शिमला : सोशल मीडिया के जमाने में फेसबुक पर किसी लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट का अर्थ ये कतई नहीं है कि वो सेक्स पार्टनर तलाश कर रही है. हिमाचल हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में ये सख्त टिप्पणी की है.
हाईकोर्ट ने उस मानसिकता पर भी सख्त रुख अपनाया है, जिसमें कोई आदमी महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट के अन्य अर्थ तलाश करने लग जाता है. इस सख्ती टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका भी खारिज कर दी. हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की एकल बैंच ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मित्रता निवेदन भेजने से ये न समझा जाए कि महिला अपनी स्वतंत्रता व निजी अधिकारी भी सौंप रही है.
आरोपी ने इस आधार पर डाली थी जमानत याचिका
दरअसल, किसी लड़की ने अपनी फेसबुक से आरोपी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी. बाद में आरोपी ने लड़की को फुसलाकर उसका शोषण किया. मामला दर्ज होने पर लड़के ने न्यायालय में जमानत की याचिका दाखिल की थी और ये तर्क दिया था कि लड़की ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी था.
ऐसे में युवक ने दलील दी कि उसने लड़की को बालिग समझा और यौन संबंध में उसकी मर्जी को शामिल माना. लड़की ने फेसबुक पर अपनी उम्र अधिक लिखी थी, जबकि वह नाबालिग थी. हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आजकल सोशल नेटवर्किंग पर रहना आम बात है.
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आजकल के अधिकतर युवा सोशल मीडिया पर हैं और सक्रिय भी हैं. ऐसे में उनके द्वारा फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना कोई असामान्य बात नहीं है. लोग मनोरंजन, नेटवर्किंग व जानकारी के लिए सोशल मीडिया साइट्स से जुड़ते हैं न कि इसलिए कि कोई जासूसी करें या यौन व मानसिक रूप से उत्पीड़न सहने के लिए. इसलिए यह मानना कि बच्चे अगर सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाते हैं तो वह सेक्स पार्टनर की तलाश में ऐसा करते हैं, गलत है.