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राम मंदिर निर्माण का काम तेज, देश के मंदिरों से एकत्र की जा रही पवित्र मिट्टी

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Published : Jul 27, 2020, 2:48 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 4:49 PM IST

राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज हो गया है. इस कड़ी में देश के विभिन्न मंदिरों से पवित्र मिट्टी एकत्र की जा रही है. बिहार के खगड़िया जिले से मां कात्यायनी मंदिर की मिट्टी और अगुआनी घाट का गंगाजल भेजा जा रहा है. वहीं राम मंदिर निर्माण शिलान्यास कार्यक्रम के लिए उज्जैन के पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से महाकाल वन की मिट्टी, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से भस्मी और शिप्रा नदी का जल अयोध्या भेजा गया.

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राम मंदिर निर्माण का काम तेज

नई दिल्ली : राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण का काम तेज हो गया है. भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने के लिए अयोध्या में शिलान्यास का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसके लिए देश की प्रसिद्ध नदियों के जल और सभी मंदिरों की पवित्र मिट्टी एकत्र की जा रही है. इसी क्रम में बिहार के खगड़िया जिले से मां कात्यायनी मंदिर की मिट्टी और अगुआनी घाट का गंगाजल भेजा जा रहा है.

इस कड़ी में राम मंदिर निर्माण शिलान्यास कार्यक्रण के लिए उज्जैन के पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से महाकाल वन की मिट्टी, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से भस्मी और शिप्रा नदी का जल अयोध्या भेजा गया.

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मंत्रोच्चार के साथ भगवान महाकाल की भस्म आरती की भस्म, शिप्रा का जल और उज्जैन की मिट्ठी को एकत्रित कर मंत्र के साथ विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को सौंपा, जो अयोध्या के लिए रवाना हुए.

देखें रिपोर्ट

मान्यता है कि भगवान राम उज्जैन आए थे और उन्होंने शिप्रा नदी के घाट पर पूजा अर्चना की थी, जिसके बाद से ही शिप्रा नदी के एक घाट का नाम राम घाट पड़ा है. अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर बनने की शुरुआत होने जा रही है, जिसके लिए पांच अगस्त की तारीख शिलान्यास के लिए रखी गई है. इसके लिए उज्जैन के महाकाल वन से मिट्टी और 12 ज्योतिर्लिंगों से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में चढ़ने वाली भस्मी और बेल पत्र भी अयोध्या राम मंदिर की नींव पूजन के लिए पहुंचाया गया.

उज्जैन से शिप्रा नदीं का जल भेजा गया अयोध्या

विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ता भेजेंगे मिट्टी
बता दें कि पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का आयोजन किया गया है. मां कात्यायनी स्थान की मिट्टी व गंगाजल विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ता भेजेंगे. बिहार के खगड़िया जिले के राम भक्त व संगठन के कार्यकर्ता इसे लेकर काफी उत्साहित दिख रहे हैं.

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विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ता

सभी शक्ति पीठों की मिट्टी का होगा उपयोग
मां कात्यायनी मंदिर देश की 52 शक्ति पीठों में एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती की दाईं भुजा गिरी थी. बजरंग दल व विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि देश की सभी शक्ति पीठों से पवित्र मिट्टी राम मंदिर भूमि पूजन में उपयोग की जा रही है. इस वजह से यहां से भी मिट्टी मंगवाई गई है.

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मां कत्यायनी मंदिर

गौरवान्वित महसूस कर रहे लोग
अगुआनी घाट के गंगाजल के बारे में मान्यता है कि यहां गंगा उत्तर की दिशा में बहती है, जिससे किसी भी पवित्र काम में यहां के गंगाजल का उपयोग किया जाता है. रामभक्तों ने बताया कि मिट्टी व गंगाजल मुजफ्फरपुर के कार्यालय में भेजा जाएगा और वहां से अयोध्या जाएगा. राम मंदिर निर्माण में खगड़िया की मिट्टी व गंगाजल के उपयोग से यहां के स्थानीय लोग काफी गौरवान्तित महसूस कर रहे हैं.

