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बिहार के आईएएस अधिकारी नवीन कुमार चौधरी जम्मू कश्मीर के 'पहले' स्थायी निवासी बने

जम्मू-कश्मीर के बाहर से आकर रहने वाले लोगों के संदर्भ में बिहार के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नवीन कुमार चौधरी प्रदेश के पहले स्थायी निवासी बन गए हैं. जानकारी के मुताबिक नवीन चौधरी बिहार के मूल निवासी हैं. वह पिछले 15 साल से अधिक समय से जम्मू-कश्मीर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

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Published : Jun 26, 2020, 10:37 AM IST

Updated : Jun 29, 2020, 7:28 AM IST

सौजन्य- jkapd.nic.in
जम्मू के निवासी बने बिहार के नवीन चौधरी (सौजन्य- jkapd.nic.in)

श्रीनगर : नवीन कुमार चौधरी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जम्मू-कश्मीर कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं. नवीन पहले ऐसे प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर के बाहर का निवासी होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र मिला है.

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते 24 जून को नवीन कुमार चौधरी को स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र दिया है. जम्मू डिविजन के गांधीनगर इलाके के तहसीलदार ने नवीन कुमार चौधरी को स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र निर्गत किया है.

तहसीलदार , रोहित शर्मा द्वारा जारी अधिवास प्रमाण पत्र में लिखा है कि यह प्रमाणित किया जाता है, कि जम्मू निवासी श्री देवकांत चौधरी के पुत्र नवीन के चौधरी, जम्मू और कश्मीर के यूटी के वर्तमान में गांधी नगर अधिवास हैं,'

navin kumar choudhary
जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी बने बिहार के नवीन कुमार चौधरी


कैसे बने 'पहले स्थायी निवासी'

गौरतलब है कि विगत पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 35 ए और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म कर दिया गया था. भारत सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया. आर्टिकल 35ए और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव होने से पहले जम्मू-कश्मीर में किसी बाहरी व्यक्ति को पर्मानेंट रेसिडेंट बनाने का प्रावधान नहीं था.

यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में मूल निवासियों के लिए आरक्षित कीं नौकरियां

किन प्रावधानों में हुए बदलाव

इन प्रावधानों में बदलाव होने के बाद अब कोई भी बाहर का व्यक्ति जम्मू कश्मीर का स्थायी निवासी बन सकता है. प्रावधानों में बदलाव के बाद विरोध किया गया. इसके बाद प्रदेश के डोमिसाइल एक्ट में संशोधन किया गया.

यह भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर : डोमिसाइल सर्टिफिकेट प्रोसीजर रूल्स से जुड़ी अधिसूचना जारी

डोमिसाइल एक्ट में हुए संशोधन के तहत जम्मू-कश्मीर की किसी सरकारी या निजी संस्था में 15 साल से अधिक काम करने वाला व्यक्ति प्रदेश का स्थायी रेसिडेंट बन सकता है. इसके अलावा यदि व्यक्ति के किसी बच्चे को जम्मू कश्मीर के स्कूल से कोई सर्टिफिकेट मिला हो तो वह भी प्रदेश का निवासी बनने का पात्र हो सकता है.

अधिवास प्रमाण पत्र के लिए 33,157 आवेदन किए गए हैं, जबकि 25,000 लोगों में से प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है.

जम्मू क्षेत्र के दस जिलों को 32,000 आवेदन मिले हैं जबकि कश्मीर को केवल 720 आवेदन मिले हैं। डोडा, राजौरी में 6,214, पुंछ में 6,123 और जम्मू में 2,820 - अधिवास प्रमाण-पत्र की अधिकतम संख्या 8,500 जारी की गई है। जम्मू जिले में लगभग 414 अधिवास प्रमाण पत्र प्रक्रियाधीन हैं.

कश्मीर में, पुलवामा (153) में सबसे अधिक अधिवास प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, इसके बाद अनंतनाग (106), कुलगाम (90), बारामूला (39), शोपियां (20), बांदीपोरा (10), कुपवाड़ा (10), बडगाम (09), गांदरबल (1). श्रीनगर एकमात्र ऐसा जिला है जिसे 65 आवेदन प्राप्त हुए हैं लेकिन आज तक किसी को भी अनुमति नहीं दी गई है.

