नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन पर बुधवार को सुनवाई की. न्यायालय ने शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 23 मार्च यह कहते हुए तय कर दी कि सुनवाई के लिए फिलहाल माहौल ठीक नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में होली के बाद सुनवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी बताया कि शाहीन बाग के मध्यस्थों ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता अमित साहनी द्वारा यह याचिका डाली गई. बता दें कि शाहीन बाग में पिछले 73 दिनों से लगातार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन चल रहा है. इसकी वजह से दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाली एक मुख्य सड़क बंद है.
अधिवक्ता अमित साहनी ने कहा, 'लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन वह किसी स्थान को चुनकर प्रदर्शन नहीं कर सकते. शाहीन बाग पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है. इसकी वजह से चार रास्ते बंद हैं, इस आधार पर हमनें कोर्ट में याचिका दायर की है.'
दिल्ली हिंसा पर उन्होंने कहा कि कोर्ट ने देखा कि पुलिस अधिक पेशेवर रही होती तो इस तरह की घटनाएं न घटतीं. कोर्ट ने देखा कि कई लोगों की मौत हो गई है. कई घायल हैं. कोर्ट ने कहा, 'हमें धैर्य रखने की जरूरत है.' इस मामले पर अगली सुनवाई होली बाद 23 मार्च को होगी.
सीएए के खिलाफ धरने पर बैठी शाहीन बाग की प्रदर्शनकारी महिला ने ईटीवी भारत से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बारे में कहा कि यदि उन्हें वर्षों तक इस कानून के खिलाफ लड़ना पड़े तो वह इसके लिए तैयार हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है.
शाहीन बाग की प्रदर्शनकारी महिला ने कहा, 'यह संविधान बचाने की लड़ाई है और हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है. हमारी लड़ाई सरकार से है. हम चाहते हैं सरकार कानून वापस ले और हमें पूरा भरोसा है कि यह कानून वापस होकर रहेगा और सुप्रीम कोर्ट हमारे हक में फैसला सुनाएगा.'
यह पूछे जाने पर कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 23 मार्च तक के लिए टाल दी है और वह काफी लंबे समय से इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं, उन्होंने कहा, 'आजादी के एक दिन में नहीं मिलती. उसके लिए संघर्ष भी करना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट ने तो सिर्फ 23 मार्च तक की सुनवाई टाली है. हो सकता है अभी आगे हमें 2025 तक इंतजार करना पड़े तो हम उसके लिए भी तैयार हैं.'
इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने शाहीन बाग को लेकर वार्ताकार नियुक्त किया था, जिसके बाद शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों से वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने बातचीत की. इसके बाद सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी थी.
गौरतलब है कि इस मसले पर गत सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी. सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में शामिल लोगों को हटाने की मांग से जुड़ी याचिका स्थगित कर दी थी.
पढ़ें : शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन : किए जा रहे सुरक्षा के कड़े इंतजाम, छंट रही भीड़
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के कारण सड़क बंद होने की समस्या को समझता है.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और के.एम. जोसेफ की खंडपीठ ने कहा था, 'हम समझते हैं कि समस्या है. सवाल यह है कि हम इसे कैसे हल करते हैं. शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग करने वाली याचिका सोमवार तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि चीजों को सामने आने दीजिए.'
पढ़ें : अंग्रेजों के खिलाफ आज ही भड़की थी विद्रोह की चिंगारी, जानें 26 फरवरी की प्रमुख घटनाएं
हाईकोर्ट में भी दायर हुई थी याचिका
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में 13 जनवरी को जनहित याचिका को दायर करते हुए मांग की गई थी कि शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वे व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए और कानून व्यवस्था को भी कायम रखते हुए कड़ी कार्रवाई करें.