बता दें कि देश के करोड़ों लोगों के आस्था का केंद्र राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, जिसके लिए पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचकर मंदिर की नींव रखेंगे. वहीं रविवार को बैतूल से ताप्ती नदी का जल और मिट्टी भी आयोध्या भेजी गई थी.

नई दिल्ली : राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण का काम तेज हो गया है. भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने के लिए अयोध्या में शिलान्यास का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसके लिए देश की प्रसिद्ध नदियों के जल और सभी मंदिरों की पवित्र मिट्टी एकत्र की जा रही है. इसी क्रम में बिहार के खगड़िया जिले से मां कात्यायनी मंदिर की मिट्टी और अगुआनी घाट का गंगाजल भेजा जा रहा है.

इस कड़ी में राम मंदिर निर्माण शिलान्यास कार्यक्रण के लिए उज्जैन के पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से महाकाल वन की मिट्टी, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से भस्मी और शिप्रा नदी का जल अयोध्या भेजा गया.

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मंत्रोच्चार के साथ भगवान महाकाल की भस्म आरती की भस्म, शिप्रा का जल और उज्जैन की मिट्ठी को एकत्रित कर मंत्र के साथ विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को सौंपा, जो अयोध्या के लिए रवाना हुए.

देखें रिपोर्ट

मान्यता है कि भगवान राम उज्जैन आए थे और उन्होंने शिप्रा नदी के घाट पर पूजा अर्चना की थी, जिसके बाद से ही शिप्रा नदी के एक घाट का नाम राम घाट पड़ा है. अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर बनने की शुरुआत होने जा रही है, जिसके लिए पांच अगस्त की तारीख शिलान्यास के लिए रखी गई है. इसके लिए उज्जैन के महाकाल वन से मिट्टी और 12 ज्योतिर्लिंगों से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में चढ़ने वाली भस्मी और बेल पत्र भी अयोध्या राम मंदिर की नींव पूजन के लिए पहुंचाया गया.

उज्जैन से शिप्रा नदीं का जल भेजा गया अयोध्या

विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ता भेजेंगे मिट्टी
बता दें कि पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का आयोजन किया गया है. मां कात्यायनी स्थान की मिट्टी व गंगाजल विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ता भेजेंगे. बिहार के खगड़िया जिले के राम भक्त व संगठन के कार्यकर्ता इसे लेकर काफी उत्साहित दिख रहे हैं.

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विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ता

सभी शक्ति पीठों की मिट्टी का होगा उपयोग
मां कात्यायनी मंदिर देश की 52 शक्ति पीठों में एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती की दाईं भुजा गिरी थी. बजरंग दल व विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि देश की सभी शक्ति पीठों से पवित्र मिट्टी राम मंदिर भूमि पूजन में उपयोग की जा रही है. इस वजह से यहां से भी मिट्टी मंगवाई गई है.

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मां कत्यायनी मंदिर

गौरवान्वित महसूस कर रहे लोग
अगुआनी घाट के गंगाजल के बारे में मान्यता है कि यहां गंगा उत्तर की दिशा में बहती है, जिससे किसी भी पवित्र काम में यहां के गंगाजल का उपयोग किया जाता है. रामभक्तों ने बताया कि मिट्टी व गंगाजल मुजफ्फरपुर के कार्यालय में भेजा जाएगा और वहां से अयोध्या जाएगा. राम मंदिर निर्माण में खगड़िया की मिट्टी व गंगाजल के उपयोग से यहां के स्थानीय लोग काफी गौरवान्तित महसूस कर रहे हैं.

बता दें कि देश के करोड़ों लोगों के आस्था का केंद्र राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, जिसके लिए पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचकर मंदिर की नींव रखेंगे. वहीं रविवार को बैतूल से ताप्ती नदी का जल और मिट्टी भी आयोध्या भेजी गई थी.

Last Updated : Jul 27, 2020, 4:49 PM IST
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