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SC में अयोध्या केस का 36वां दिन : मामला अब महत्वपूर्ण पड़ाव पर, तीखी बहस के आसार - बाबरी मस्जिद विवाद

आयोध्या मामले में आज 36वें दिन की सुनवाई की गई. मुस्लिम पक्ष द्वारा अपना तर्क रखे जाने के बाद हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के नीचे की गई खुदाई में मिले अवशेषों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां मंदिर था. जानें पूरा विवरण...

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Published : Oct 3, 2019, 9:55 PM IST

Updated : Oct 3, 2019, 10:13 PM IST

नई दिल्ली: आयोध्या मामले में संवैधानिक पीठ ने आज 36वें दिन की सुनवाई की. इस दौरान हिंदू दलों ने अपना पक्ष रखा. वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों को दोहराते हुए अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि अयोध्या में ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे विशाल संरचना की मौजूदगी के बारे में साक्ष्य संदेह से परे हैं और वहां खुदाई से निकले अवशेषों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां मंदिर था.

सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उच्च सदन ने ये आदेश दिया था कि विवादित स्थल की खुदाई की जाए. इससे ये पता लगाया जाए कि विवादित ढांचे के नीचे कोई और ढांचा मौजूद है या नहीं.

आपको बता दें, वैद्यनाथन ने ये बात मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश मीनाक्षी अरोड़ा की दलीलों पर कही. दरअसल, मीनाक्षी ने ये तर्क दिया था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट निर्णायक नहीं है.

गौरतलब है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट में कहा गया था कि विवादित ढांचे के नीचे हिंदू ढांचे के अवशेष मौजूद हैं.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है कि विवादित ढांचे के नीचे बना ढांचा ईदगाह की दीवार या इस्लामिक संरचना है.

वैद्यनाथन ने मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों के जवाब में कहा, 'पहले उनका दावा था कि वहां कोई संरचना ही नहीं थी, बाद में उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की एक दीवार थी. हम कहते हैं कि वह मंदिर था जिसे ध्वस्त किया गया और खुदाई के दौरान मिले स्तंभों के आधार इसकी पुष्टि करते हैं.'

उन्होंने कहा, 'यह किसी भी संदेह से परे साक्ष्य है कि इसके नीचे एक संरचना थी.'

बता दें, इस मामले के संबंध में वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर ने मीडिया से बातचीत की और सुनवाई से संबंधित जानकारी साझा की.

वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर से हुई बातचीत

मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ध्वस्त किये जाने के बारे में कोई निश्चित साक्ष्य या तथ्य नहीं है.

वैद्यनाथन ने कहा कि हिन्दू पक्षकारों का यही मामला है कि खुदाई में मिले अवशेषों, घेराकार मंदिर, स्तंभों के आधार, एक दूसरे से मिलती दीवारें और अन्य सामग्री से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां एक मंदिर था.

ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामला : 'मंदिर के लिए किसी स्थान पर मूर्ति होना जरूरी नहीं,' हिंदू पक्ष ने दी दलील

वहीं राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाडे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन ने भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई इस तरह की जा रही है, जैसे कोई 20-20 मैच चल रहा हो.

गौरतलब है कि इसके पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुशील से मामले की सुनवाई के लिए अच्छी तरह से तैयार होना और फिर पेश करने के लिए कहा था.

बता दें, आयोध्या मामले में संवैधानिक पीठ कल फिर सुनवाई करेगी. इसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन दलीलें पेश करेंगे. इसके बाद अदालत अगले हफ्ते से दशहरे की छुट्टी पर होगी और फिर दोबारा से इसी तरह से सुनवाई की जाएगी.

गौरतलब है, राजनैतिक रूप से संवेदनशील इस 70 वर्ष पुराने मामले में सक्रिय सुनवाई के लिए अब केवल आठ दिन ही बचे हैं. बता दें, इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी होनी है.

क्या है पूरा मामला...
बता दें, मुख्य न्यायधीश के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की एक संविधानिक पीठ अयोध्या मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है.

उच्च न्यायालय ने अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

नई दिल्ली: आयोध्या मामले में संवैधानिक पीठ ने आज 36वें दिन की सुनवाई की. इस दौरान हिंदू दलों ने अपना पक्ष रखा. वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों को दोहराते हुए अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि अयोध्या में ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे विशाल संरचना की मौजूदगी के बारे में साक्ष्य संदेह से परे हैं और वहां खुदाई से निकले अवशेषों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां मंदिर था.

सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उच्च सदन ने ये आदेश दिया था कि विवादित स्थल की खुदाई की जाए. इससे ये पता लगाया जाए कि विवादित ढांचे के नीचे कोई और ढांचा मौजूद है या नहीं.

आपको बता दें, वैद्यनाथन ने ये बात मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश मीनाक्षी अरोड़ा की दलीलों पर कही. दरअसल, मीनाक्षी ने ये तर्क दिया था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट निर्णायक नहीं है.

गौरतलब है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट में कहा गया था कि विवादित ढांचे के नीचे हिंदू ढांचे के अवशेष मौजूद हैं.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है कि विवादित ढांचे के नीचे बना ढांचा ईदगाह की दीवार या इस्लामिक संरचना है.

वैद्यनाथन ने मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों के जवाब में कहा, 'पहले उनका दावा था कि वहां कोई संरचना ही नहीं थी, बाद में उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की एक दीवार थी. हम कहते हैं कि वह मंदिर था जिसे ध्वस्त किया गया और खुदाई के दौरान मिले स्तंभों के आधार इसकी पुष्टि करते हैं.'

उन्होंने कहा, 'यह किसी भी संदेह से परे साक्ष्य है कि इसके नीचे एक संरचना थी.'

बता दें, इस मामले के संबंध में वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर ने मीडिया से बातचीत की और सुनवाई से संबंधित जानकारी साझा की.

वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर से हुई बातचीत

मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ध्वस्त किये जाने के बारे में कोई निश्चित साक्ष्य या तथ्य नहीं है.

वैद्यनाथन ने कहा कि हिन्दू पक्षकारों का यही मामला है कि खुदाई में मिले अवशेषों, घेराकार मंदिर, स्तंभों के आधार, एक दूसरे से मिलती दीवारें और अन्य सामग्री से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां एक मंदिर था.

ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामला : 'मंदिर के लिए किसी स्थान पर मूर्ति होना जरूरी नहीं,' हिंदू पक्ष ने दी दलील

वहीं राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाडे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन ने भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई इस तरह की जा रही है, जैसे कोई 20-20 मैच चल रहा हो.

गौरतलब है कि इसके पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुशील से मामले की सुनवाई के लिए अच्छी तरह से तैयार होना और फिर पेश करने के लिए कहा था.

बता दें, आयोध्या मामले में संवैधानिक पीठ कल फिर सुनवाई करेगी. इसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन दलीलें पेश करेंगे. इसके बाद अदालत अगले हफ्ते से दशहरे की छुट्टी पर होगी और फिर दोबारा से इसी तरह से सुनवाई की जाएगी.

गौरतलब है, राजनैतिक रूप से संवेदनशील इस 70 वर्ष पुराने मामले में सक्रिय सुनवाई के लिए अब केवल आठ दिन ही बचे हैं. बता दें, इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी होनी है.

क्या है पूरा मामला...
बता दें, मुख्य न्यायधीश के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की एक संविधानिक पीठ अयोध्या मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है.

उच्च न्यायालय ने अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

Intro:The Hindu parties submitted their rejoinder in the Ram Janmabhoomi and Babri Masjid dispute case today. Senior advocate CS Vaidyanathan said that the High Court had ordered for excavation to find out whether there existed a structure underneath the disputed structure or not and it had a limited scope. He said this in the reply to advocate Meenakshi Arora's (appearing for muslims) argument who had contended that ASI was not a conclusive report.The ASI report says that a hindu structure existed.


Body:During the hearing Nirmohi Akhada's senior advocate Sushil Jain also raised an objection saying that hearing was going on like a 20-20 .The Chief Justice of India Ranjan Gogoi said that they were given 4.5 days and it was a rejoinder stage which had a limited scope.

Jain during his submissions earlier was asked by the CJI to prepare for the case well and then present.

Now tomorrow Senior advocate Rajeev Dhavan appearing for Sunni waqf board will submit his arguments. Next week the court will be on leave for the dussera vacation and then the hearing will resume and is likely to get over by 18th October.


Conclusion:(byte- Vishnu Shanker Jain from Hindu mahasabha)
Last Updated : Oct 3, 2019, 10:13 PM IST
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