हैदराबाद: निजामाबाद की हिबा फातिमा भले ही एक मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी हों लेकिन उन्होंने सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथ पढ़े हैं और कुछ को उर्दू में भी लिखा है. बीएड की छात्रा हिबा ने हिंदू धर्म ग्रंथ भगवद् गीता का तीन महीने के अंदर उर्दू में अनुवाद किया है.
निजामाबाद के राकसीपेट में रहने वाली हिबा एक मुस्लिम परिवार से आती हैं. इसके बावजूद उन्हें बचपन से ही सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों के बारे में जानने की रुचि रही है. उन्होंने बताया कि यह धार्मिक ग्रंथ है इसलिए कुछ भी गलत नहीं जाना चाहिए इसलिए दूसरी भाषाओं की गीता भी पढ़ी.
हिबा बताती हैं कि उन्होंने एक अगस्त से श्लोक का अनुवाद करना शुरू किया था और 23 अक्टूबर तक पूरी गीता का उर्दू में अनुवाद कर दिया था. शुरुआत में वह रोजाना एक श्लोक का अनुवाद करती थीं लेकिन अक्टूबर तक आते-आते रोजाना 20 से 25 श्लोक का अनुवाद करने लगीं.
- हिबा ने कहा कि वह युवाओं को संदेश देना चाहती हैं कि मानवतावाद ही सबसे बड़ा धर्म है.
- हिबा के पिता अहमद खान एक व्यापारी हैं. वे बताते हैं कि उन्होंने हिबा को बचपन से ही बताया है कि सभी धर्म एक समान होते हैं.
- हिबा ने बताया कि जब वह गीता के श्लोकों का अनुवाद कर रही थीं तो उन्हें महसूस हुआ कि लगभग 500 श्लोकों और कुरान की आयातों का एक ही मतलब है.
- इसलिए उन्होंने इन समान अर्थों वाले श्लोकों को लेकर एक पुस्तक लिखने वाली हैं.
- इसके अलावा हिबा अपनी यू-ट्यूब चैनल 'मेसेज फॉर ऑल' पर भी अब तक 80 वीडियोज डाल चुकी हैं.
पढ़ें-PM मोदी के बाद बेयर ग्रिल्स के शो में उत्तराखंड की जुड़वा बहनें
बीएड छात्रा हिबा ने बताया कि उनके पास तेलुगू और हिंदी की भगवद् गीता है लेकिन दोनों ही भाषा उतनी अच्छी नहीं आती थीं, इसलिए अंग्रेजी की गीता मोबाइल में डाउनलोड की और तीनों गीता की मदद से उर्दू में अनुवाद किया.