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अकबर बनाम रमानी : दूसरी कोर्ट में सुनवाई पर फैसला 22 अक्टूबर को

पत्रकार रमानी के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा दर्ज कराए गए केस को दिल्ली की एक अदालत ने दूसरे न्यायाधीश के समक्ष स्थानांतरित करने को कहा है. बता दें कि रमानी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानी के केस की सुनवाई बीते दो वर्षों से चल रही थी.

MJ Akbar defamation case Priya Ramani
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Published : Oct 14, 2020, 5:36 PM IST

Updated : Oct 14, 2020, 9:18 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि की शिकायत को दूसरे न्यायाधीश को स्थानांतरित करने को कहा है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) की अदालत में पिछले दो वर्षों से इस मामले पर सुनवाई चल रही थी. ACMM विशाल पहूजा ने कहा कि यह अदालत जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए नामित की गई है.

अदालत 22 अक्टूबर को आदेश सुनाएगी कि आपराधिक मानहानि की शिकायत अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) की अदालत से किसी अन्य न्यायाधीश के पास स्थानांतरित किया जाए या नहीं.

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजाता कोहली ने आदेश सुरक्षित रख लिया और कहा कि अधिसूचना संबंधित मजिस्ट्रेट को सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के अलावा अन्य मामलों की सुनवाई से नहीं रोकती है.

न्यायाधीश ने कहा, अधिसूचना का मकसद यह है कि कानून निर्माताओं के खिलाफ मामलों में जल्दी फैसला हो.

उन्होंने हालांकि कहा कि यदि यह पाया जाता है कि मामले की सुनवाई करने वाली मजिस्ट्रेट अदालत के पास अधिकार क्षेत्र नहीं था तो न सिर्फ अंतिम दलीलें, बल्कि पूरी सुनवाई निरर्थक हो जाएगी.

पढ़ें-चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली छात्रा बयान से पलटी

अकबर ने 2018 में पत्रकार रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानी की शिकायत दर्ज कराई थी. यदि यह केस स्थानांतरित किया जाता है, तो इसकी सुनवाई फिर से शुरू होगी. इस मामले को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भेजा गया है, इसे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को सौंपा जाएगा.

2018 में रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. यह बात 20 वर्ष पहले की है जब अकबर पत्रकार हुआ करते थे. इसके बाद 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से स्तीफा दे दिया था. मीटू आंदोलन को दौरान कई महिलाओं ने अकबर पर ऐसे आरोप लगाए थे, जिनको अकबर ने झूठा करार दिया है.

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि की शिकायत को दूसरे न्यायाधीश को स्थानांतरित करने को कहा है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) की अदालत में पिछले दो वर्षों से इस मामले पर सुनवाई चल रही थी. ACMM विशाल पहूजा ने कहा कि यह अदालत जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए नामित की गई है.

अदालत 22 अक्टूबर को आदेश सुनाएगी कि आपराधिक मानहानि की शिकायत अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) की अदालत से किसी अन्य न्यायाधीश के पास स्थानांतरित किया जाए या नहीं.

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजाता कोहली ने आदेश सुरक्षित रख लिया और कहा कि अधिसूचना संबंधित मजिस्ट्रेट को सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के अलावा अन्य मामलों की सुनवाई से नहीं रोकती है.

न्यायाधीश ने कहा, अधिसूचना का मकसद यह है कि कानून निर्माताओं के खिलाफ मामलों में जल्दी फैसला हो.

उन्होंने हालांकि कहा कि यदि यह पाया जाता है कि मामले की सुनवाई करने वाली मजिस्ट्रेट अदालत के पास अधिकार क्षेत्र नहीं था तो न सिर्फ अंतिम दलीलें, बल्कि पूरी सुनवाई निरर्थक हो जाएगी.

पढ़ें-चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली छात्रा बयान से पलटी

अकबर ने 2018 में पत्रकार रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानी की शिकायत दर्ज कराई थी. यदि यह केस स्थानांतरित किया जाता है, तो इसकी सुनवाई फिर से शुरू होगी. इस मामले को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भेजा गया है, इसे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को सौंपा जाएगा.

2018 में रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. यह बात 20 वर्ष पहले की है जब अकबर पत्रकार हुआ करते थे. इसके बाद 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से स्तीफा दे दिया था. मीटू आंदोलन को दौरान कई महिलाओं ने अकबर पर ऐसे आरोप लगाए थे, जिनको अकबर ने झूठा करार दिया है.

Last Updated : Oct 14, 2020, 9:18 PM IST
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