जींद : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है. हरियाणा के जींद में बुधवार को इस आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के लिए महापंचायत हुई. जींद में महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी पहुंचे.
इस महापंचायत में राकेश टिकैत के साथ हरियाणा के चर्चित किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी मंच पर मौजूद थे. इस कार्यक्रम में किसानों की भारी भीड़ ने हिस्सा लिया. किसानों को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने सरकार की किसानों को लेकर अनदेखी की निंदा की
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जींद में महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब-जब राजा डरता है, तब-तब किलेबंदी करता है. दिल्ली में कीलें लगाई जा रही हैं, हम वो अपने खेतों में भी लगाते हैं. संबोधन में राकेश टिकैत ने कहा कि अभी हमने बिल वापसी की बात की है, अगर गद्दी वापसी की बात हुई तो क्या करोगे. टिकैत ने जींद के किसानों से अपील की कि अभी जींद वालों को दिल्ली कूच की जरूरत नहीं है, आप यहां पर ही रहे. राकेश टिकैत की ओर से ट्वीट भी किया गया कि पहले गिरफ्तार किसानों को रिहा किया जाए, तब आगे की बात होगी.
पानी की जगह आग मांग ली होती तो क्या होता- राकेश टिकैत
जींद महापंचायत में राकेश टिकैत ने सरकार को ललकारते हुए कि 30 लाख लोग दिल्ली के अंदर आंदोलन में शामिल हुए. वहां उस दिन अगर मैंने पानी की जगह आग मांग ली होती तो पता नहीं क्या होता, लेकिन मैंने पानी इसलिए मांगा क्योंकि पानी की तासीर ठंडी होती है. उन्होंने किसानों से कहा कि आप गुस्सा नहीं करेंगे आप अपना गुस्सा हमें दे दे.
मंच टूटा, राकेश टिकैत गिरे
राकेश टिकैत जब मंच पर बोलने के लिए खड़े हुए तो यहां बना मंच ही टूट गया. दरअसल, जिस जगह ये महापंचायत हो रही थी वहां पर उम्मीद से अधिक लोग आ पहुंचे और मंच पर भी लोगों की संख्या काफी ज्यादा हो गई थी.
पांच प्रस्ताव हुए पास
जींद महापंचायत में 5 प्रस्ताव पास कर दिए गए हैं. सभी प्रस्ताव लोगों ने हाथ उठाकर पास किया है. इसमें सबसे प्रमुख है तीनों कृषि कानूनों की वापसी का प्रस्ताव. दूसरा एमएसपी पर कानून बने, तीसरा स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू हो, चौथा दिल्ली में पकड़े गए ट्रैक्टर व लोग रिहा हों, पांचवां किसानों के कर्ज माफ हो.
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चक्काजाम को लेकर जोरों पर तैयारियां
बता दें कि 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम के ऐलान के बाद किसान आंदोलन फिर से गति पकड़ने लगा है. किसान लगातार दिल्ली की और कूच कर रहे हैं. वहीं, हरियाणा में किसानों को इकट्ठा करने के लिए महापंचायतों का दौर जारी है. आए दिन अलग-अलग जिलों में महापंचायत की जा रही हैं.