कश्मीर में लोगों की राय यह है कि नए अधिवास नियमों का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदलना है, जबकि सरकार ने तर्क दिया कि संविधान में भेदभाव को दूर करने के लिए बदलाव किए गए हैं.

श्रीनगर : नवीन कुमार चौधरी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जम्मू-कश्मीर कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं. नवीन पहले ऐसे प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर के बाहर का निवासी होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र मिला है.

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते 24 जून को नवीन कुमार चौधरी को स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र दिया है. जम्मू डिविजन के गांधीनगर इलाके के तहसीलदार ने नवीन कुमार चौधरी को स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र निर्गत किया है.

तहसीलदार , रोहित शर्मा द्वारा जारी अधिवास प्रमाण पत्र में लिखा है कि यह प्रमाणित किया जाता है, कि जम्मू निवासी श्री देवकांत चौधरी के पुत्र नवीन के चौधरी, जम्मू और कश्मीर के यूटी के वर्तमान में गांधी नगर अधिवास हैं,'

navin kumar choudhary
जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी बने बिहार के नवीन कुमार चौधरी


कैसे बने 'पहले स्थायी निवासी'

गौरतलब है कि विगत पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 35 ए और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म कर दिया गया था. भारत सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया. आर्टिकल 35ए और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव होने से पहले जम्मू-कश्मीर में किसी बाहरी व्यक्ति को पर्मानेंट रेसिडेंट बनाने का प्रावधान नहीं था.

यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में मूल निवासियों के लिए आरक्षित कीं नौकरियां

किन प्रावधानों में हुए बदलाव

इन प्रावधानों में बदलाव होने के बाद अब कोई भी बाहर का व्यक्ति जम्मू कश्मीर का स्थायी निवासी बन सकता है. प्रावधानों में बदलाव के बाद विरोध किया गया. इसके बाद प्रदेश के डोमिसाइल एक्ट में संशोधन किया गया.

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डोमिसाइल एक्ट में हुए संशोधन के तहत जम्मू-कश्मीर की किसी सरकारी या निजी संस्था में 15 साल से अधिक काम करने वाला व्यक्ति प्रदेश का स्थायी रेसिडेंट बन सकता है. इसके अलावा यदि व्यक्ति के किसी बच्चे को जम्मू कश्मीर के स्कूल से कोई सर्टिफिकेट मिला हो तो वह भी प्रदेश का निवासी बनने का पात्र हो सकता है.

अधिवास प्रमाण पत्र के लिए 33,157 आवेदन किए गए हैं, जबकि 25,000 लोगों में से प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है.

जम्मू क्षेत्र के दस जिलों को 32,000 आवेदन मिले हैं जबकि कश्मीर को केवल 720 आवेदन मिले हैं। डोडा, राजौरी में 6,214, पुंछ में 6,123 और जम्मू में 2,820 - अधिवास प्रमाण-पत्र की अधिकतम संख्या 8,500 जारी की गई है। जम्मू जिले में लगभग 414 अधिवास प्रमाण पत्र प्रक्रियाधीन हैं.

कश्मीर में, पुलवामा (153) में सबसे अधिक अधिवास प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, इसके बाद अनंतनाग (106), कुलगाम (90), बारामूला (39), शोपियां (20), बांदीपोरा (10), कुपवाड़ा (10), बडगाम (09), गांदरबल (1). श्रीनगर एकमात्र ऐसा जिला है जिसे 65 आवेदन प्राप्त हुए हैं लेकिन आज तक किसी को भी अनुमति नहीं दी गई है.

कश्मीर में लोगों की राय यह है कि नए अधिवास नियमों का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदलना है, जबकि सरकार ने तर्क दिया कि संविधान में भेदभाव को दूर करने के लिए बदलाव किए गए हैं.

Last Updated : Jun 29, 2020, 7:28 AM IST
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