को लेकर घिर सकती है.

बता दें कि, आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत एक आरटीआई दायर की थी. जिसमें उन्होंने पूछा था कि केंद्र सरकार अब तक विदेशों से कितना काला धन वापस लाई है. साथ ही मोदी मंत्रिमंडल के कितने मंत्रियों के खिलाफ शिकायतें प्रधानमंत्री कार्यालय में आई हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी पूछा था कि उनके कितने मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.

जानकारी देते आईएफएस संजीव चतुर्वेदी

वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय ने गोपनीयता भंग होने और काला धन से संबंधित जांच प्रभावित होने का हवाला देकर उनकी आरटीआई को खारिज कर दिया था. वहीं संजीव चतुर्वेदी के वकील प्रशांत भूषण इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए. जहां पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी किया है. साथ ही उनसे इस मामले में जवाब मांगा है.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी बोले- शाहीन बाग प्रदर्शन संयोग नहीं, सौहार्द बिगाड़ने वाला प्रयोग है

मामले में संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि हर नागरिक को ये जानने का अधिकार है कि उनके जनप्रतिनिधियों ने कितना भ्रष्टाचार किया है और उनके ऊपर भ्रष्टाचार के क्या मामले हैं. इसको लेकर उन्होंने आरटीआई दाखिल की थी, जिसका जवाब नहीं मिलने पर उन्हें मजबूरन सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा.

हल्द्वानी: तेज तर्रार आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है. काले धन से संबंधित एक आरटीआई का जवाब नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. ऐसे में एक बार फिर भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का दावा करने वाली मोदी सरकार काले धन को लेकर घिर सकती है.

बता दें कि, आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत एक आरटीआई दायर की थी. जिसमें उन्होंने पूछा था कि केंद्र सरकार अब तक विदेशों से कितना काला धन वापस लाई है. साथ ही मोदी मंत्रिमंडल के कितने मंत्रियों के खिलाफ शिकायतें प्रधानमंत्री कार्यालय में आई हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी पूछा था कि उनके कितने मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.

जानकारी देते आईएफएस संजीव चतुर्वेदी

वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय ने गोपनीयता भंग होने और काला धन से संबंधित जांच प्रभावित होने का हवाला देकर उनकी आरटीआई को खारिज कर दिया था. वहीं संजीव चतुर्वेदी के वकील प्रशांत भूषण इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए. जहां पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी किया है. साथ ही उनसे इस मामले में जवाब मांगा है.

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मामले में संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि हर नागरिक को ये जानने का अधिकार है कि उनके जनप्रतिनिधियों ने कितना भ्रष्टाचार किया है और उनके ऊपर भ्रष्टाचार के क्या मामले हैं. इसको लेकर उन्होंने आरटीआई दाखिल की थी, जिसका जवाब नहीं मिलने पर उन्हें मजबूरन सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा.

Intro:sammry- काला धन और मंत्रियों के भ्रष्टाचार मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने नहीं दिया आरटीआई से कोई जवाब सुप्रीम कोर्ट का नोटिस।


एंकर- केंद्र की मोदी सरकार कालाधन और भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर सत्ता में 5 सालों से अधिक से काबिज है लेकिन मोदी सरकार अभी तक विदेशों से कितना काला धन लेकर आई और उनके मंत्रियों ने अभी तक कितना भ्रष्टाचार किया इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय आरटीआई से जवाब नहीं दे पाया है जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।


Body:आईएफए संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मांगा था कि सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने कितने विदेशों से काला धन वापस लाएं साथ ही उनके मंत्रियों के भ्रष्टाचार के मामले में कितने शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को आए हैं। और कितने मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और प्रधानमंत्री ने इन पर किस तरह से कार्रवाई की है संजीव चतुर्वेदी ने आरटीआई मांगी थी। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट सूचना ना होने के और गोपनीयता भंग और काला धन में जांच प्रभावित होने का हवाला देकर मांगी गई आरटीआई के आवेदन को खारिज कर दिया था।

जिसके बाद मामला केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली हाईकोर्ट की एकल खंडपीठ में पहुंचा जिसके बाद संजीव चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। जिसके बाद संजीव चतुर्वेदी के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मामला सुप्रीम कोर्ट में ले गए जहां सुप्रीम कोर्ट ने पीएमओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।




Conclusion: संजीव चतुर्वेदी का कहना है कि हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि उनकेजनप्रतिनिधियों ने कितना भ्रष्टाचार किया है और उनके ऊपर भ्रष्टाचार के क्या मामले हैं। इसको लेकर उन्होंने आईटीआई मांगी थी लेकिन उनको जवाब नहीं मिला और मजबूरन उनको सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा है।

बाइट- संजीव चतुर्वेदी आईएफएससी अधिकारी और आरटीआई कार्यकर्ता
Last Updated : Feb 29, 2020, 1:15 AM IST
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