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गृह मंत्रालय समिति की सिफारिश : असम में दो-तिहाई आरक्षण और आईएलपी लागू हो - असम को गृह मंत्रालय की अहम सिफारिश

गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक उच्च स्तरीय समिति ने असम में इनर लाइन परमिट (ILP) शुरू करने का सुझाव दिया है. असम समझौते के खंड 6 की 14 सदस्यीय समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि 1951 में राज्य के मूल निवासियों परिभाषित करने के लिए वर्ष में कटौती की जानी चाहिए. सुझाव के अनुसार 1951 में रहने वाले किसी समुदाय, जाति, पंथ और धर्म के बावजूद उनके वंशजों को राज्य का मूल निवासी माना जाएगा. जानें विस्तार से...

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गृह मंत्रालय
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Published : Feb 18, 2020, 2:21 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 5:36 PM IST

नई दिल्ली : गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने सुझाव दिया है कि असम के मूल निवासियों के लिए राज्य विधानसभा में दो-तिहाई सीटें आरक्षित की जानी चाहिए और स्थानीय जनता को परिभाषित करने के लिए 1951 को कट-ऑफ वर्ष बनाना चाहिए.

सूत्रों ने बताया कि समिति ने असम में विधान परिषद के गठन की भी सिफारिश की और राज्य के बाहर के लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की भी वकालत की.

समिति ने असम विधानसभा में मूल निवासियों के लिए सीटों के आरक्षण के लिहाज से दो फॉर्मूले सुझाये जिनमें उनके लिए दो-तिहाई सीटें (67 प्रतिशत) के आरक्षण का सुझाव शामिल है.

13 सदस्यीय समिति के तीन सदस्यों को छोड़कर बाकी ने असम विधानसभा और राज्य की लोकसभा सीटें राज्य के मूल निवासियों के लिए आरक्षित करने का सुझाव दिया है. बाकी तीन सदस्यों का सुझाव है कि विधानसभा और लोकसभा में शत प्रतिशत सीटें स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होनी चाहिए.

एक सूत्र ने कहा, 'हमने उल्लेख किया है कि कोई असहमति नोट नहीं है लेकिन विधानसभा और लोकसभा सीटों के आरक्षण के लिए दो सुझाव हैं.'

राज्य के मूल निवासियों के लिए 67 प्रतिशत आरक्षण के अतिरिक्त अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है.

सूत्र ने कहा, 'इसलिए अगर इसे स्वीकार किया जाता है तो आरक्षण 83 प्रतिशत हो जाएगा.'

इसे भी पढ़ें- असम समझौता खंड 6 : गृह मंत्रालय को जल्द सौंपी जाएगी समिति की रिपोर्ट

असम में कुल 126 विधानसभा सीटें और 14 लोकसभा सीटें हैं.

गृह मंत्रालय ने असम के मूल निवासियों को संविधान के तहत सुरक्षा मानक प्रदान करने के उपाय सुझाने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) विप्लव कुमार शर्मा की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था.

सूत्रों ने बताया कि समिति ने पिछले हफ्ते रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। समिति ने गृह मंत्रालय को बताया कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को रिपोर्ट सौंपने के लिए तैयार है तथा उनसे मिलने के लिए समय भी मांगा.

रिपोर्ट इसी सप्ताह गृह मंत्रालय को दी जा सकती है.

सूत्रों के अनुसार कमेटी ने निर्विरोध सिफारिश की है कि जो लोग 1951 में असम के निवासी थे और उनके वंशजों को राज्य का मूल निवासी माना जाएगा, चाहे उनका समुदाय, जाति, भाषा या धर्म कुछ भी हो.

समिति ने यह भी सुझाया कि असम में आईएलपी लानी चाहिए ताकि राज्य के बाहर से लोगों की आवाजाही नियंत्रित की जा सके.

नियमों के अनुसार बाहरी लोगों को उन क्षेत्रों में प्रवेश के लिए निर्दिष्ट अधिकारियों से अनुमति लेनी होती है जहां आईएलपी लागू है.

नई दिल्ली : गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने सुझाव दिया है कि असम के मूल निवासियों के लिए राज्य विधानसभा में दो-तिहाई सीटें आरक्षित की जानी चाहिए और स्थानीय जनता को परिभाषित करने के लिए 1951 को कट-ऑफ वर्ष बनाना चाहिए.

सूत्रों ने बताया कि समिति ने असम में विधान परिषद के गठन की भी सिफारिश की और राज्य के बाहर के लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की भी वकालत की.

समिति ने असम विधानसभा में मूल निवासियों के लिए सीटों के आरक्षण के लिहाज से दो फॉर्मूले सुझाये जिनमें उनके लिए दो-तिहाई सीटें (67 प्रतिशत) के आरक्षण का सुझाव शामिल है.

13 सदस्यीय समिति के तीन सदस्यों को छोड़कर बाकी ने असम विधानसभा और राज्य की लोकसभा सीटें राज्य के मूल निवासियों के लिए आरक्षित करने का सुझाव दिया है. बाकी तीन सदस्यों का सुझाव है कि विधानसभा और लोकसभा में शत प्रतिशत सीटें स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होनी चाहिए.

एक सूत्र ने कहा, 'हमने उल्लेख किया है कि कोई असहमति नोट नहीं है लेकिन विधानसभा और लोकसभा सीटों के आरक्षण के लिए दो सुझाव हैं.'

राज्य के मूल निवासियों के लिए 67 प्रतिशत आरक्षण के अतिरिक्त अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है.

सूत्र ने कहा, 'इसलिए अगर इसे स्वीकार किया जाता है तो आरक्षण 83 प्रतिशत हो जाएगा.'

इसे भी पढ़ें- असम समझौता खंड 6 : गृह मंत्रालय को जल्द सौंपी जाएगी समिति की रिपोर्ट

असम में कुल 126 विधानसभा सीटें और 14 लोकसभा सीटें हैं.

गृह मंत्रालय ने असम के मूल निवासियों को संविधान के तहत सुरक्षा मानक प्रदान करने के उपाय सुझाने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) विप्लव कुमार शर्मा की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था.

सूत्रों ने बताया कि समिति ने पिछले हफ्ते रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। समिति ने गृह मंत्रालय को बताया कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को रिपोर्ट सौंपने के लिए तैयार है तथा उनसे मिलने के लिए समय भी मांगा.

रिपोर्ट इसी सप्ताह गृह मंत्रालय को दी जा सकती है.

सूत्रों के अनुसार कमेटी ने निर्विरोध सिफारिश की है कि जो लोग 1951 में असम के निवासी थे और उनके वंशजों को राज्य का मूल निवासी माना जाएगा, चाहे उनका समुदाय, जाति, भाषा या धर्म कुछ भी हो.

समिति ने यह भी सुझाया कि असम में आईएलपी लानी चाहिए ताकि राज्य के बाहर से लोगों की आवाजाही नियंत्रित की जा सके.

नियमों के अनुसार बाहरी लोगों को उन क्षेत्रों में प्रवेश के लिए निर्दिष्ट अधिकारियों से अनुमति लेनी होती है जहां आईएलपी लागू है.

Last Updated : Mar 1, 2020, 5:36 PM IST
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