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कोरोना वायरस : सुप्रीम कोर्ट में आज सिर्फ 12 जरूरी मुकदमों पर होगी सुनवाई - सुप्रीम कोर्ट सुनवाई

कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए न्यायालय के कामकाज को कम करने के लिहाज से सावधानी बरती जा रही है. इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में आज सिर्फ 12 जरूरी मुकदमों पर सुनवाई की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर...

hearing on 16th march in supreme court
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Published : Mar 16, 2020, 10:15 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय की छह पीठों में 16 मार्च को सिर्फ 12 जरूरी मामलों/मुकदमों की सुनवाई होगी. कारोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण के मद्देनजर न्यायालय के कामकाज को कम करने और अदालती कक्षों में भीड़ को कम करने के लिहाज से यह कदम उठाया गया है.

सोमवार को जिन महत्वपूर्ण मुद्दों की शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी हैं, वह हैं... 2018 भीमा कोरोगांव मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नौलखा और आनंद तेलतुम्बडे की अग्रिम जमानत याचिका और निर्भया मामले के दोषी की एक अर्जी.

न्यायालय ने 13 मार्च को कहा था कि उसकी 15 में से महज छह पीठ काम करेंगी और प्रत्येक सिर्फ जरूरी मामलों की सुनवाई करेगी. शनिवार को न्यायालय ने अपने कर्मचारियों को दिशा-निर्देश जारी किया कि एहतियात के तौर पर सभी कर्मचारियों की बुखार के लिए जांच की जाए और कैंटीन बंद कर दिया जाए.

शीर्ष अदालत के कामकाज की समय सारणी में बताया गया है कि सभी छह पीठ पहले छह मामलों की सुनवाई करेंगी. फिर वह आधे घंटे का अवकाश लेंगी. उसके बाद बाकि छह मामलों पर सुनवाई होगी.

13 मार्च को जारी परिपत्र के अनुसार, संबंधित वकीलों के अलावा किसी भी व्यक्ति को अदालती कक्ष में उपस्थित रहने की अनुमति नहीं होगी.

न्यायालय की यह छह पीठ होंगी.... न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस. रविन्द्र भट और छठी पीठ होगी न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की.

सभी छह पीठ अदालत संख्या दो, तीन, छह, आठ, 11 और 14 में बैठेंगी ताकि गलियारों में भीड़ जमा होने से रोका जा सके. सामान्य तौर पर सोमवार और शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय की सभी 15 पीठें बैठती हैं और वहां मिश्रित मामलों की सुनवाई होती है.

ये भी पढ़ें : निर्भया मामले में दोषी विनय शर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

शनिवार को जारी एक नोटिस में न्यायालय ने कहा कि मुकदमों को सूचीबद्ध करने वाला अधिकारी दोपहर ढाई बजे से शाम पांच बजे तक परिसर में उपलब्ध होगा, उसके पास 16 मार्च के लिए जरूरी मामले सूचीबद्ध कराए जा सकते हैं. अधिकारी 15 मार्च को सुबह साढ़े दस बजे से शाम पांच बजे तक भी उपलब्ध होगा.

न्यायालय की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि परिसर में मौजूद सभी कैफेटेरिया, सभी विभागीय कैंटीन अगले आदेश तक बंद रहेंगे और सभी कर्मचारियों से अपने भोजन की व्यवस्था स्वयं करने को कहा गया है.

उसमें सभी कर्मचारियों से एल्कोहल वाले सेनेटाइजर का उपयोग करने और स्वयं को किसी प्रकार के वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए एहतियाती उपाय करने को कहा गया है.

उसमें कहा गया है कि सभी कर्मचारियों के शरीर के तापमान की जांच की जा सकती है और तापमान बढ़े होने की स्थिति में उन्हें परिसर में प्रवहश की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही इस संबंध में केन्द्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा.

उसमें कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी विदेश यात्रा करके आया है या जिसको सर्दी, खांसी बुखार या सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो वह ड्यूटी पर ना आए या फिर अवकाश ले ले.

