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स्वास्थ्य मंत्रालय का चिकित्सा उपकरणों पर खर्च की जानकारी देने से इनकार

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Published : May 29, 2020, 9:40 PM IST

मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता ने ऑनलाइन आरटीआई आवेदन भरकर चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए खर्च किए गए धन का विवरण मांगा था. इसपर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. जानें विस्तार से...

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प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए उपकरणों की खरीद में खर्च किए गए धन के बारे में जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है.

दरअसल मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एक ऑनलाइन आरटीआई आवेदन भरकर चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए खर्च किए गए धन का विवरण मांगा था. गलगली ने एक मई को केंद्र सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन दायर कर भारत सरकार द्वारा कोविड-19 को नियंत्रित करने और रोकने का विवरण मांगा था.

गलगली ने अपने आरटीआई आवेदन में लिखा है, 'कृपया उपकरण और सामग्री के लिए खर्च की गई कुल राशि, खरीद की तारीख और उपकरण का विवरण प्रदान करें.'

हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय में एक केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को अनुमति देने के बाद 23 मई को जवाब दिया गया. आरटीआई जवाब में कहा गया कि सीपीआईओ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड से संबंधित मामलों से संबंधित है.

आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एफ) में परिभाषित जानकारी के अनुसार सीपीआईओ को ऐसी जानकारी प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, जिसके लिए हस्तक्षेप और/या धारणा बनाने या जानकारी की व्याख्या करने, या आवेदक द्वारा उठाए गए समस्या को हल करने, या काल्पनिक सवालों के जवाब प्रस्तुत करने की मांगी गई जानकारी नहीं आती है.

पढ़ें : स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा नियामक प्रक्रिया में सुधार के लिए बनाई उच्च स्तरीय समिति

सीपीआईओ के पास आरटीआई आवेदन पर टिप्पणी करने के लिए कोई विशेष जानकारी नहीं है.

आरटीआई अधिनियम के अनुसार, यदि आवश्यक जानकारी सीपीआईओ द्वारा नहीं दी जाती है, तो अधिकारी को धारा 6 (3) के तहत किसी अन्य सदस्य को हस्तांतरित करना चाहिए, जो दलील प्राप्त करने के पांच दिनों के भीतर यह मान लेता है. आरटीआई अधिनियम में सरकार द्वारा बड़े जनहित के संबंध में सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण के लिए धारा चार के तहत अनिवार्य प्रावधान है.

गलगली ने कहा, 'सरकार यह दावा करती है कि कोविड-19 से लड़ने के लिए धन की कोई कमी नहीं है. वे (सरकार) अपने पोर्टल पर सभी रिकॉर्ड क्यों नहीं डाल सकते हैं. मैं उपकरणों की खरीद पर खर्च किए गए धन का ब्योरा चाहता हूं. स्वास्थ्य मंत्रालय को कोविड-19 पर खर्च किए गए धन की कोई जानकारी नहीं है.'

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्मिक सुरक्षा उपकरण (PPE), N-95 मास्क और साथ ही विदेशों से वेंटिलेटर का आयात किया है. मंत्रालय ने घरेलू निर्माताओं से चिकित्सा उपकरण भी खरीदे हैं.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए उपकरणों की खरीद में खर्च किए गए धन के बारे में जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है.

दरअसल मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एक ऑनलाइन आरटीआई आवेदन भरकर चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए खर्च किए गए धन का विवरण मांगा था. गलगली ने एक मई को केंद्र सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन दायर कर भारत सरकार द्वारा कोविड-19 को नियंत्रित करने और रोकने का विवरण मांगा था.

गलगली ने अपने आरटीआई आवेदन में लिखा है, 'कृपया उपकरण और सामग्री के लिए खर्च की गई कुल राशि, खरीद की तारीख और उपकरण का विवरण प्रदान करें.'

हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय में एक केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को अनुमति देने के बाद 23 मई को जवाब दिया गया. आरटीआई जवाब में कहा गया कि सीपीआईओ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड से संबंधित मामलों से संबंधित है.

आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एफ) में परिभाषित जानकारी के अनुसार सीपीआईओ को ऐसी जानकारी प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, जिसके लिए हस्तक्षेप और/या धारणा बनाने या जानकारी की व्याख्या करने, या आवेदक द्वारा उठाए गए समस्या को हल करने, या काल्पनिक सवालों के जवाब प्रस्तुत करने की मांगी गई जानकारी नहीं आती है.

पढ़ें : स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा नियामक प्रक्रिया में सुधार के लिए बनाई उच्च स्तरीय समिति

सीपीआईओ के पास आरटीआई आवेदन पर टिप्पणी करने के लिए कोई विशेष जानकारी नहीं है.

आरटीआई अधिनियम के अनुसार, यदि आवश्यक जानकारी सीपीआईओ द्वारा नहीं दी जाती है, तो अधिकारी को धारा 6 (3) के तहत किसी अन्य सदस्य को हस्तांतरित करना चाहिए, जो दलील प्राप्त करने के पांच दिनों के भीतर यह मान लेता है. आरटीआई अधिनियम में सरकार द्वारा बड़े जनहित के संबंध में सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण के लिए धारा चार के तहत अनिवार्य प्रावधान है.

गलगली ने कहा, 'सरकार यह दावा करती है कि कोविड-19 से लड़ने के लिए धन की कोई कमी नहीं है. वे (सरकार) अपने पोर्टल पर सभी रिकॉर्ड क्यों नहीं डाल सकते हैं. मैं उपकरणों की खरीद पर खर्च किए गए धन का ब्योरा चाहता हूं. स्वास्थ्य मंत्रालय को कोविड-19 पर खर्च किए गए धन की कोई जानकारी नहीं है.'

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्मिक सुरक्षा उपकरण (PPE), N-95 मास्क और साथ ही विदेशों से वेंटिलेटर का आयात किया है. मंत्रालय ने घरेलू निर्माताओं से चिकित्सा उपकरण भी खरीदे हैं.

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