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लोकसभा में पारित हुआ NMC विधेयक, हर्षवर्धन ने बताया प्रगतिशील

लोकसभा में राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी (NMC) विधेयक पर चर्चा हुई. स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने विधेयक को सदन मे पेश करते हुए कहा कि यह देश के मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में अहम बदलाव लाएगा. NMC को भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की जगह पर लाया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर.

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन
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Published : Jul 29, 2019, 10:15 PM IST

नई दिल्लीःसोमवार को लोकसभा में भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की जगह पर राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी को ले आने वाले विधेयक को पेश किया गया. विधेयक पर गहन चर्चा के बाद सदन में विधेयक को पारित कर दिया गया. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इसे प्रगतिशील कानून चिकित्सा व्यवसाय में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने वाली पहल करार दिया.

विधेयक को सदन मे पेश करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी (NMC) में एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने का प्रावधान है. इसमें अलग से योग्य एलोपैथिक स्वास्थ्य कर्मियों को सूचीबद्ध किया जाएगा.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'इससे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए भारी संख्या में सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों की उपल्बधता कराई जा सकेगी.'

भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 की जगह पर आने वाला यह विधेयक गरीब तबके को मेडिकल शिक्षा मुहैया कराएगा. NMC द्वारा जारी किए मुख्य बिंदुओं के आधार पर निजी और डीम्ड विश्नविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों का शुल्क निर्धारण किया जाएगा.

हर्षवर्धन आगे कहते हैं, 'राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी विधेयक 2019 जिसको आज सदन में पेश किया गया है वह गरीबों का समर्थन करने वाला प्रगतिशील विधेयक है. इस विधेयक से चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे.'

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है. मेडिकल सिटों के आवंटन में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार नई नीतियां ले आई है.

मेरिट के आधार पर आवंटित होने वाली सीटों मे वृद्धि की गई है, स्नातक और परा-स्नातक कि सीटों के अनुपात मे भी वृद्धि की गई है. काई मेडिकल कालेज बनाए गए हैं और कई AIIMS बनाए जाएंगे.

हर्षवर्धन ने बताया कि संसद की विभागिय स्थायी समिति की 109वीं रिपोर्ट में दिए गए 30 सुझावों को पूरी तरह मान लिया गया था. सात को आंशिक रूप में माना गया था और नौ को विचार करने के बाद अस्वीकार किया गया था. उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ की सभी समस्या का समाधान किया गया है.

उन्होंने बताया कि 2010 में MCI की कार्य प्रणाली को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद संसद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आए थे. MCI को भंग कर 2013 में उसका पुनर्गठन किया गया था. इसके बाद MCI को लेकर शिकायतें फिर से आने लगी थी.

हर्षवर्धन ने कहा कि MCI के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप एक बड़ी समस्या रही हैं. इसके लिए एक विशेषज्ञ समूह गठन किया गया था जिसने बताया कि MCI अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहा है.

यह विधेयक MBBS के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) बनाएगा. NEXT देने वाले परिक्षार्थी पीजी मेडिकल कोर्स और विदेश में स्नातक कोर्स के लिए योग्य होंगे.

यह विधेयक NEET, सामान्य काउन्सलिंग और NEXT को देश के बड़े संसथान जैसे AIIMS के लिए मान्य बनाएगा.

पढ़ें-राज्यसभा में उठा उन्नाव रेप पीड़िता पर हमले का मामला

इस विधेयक के अंतर्गत मेडिकल असेसमेंट और रेटिंग बोर्ड (MARB) मेडिकल संसथाओं का मूल्यांकन कर उनकी रैकिंग करेगा. इससे छात्रों को सही संसथान चुनने मे मदद मिलेगी.

राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी मे चार आटोनॉमस बोर्ड होंगे. स्नातक मेडिकल शिक्षा बोर्ड, परा-स्नातक मेडिकल शिक्षा बोर्ड, मेडिकल असेसमेंट और रेटिंग बोर्ड (MARB) और एथिक्स और मेडिकल पंजिकरण बोर्ड.

NMC और उसके बोर्ड गतिशील और आधुनिक शिक्षा, विश्व स्तर के मानको को हासिल करने और सम्साओं के समाधान के लिए बेहतर तंत्र बनाएंगे.