सभी कर्मचारियों से अनुरोध किया गया है कि वह न्यायालय परिसर में किसी विशेष स्थान पर एकत्र होने से बचें, सिर्फ वहीं जाएं जहां आधिकारिक तौर पर उनकी आवश्यकता है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय की छह पीठों में 16 मार्च को सिर्फ 12 जरूरी मामलों/मुकदमों की सुनवाई होगी. कारोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण के मद्देनजर न्यायालय के कामकाज को कम करने और अदालती कक्षों में भीड़ को कम करने के लिहाज से यह कदम उठाया गया है.

सोमवार को जिन महत्वपूर्ण मुद्दों की शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी हैं, वह हैं... 2018 भीमा कोरोगांव मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नौलखा और आनंद तेलतुम्बडे की अग्रिम जमानत याचिका और निर्भया मामले के दोषी की एक अर्जी.

न्यायालय ने 13 मार्च को कहा था कि उसकी 15 में से महज छह पीठ काम करेंगी और प्रत्येक सिर्फ जरूरी मामलों की सुनवाई करेगी. शनिवार को न्यायालय ने अपने कर्मचारियों को दिशा-निर्देश जारी किया कि एहतियात के तौर पर सभी कर्मचारियों की बुखार के लिए जांच की जाए और कैंटीन बंद कर दिया जाए.

शीर्ष अदालत के कामकाज की समय सारणी में बताया गया है कि सभी छह पीठ पहले छह मामलों की सुनवाई करेंगी. फिर वह आधे घंटे का अवकाश लेंगी. उसके बाद बाकि छह मामलों पर सुनवाई होगी.

13 मार्च को जारी परिपत्र के अनुसार, संबंधित वकीलों के अलावा किसी भी व्यक्ति को अदालती कक्ष में उपस्थित रहने की अनुमति नहीं होगी.

न्यायालय की यह छह पीठ होंगी.... न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस. रविन्द्र भट और छठी पीठ होगी न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की.

सभी छह पीठ अदालत संख्या दो, तीन, छह, आठ, 11 और 14 में बैठेंगी ताकि गलियारों में भीड़ जमा होने से रोका जा सके. सामान्य तौर पर सोमवार और शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय की सभी 15 पीठें बैठती हैं और वहां मिश्रित मामलों की सुनवाई होती है.

ये भी पढ़ें : निर्भया मामले में दोषी विनय शर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

शनिवार को जारी एक नोटिस में न्यायालय ने कहा कि मुकदमों को सूचीबद्ध करने वाला अधिकारी दोपहर ढाई बजे से शाम पांच बजे तक परिसर में उपलब्ध होगा, उसके पास 16 मार्च के लिए जरूरी मामले सूचीबद्ध कराए जा सकते हैं. अधिकारी 15 मार्च को सुबह साढ़े दस बजे से शाम पांच बजे तक भी उपलब्ध होगा.

न्यायालय की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि परिसर में मौजूद सभी कैफेटेरिया, सभी विभागीय कैंटीन अगले आदेश तक बंद रहेंगे और सभी कर्मचारियों से अपने भोजन की व्यवस्था स्वयं करने को कहा गया है.

उसमें सभी कर्मचारियों से एल्कोहल वाले सेनेटाइजर का उपयोग करने और स्वयं को किसी प्रकार के वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए एहतियाती उपाय करने को कहा गया है.

उसमें कहा गया है कि सभी कर्मचारियों के शरीर के तापमान की जांच की जा सकती है और तापमान बढ़े होने की स्थिति में उन्हें परिसर में प्रवहश की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही इस संबंध में केन्द्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा.

उसमें कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी विदेश यात्रा करके आया है या जिसको सर्दी, खांसी बुखार या सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो वह ड्यूटी पर ना आए या फिर अवकाश ले ले.

सभी कर्मचारियों से अनुरोध किया गया है कि वह न्यायालय परिसर में किसी विशेष स्थान पर एकत्र होने से बचें, सिर्फ वहीं जाएं जहां आधिकारिक तौर पर उनकी आवश्यकता है.

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