हैदराबाद : भारत की 2011 की जनगणना में 'बेघर गृहस्थ परिवार' को परिभाषित किया गया है. बेघर गृहस्थ परिवार वह होते हैं, जिनका स्थाई निवास नहीं होता है. फुटपाथ, सड़क के किनारे, पाइपों में, मंदिरों की सीढ़ियों पर या फिर फ्लाईओवरों, रेलवे प्लेटफॉर्मों आदि स्थानों पर रहने वाले लोग बेघर ही होते हैं. लॉकडाउन के दौरान इन लोगों की समास्या बढ़ गई है, हालांकि सरकार इनके लिए व्यवस्थाएं कर रही है.
बता दें कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेघर आबादी की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, लेकिन 2001-2011 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बेघरों की जनसंख्या में 28.4 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं इस दौरान शहरी क्षेत्रों में 20.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वास्तव में भारत के बड़े शहरों में बेघर लोगों की जनसंख्या ज्यादा है.
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1.7 मिलियन से अधिक लोग बेघर हैं, जिनमें से 9,38,384 शहरी क्षेत्रों (कुल आबादी का 0.19 प्रतिशत) में रहते हैं.
नागरिक समाज संगठनों के मुताबिक शहरी भारत की आबादी का कम से कम एक प्रतिशत हिस्सा बेघर है. इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि शहरों में बेघरों की आबादी 30 लाख है.
नागरिक समाज संगठनों का अनुमान है कि देश की राजधानी दिल्ली में ही डेढ़ से दो लाख लोग बेघर हैं और इसमें कम-कम से 10 हजार महिलाएं शामिल हैं.
दुनियाभर में सड़कों पर सबसे ज्यादा बच्चे भारत में रहते हैं. हालांकि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है और न ही कोई सरकारी योजना है जो उनकी जरूरतों को पूरा करता हो.
भारत के विभिन्न शहरों में बेघर लोगों की अनुमानित संख्या
- दिल्ली- 150,000 - 200,000
- चेन्नई- 40,000 - 50,000
- मुंबई- 200,000 (नवी मुंबई सहित)
- इंदौर- 10,000 - 12,000
- विशाखापत्तनम- 18,000
- बैंगलोर- 40,000 - 50,000
- हैदराबाद- 60,000
- अहमदाबाद- 100,000
- पटना- 25,000
- कोलकाता- 150,000
- लखनऊ- 19,000
लॉकडाउन के दौरान बेघरों की समस्या
- भोजन का अभाव
- प्रवासियों को आश्रय न मिल पाने से बेघरों की संख्या में वृद्धि
- कोरोना वायरस की चपेट में आने की ज्यादा संभावना
- सैनिटाइज्ड जगह, मास्क और सेनिटाइजर का अभाव
- जागरूकता की कमी
बेघरों की मदद के लिए देश में उठाए गए कदम
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को घोषणा की थी कि बेघरों को मुफ्त भोजन कराया जाएगा.
- सभी आश्रयों में बेघर लोगों के लिए, मुख्य रूप से दिहाडी़ मजदूरों की मदद करने की दिशा में एक कदम है.
- उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक पुलिस अधिकारी ने लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बेघर, गरीब लोगों की सेवा के लिए अपने घर को सामुदायिक रसोईघर में तब्दील कर दिया है.
- महाराष्ट्र सरकार ने कॉर्पोरेट दिग्गजों से कहा कि वे बेघर को खिलाने के लिए कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) फंड का उपयोग करें. अधिकांश लोग इस आदेश का पालन कर रहे हैं. इससे आश्रय गृह प्रवासी मजदूरों से भर गए हैं.
- कोटा में विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और हॉस्टल में रह रहे हैं लगभग 50,000 छात्र खाना बनाकर गरीब, बेघर लोगों को खिला रहे हैं.
- महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर कहा था कि लॉकडाउन बेघर, दिहाड़ी मजदूरों और ठेका श्रमिकों के लिए विनाशकारी साबित होगा. हम सभी को इन लोगों को मदद करनी चाहिए.