आगरा : मुगलों की राजधानी उत्तर प्रदेश में स्थित आगरा थी. यहीं से मुगलिया सल्तनत चलती थी और फरमान जारी होते थे. मगर, मुगल बादशाहों की पसंद कश्मीर था. बादशाह जहांगीर कश्मीर की खूबसूरती पर फना रहते थे. कश्मीर को लेकर जहांगीर ने फारसी में लिखा था कि, 'गर फिरदौस बर रुए जमीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो'. इसका मतलब है कि, धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है और सिर्फ यहीं पर है.
धरती की 'जन्नत' कश्मीर से आगरा का बरसों पुराना नाता है. जहांगीर की पत्नी नूरजहां ने कश्मीर से मिट्टी मंगवाकर अंगूरी बाग में अंगूर समेत कश्मीर के तमाम पौधे लगवाए थे. आज भी आगरा के किले का अंगूरी बाग कश्मीर की मिट्टी से महकता है.
मुगलों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी कश्मीर
मुगल बादशाह अकबर ने सन् 1565 से सन् 1573 के बीच आगरा के किले का जीर्णोद्धार कराया था. यहां पर कई भवन भी बनवाए थे. अकबर ने साम्राज्य का विस्तार करके सन् 1586 में कश्मीर को मुगल साम्राज्य में मिलाया था. अकबर ने कश्मीर की तीन यात्राएं की थी. जहांगीर के समय में कश्मीर को मुगल साम्राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था. जहांगीर ने वहां बाग और भवन बनवाए थे.
पढ़ें:सेना ने अरुणाचल में 1962 के भारत-चीन युद्ध नायकों की प्रतिमा का किया अनावरण
कश्मीर से हाथी-ऊंटों से आई थी मिट्टी
इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' का कहना है कि मुगल बादशाह जहांगीर का कश्मीर से विशेष लगाव था. जहांगीर ने आगरा किले में कश्मीर के पेड़-पौधे और फसल उगाने की योजना बनाई थी. इसके लिए कश्मीर से हाथी और ऊंटों पर लाद करके मिट्टी आगरा आई थी.
जहांगीर ने आगरा किले के अंगूरी बाग में कश्मीर की मिट्टी से अंगूर की बेल, सेब और चैरी सहित कश्मीर के अन्य तमाम पेड़-पौधों को लगाने का प्रयास किया था. उन्होंने आगरा किले में केसर को उगाने की भी कोशिश की थी, लेकिन केसर नहीं हुई. बाकी के पौधे लग गए थे.
शराब के शौकीन थे जहांगीर
इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' का कहना है कि मुगल बादशाह शराब पीने के शौकीन थे. बादशाह जहांगीर ने शराब और मांसाहार को लेकर कहा था कि 'मुझे आधा सेर मांस और एक शराब की बोतल चाहिए. बाकी की सल्तनत नूरजहां के हवाले है. वह जैसा चाहें, वैसे मुगल सल्तनत चलाएं.'
पढ़ें:पुलिस की सहायता के लिए बनाया गया था होमगार्ड विभाग
चारबाग शैली में बना है अंगूरी बाग
वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड राजीव ठाकुर का कहना है कि आगरा के किले में स्थित अंगूरी बाग 'चारबाग' शैली में बनाया गया है. मुगल काल की अगर हम बात करें तो ताजमहल को छोड़कर अधिकतर भवन 'चारबाग शैली' में बनाए गए हैं. यह अंगूरी बाग करीब साढ़े 400 साल पुराना है. आगरा का तापमान अंगूर के लिए सही नहीं था इसलिए इसे ऊपर उठाकर क्यारियों में मिट्टी डाली, फिर अंगूर की बेल उगाई थी. अब एएसआई ने इसे ऐसा बनाया है, जिससे लोग देख सकें कि मुगल काल में यहां अंगूरी बाग था. खास महल के सामने अंगूरी बाग में सिंचाई का काम यमुना से आने वाले पानी से किया जाता था.
केके मोहम्मद ने 2003 में कराई थी खोदाई
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के आगरा सर्किल के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद पद्मश्री केके मोहम्मद ने सन् 2003 में अंगूरी बाग की खोदाई कराई थी. उद्यान शाखा की खोदाई में अंगूरी बाग की संरचना मिली थी. ब्रिटिश काल में उसी पैटर्न को अपनाकर यहां पर बाग लगवा दिया गया था.