नई दिल्ली : आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के सदस्यों को कोरोना वैक्सीन के बारे में सूचित किया है. उन्होंने बताया है कि भारत बायोटेक, कैडिला और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित टीके परीक्षण के विभिन्न स्तर पर हैं.
बुधवार को बैठक में मौजूद एक सांसद ने यह जानकारी दी. सांसद ने बताया कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित टीके के विकास का काम सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया संभाल रही है और इस हफ्ते के अंत में इसका दूसरे चरण के दूसरे हिस्से का परीक्षण शुरू हो जाएगा. इसके लिए देशभर के 17 केंद्रों में 1,700 मरीजों को चिह्नित किया गया है.
बैठक में शामिल हुए सांसदों के अनुसार जब भार्गव से पूछा गया कि लोगों को कितने समय तक महामारी के साथ रहना होगा तो उन्होंने जवाब दिया कि सामान्यत: अंतिम परीक्षण में छह से नौ महीने लगते हैं लेकिन अगर सरकार फैसला करे तो आपात स्थिति में स्वीकृति प्रदान करने पर विचार किया जा सकता है.
अमेरिका में कोरोना वायरस का तेजी से पता लगाने के लिए एफडीए द्वारा स्वीकृत सलाइवा जांच के बारे में समिति के सवालों के जवाब में भार्गव ने कहा कि गरारे के पानी से लार के नमूने लेने पर पहले ही विचार चल रहा है और जल्द ही आगे का ब्योरा साझा किया जाएगा. बैठक में भाग लेने वाले एक अन्य सांसद ने यह जानकारी दी.
संसदीय समिति में सभी दलों के सदस्यों ने महामारी से निपटने में विशेष रूप से आईसीएमआर की भूमिका और सामान्य रूप से पूरे चिकित्सा समुदाय की भूमिका की सराहना की.
बैठक की अध्यक्षता समिति के प्रमुख, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा ने की. बैठक चार घंटे से अधिक समय तक चली और इसमें महामारी से निपटने के अनेक पहलुओं पर चर्चा हुई.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के सचिव अरविंद कुमार शर्मा भी समिति के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र पर महामारी के प्रभाव के बारे में जानकारी दी.