MARB नए मेडिकल कालेजों को मान्यता देगा. स्नातक और परा-स्नातक बोर्ड के मानकों के अनुसार नए परा-स्नातक कोर्स शुरू होंगे. स्नातक और परा-स्नातक की सीटों मे बढ़ोतरी भी उसी आधार पर होगी.

इस विधेयक के अनुसार नए मेडिकल कॉलेजों को मान्यता मिलने से पहले वार्षिक नवीकरण कराने की अब जरूरत नहीं पड़ेगी.

नई दिल्लीःसोमवार को लोकसभा में भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की जगह पर राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी को ले आने वाले विधेयक को पेश किया गया. विधेयक पर गहन चर्चा के बाद सदन में विधेयक को पारित कर दिया गया. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इसे प्रगतिशील कानून चिकित्सा व्यवसाय में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने वाली पहल करार दिया.

विधेयक को सदन मे पेश करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी (NMC) में एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने का प्रावधान है. इसमें अलग से योग्य एलोपैथिक स्वास्थ्य कर्मियों को सूचीबद्ध किया जाएगा.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'इससे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए भारी संख्या में सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों की उपल्बधता कराई जा सकेगी.'

भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 की जगह पर आने वाला यह विधेयक गरीब तबके को मेडिकल शिक्षा मुहैया कराएगा. NMC द्वारा जारी किए मुख्य बिंदुओं के आधार पर निजी और डीम्ड विश्नविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों का शुल्क निर्धारण किया जाएगा.

हर्षवर्धन आगे कहते हैं, 'राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी विधेयक 2019 जिसको आज सदन में पेश किया गया है वह गरीबों का समर्थन करने वाला प्रगतिशील विधेयक है. इस विधेयक से चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे.'

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है. मेडिकल सिटों के आवंटन में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार नई नीतियां ले आई है.

मेरिट के आधार पर आवंटित होने वाली सीटों मे वृद्धि की गई है, स्नातक और परा-स्नातक कि सीटों के अनुपात मे भी वृद्धि की गई है. काई मेडिकल कालेज बनाए गए हैं और कई AIIMS बनाए जाएंगे.

हर्षवर्धन ने बताया कि संसद की विभागिय स्थायी समिति की 109वीं रिपोर्ट में दिए गए 30 सुझावों को पूरी तरह मान लिया गया था. सात को आंशिक रूप में माना गया था और नौ को विचार करने के बाद अस्वीकार किया गया था. उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ की सभी समस्या का समाधान किया गया है.

उन्होंने बताया कि 2010 में MCI की कार्य प्रणाली को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद संसद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आए थे. MCI को भंग कर 2013 में उसका पुनर्गठन किया गया था. इसके बाद MCI को लेकर शिकायतें फिर से आने लगी थी.

हर्षवर्धन ने कहा कि MCI के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप एक बड़ी समस्या रही हैं. इसके लिए एक विशेषज्ञ समूह गठन किया गया था जिसने बताया कि MCI अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहा है.

यह विधेयक MBBS के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) बनाएगा. NEXT देने वाले परिक्षार्थी पीजी मेडिकल कोर्स और विदेश में स्नातक कोर्स के लिए योग्य होंगे.

यह विधेयक NEET, सामान्य काउन्सलिंग और NEXT को देश के बड़े संसथान जैसे AIIMS के लिए मान्य बनाएगा.

पढ़ें-राज्यसभा में उठा उन्नाव रेप पीड़िता पर हमले का मामला

इस विधेयक के अंतर्गत मेडिकल असेसमेंट और रेटिंग बोर्ड (MARB) मेडिकल संसथाओं का मूल्यांकन कर उनकी रैकिंग करेगा. इससे छात्रों को सही संसथान चुनने मे मदद मिलेगी.

राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी मे चार आटोनॉमस बोर्ड होंगे. स्नातक मेडिकल शिक्षा बोर्ड, परा-स्नातक मेडिकल शिक्षा बोर्ड, मेडिकल असेसमेंट और रेटिंग बोर्ड (MARB) और एथिक्स और मेडिकल पंजिकरण बोर्ड.

NMC और उसके बोर्ड गतिशील और आधुनिक शिक्षा, विश्व स्तर के मानको को हासिल करने और सम्साओं के समाधान के लिए बेहतर तंत्र बनाएंगे.

