अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट से हार्दिक पटेल को बड़ा झटका लगा है. अब वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति अब्दुल्लामिया उरैजी ने हार्दिक की याचिका खारिज करने का फैसला सुनाया.
दरअसल, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हार्दिक ने एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के आदेश को स्थगित करने की मांग की थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी.
हाईकोर्ट का यह फैसला गुजरात कांग्रेस के लिए एक झटका माना जा रहा है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस हार्दिक को जामनगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाने की योजना बना रही थी.
बता दें कि हार्दिक पटेल 12 मार्च को गांधीनगर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
हार्दिक ने मेहसाणा अदालत के उस आदेश को स्थगित करने की मांग की थी, जिसमें उन्हें विसनागढ़ में पटेल आंदोलन 2015 के दौरान आगजनी और बलबा करने के एक मामले में दोषी ठहराया गया है.
बता दें कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951 के तहत दोषी ठहराए गए शख्स के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रावधान है. ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले के बाद पाटीदार नेता हार्दिक कानून के तहत लोकसभा चुनाव-2019 में उम्मीदवार नहीं बन सकेंगे.
बता दें कि गुजरात की एक अदालत ने 25 जुलाई, 2018 को पाटीदार आंदोलन के मुखिया हार्दिक पटेल और उनके दो सहयोगियों को दोषी ठहराया था.
हार्दिक समेत तीनों पर 2015 में मेहसाणा जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ करने का आरोप लगा था. तीनों को दो साल कैद की सजा सुनाई गई है.
2015 में हुई तोड़फोड़ के संबंध में तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में पाटीदार युवाओं के लिए आरक्षण की मांग के लिए एक रैली निकाली गई थी. जो विसनगर में हिंसक हो गई, जिसके बाद कार्यालय में तोड़फोड़ हुई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब तीन से पांच हजार लोगों की भीड़ ने भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ की थी. हार्दिक पटेल सहित सभी 17 लोगों के खिलाफ आगजनी, दंगा करने और आपराधिक साजिश के तहत आरोप लगाए गए थे.
गुजरात पुलिस ने हार्दिक पटेल को गिरफ्तार किया था. हालांकि, बाद में निचली अदालत के आदेश के बाद हार्दिक को जमानत पर रिहा कर दिया गया था. हालांकि, अदालत ने उसके बाद से उन्हें मेहसाना जिले में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था.