MARB नए मेडिकल कालेजों को मान्यता देगा. स्नातक और परा-स्नातक बोर्ड के मानकों के अनुसार नए परा-स्नातक कोर्स शुरू होंगे. स्नातक और परा-स्नातक की सीटों मे बढ़ोतरी भी उसी आधार पर होगी.

इस विधेयक के अनुसार नए मेडिकल कॉलेजों को मान्यता मिलने से पहले वार्षिक नवीकरण कराने की अब जरूरत नहीं पड़ेगी.

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PRI GEN NAT
.NEWDELHI PAR16
LS-LD MEDICAL BILL
National Medical Commission bill to be biggest reform: Vardhan
         (Eds: Adding more quotes)
         New Delhi, Jul 29 (PTI) Genuine concerns over the
National Medical Commission Bill have been addressed and the
legislation will be one of the biggest reforms, Union minister
Harsh Vardhan said in Lok Sabha on Monday.
The bill would replace the 63-year-old Medical Council of
India (MCI) with the commission to reform the medical
education sector.
         It also seeks to repeal the Indian Medical Council Act
1956, stating that the council that was set up was corrupt. It
has been alleged that the process by which the MCI regulated
medical colleges was flawed.
         Moving the bill for consideration in Lok Sabha, Vardhan
said it seeks to put in place a new structure to tackle
challenges in the medical education sector.
Asserting that the bill is a pro-poor legislation, he said
it would bring not only government seats but also 50 per cent
of all private seats within the reach of meritorious students
belonging to economically weaker sections.
         The Minister of Health and Family Welfare sought to
assure that genuine concerns of the Indian Medical Association
(IMA) have been addressed.
         "When history will be written... it (bill) will go down
as one of the biggest reforms," he noted.
         Participating in the discussion, Congress member Vincent
Pala, who opposed the bill, criticised the proposal to
"replace elected members with nominated members" on the
Medical Council Board
         Pala also asked how integrity of members of the board
would be decided.
         "The new bill lacks vision and lacks structural
integrity. You are replacing elected members with nominated
members," he said.
         Supporting the bill, BJP member Mahesh Sharma said the
1956 India Medical Council Act has completely failed to
fulfil aspirations of the people and the council has become a
"den of corruption" and it has been "commercialised".
         "The bill will end the Inspector Raj," he said.
         Sharma said in the proposed board, out of the 26 members,
21 members would be doctors. The legislation would enhance the
number of seats and teachers in medical colleges and have
control over the fee structure.
         "75 per cent seats in medical colleges will be
regulated," he said.
         Sharma said there has been 25 to 30 per cent growth in
country's medical tourism every year and for continuation of
this trend, the country needs good doctors and good medical
facilities. The bill provides for that, he added.
         In the last three years, Sharma said as many as 121
medical colleges were set up in the country of which 60 were
in government sector.
         Coming down heavily on the bill, DMK leader A Raja termed
it as "anti-poor, anti-social justice, undemocratic and
anti-federalism".
         He said the bill is a "joke" on the people of the country
as it would encourage corruption and nepotism in the medical
profession.
         Raja also criticised the proposal of "exit examination"
for medical students, saying it would ruin the future of
students.
         He said the government would have full control over the
proposed board and allow corrupt people to "loot" people and
"suck blood".
Trinamool Congress member Kakoli Ghosh Dastidar said the
bill was against the basis principle of federalism and
unacceptable as it would jeopardise the future of students.
         Dastidar also slammed the move to conduct "exit
examination" for medical students, saying it would put undue
pressure on students.
         "This is unwarranted and a shame," she said.
         Among others, the bill has the provision for making
national standards in medical education uniform by proposing
that the final year MBBS exam be treated as an entrance test
for PG and a screening test for students who graduate in
medicine from foreign countries. This exam would be called the
National Exit Test (NEXT).
'NEXT' would ensure that the NMC moves away from a system
of repeated inspections of infrastructure and to focus on
outcomes rather than processes, Vardhan said.
"Accordingly, yearly inspections have been done away with.
This is expected to do away with Inspection Raj and foster
addition of UG and PG seats in the country," he added. PTI RAM
ACB
DV
DV
07291508
NNNN
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